Wednesday - 10 January 2024 - 5:21 AM

एनपीआर में किसी को ‘संदिग्ध’ नहीं माना जाएगा

 

न्यूज डेस्क

देशभर में नागरिकता संसोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के बीच गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के दौरान मांगी गई जानकारी कोई भी व्यक्ति मुहैया नहीं करा पाता है तो उसे ‘डी’ या ‘संदिग्ध’ की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष को ये दिलासा देते हुए कहा कि वे एनपीआर और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर बहस करने के लिए हमेशा तैयार हैं।

गृहमंत्री शाह ने राज्यसभा में दिल्ली दंगा पर बहस के दौरान कहा कि एनपीआर प्रक्रिया के दौरान कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और नागरिकता का सत्यापन नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश में किसी को भी एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है।

वहीं विपक्ष ने कहा कि नागरिकता नियमों में ये प्रावधान है कि एनपीआर प्रक्रिया के दौरान दस्तावेज मुहैया कराने में असमर्थ रहने वाले नागरिकों के नाम के आगे ‘डी’  या ‘संदिग्ध’  लिखा जाएगा। इस पर शाह ने कहा कि, ‘मैं ये स्पष्ट रूप से कहता हूं कि एनपीआर के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। अगर आपके पास कोई जानकारी नहीं है तो उसे साझा करने की जरूरत नहीं है। और तीसरा, बतौर गृहमंत्री मैं राज्य सभा के पटल से ये बात कहता हूं, किसी को भी ‘डी’  मार्क नहीं किया जाएगा।’

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शाह ने कहा, ‘कोई भी दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे। सभी सूचनाएं स्वैच्छिक हैं। व्यक्ति जो भी जानकारी साझा करना चाहता है वो ही रिकॉर्ड किया जाएगा।’

गृहमंत्री शाह द्वारा दिए गए आश्वासन पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने पूछा, ‘अगर मैंने सही सुना है, गृहमंत्री कह रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति के नाम के आगे ‘डी’ नहीं लिखा जाएगा। है ना?’  इस पर शाह ने कहा, ‘हां’ । उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के किसी नेता को संदेह है तो वो उनसे चर्चा करेंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय की आधिकारिक फाइलों में ये नहीं लिखा है कि एनपीआर प्रकिया के दौरान मांगी जाने वाली जानकारी ‘स्वैच्छिक’  या ‘ऐच्छिक’ हैं। दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से सिर्फ ये लिखा है कि विभिन्न जानकारियां इकट्ठा  की जाएंगी।

सरकारी दस्तावेजों से ये भी पता चलता है कि गृह मंत्रालय एनपीआर के तहत आधार नंबर इकट्ठा  करने के लिए पूरी तरह से मन बनाया हुआ है। आलम ये है कि 2020 का एनपीआर शुरु होने से पहले ही करीब 60 करोड़ आधार नंबर एनपीआर डेटाबेस से जोड़ा जा चुका है।

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केंद्रीय गृहमंत्री का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब देश के कई राज्यों ने एनपीआर, 2020 के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है और देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिक संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

मालूम हो कि पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पुदुचेरी, बिहार और आंध्र प्रदेश ने एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है और ओडिशा एवं तेलंगाना जैसे राज्यों ने एनपीआर फॉर्म में माता-पिता जन्म स्थान से जुड़ी जानकारी मांगने पर आपत्ति जताई है।

नागरिकता नियमों के अनुसार एनपीआर डेटा का सत्यापन तब शुरु होगा जब एनआरसी लागू किया जाएगा। एनपीआर के तहत देश में रह रहे सभी नागरिकों की जानकारी इकट्ठा की जाएगी और एनआरसी प्रक्रिया के दौरान इसका सत्यापन किया जाएगा और ‘संदिग्ध नागरिकों’  की पहचान की जाएगी। नागरिकता नियमों, 2003 के तहत एनपीआर एनआरसी प्रक्रिया का पहला कदम है।

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