Monday - 8 January 2024 - 8:58 PM

‘एक्टिविस्ट सेना’ के जरिए कांग्रेस को जिंदा करना चाहती हैं प्रियंका

न्‍यूज डेस्‍क

कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही एक सेंटरिस्ट पार्टी की पहचान बनाए रही है और उसमे लेफ्ट और राईट विचार वाले लोगों की हमेशा ही जगह रही है । ये बात अलग है कि अलग अलग वक्त पर एक विचारधारा के लोगों का दबदबा रहता है । अपने गठन के समय भी कांग्रेस का यही स्वरूप रहा और अब भी कमोबेश यही हाल है । पूर्व प्रधानमंत्री  पीवी नरसिंह राव को तो  कई विश्लेषक सीधे सीधे दक्षिणपंथी बताते रहे हैं।

फिलहाल नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मुकाबिल कांग्रेस को पता है कि उग्र दक्षिणपंथ को चुनौती देनी है तो उसके खिलाफ आक्रामक होना ही होगा और इसी लिए राहुल और प्रियंका की नई टीम में भी वामपंथी रुझान वाले एक्टिविस्‍टों की पूछ फिलहाल बढ़ रही है ।

हालिया घटनाक्रम में पार्टी से अलग हुए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का आरोप है कि उन्‍हें जो सम्‍मान मिलना चाहिए था, वो सम्‍मान उन्‍हें नहीं मिला। इसलिए उन्‍होंने पार्टी छोड़ दी। सम्‍मान की लड़ाई केवल मध्‍य प्रदेश में नहीं बल्कि उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस में देखी जा रही है।

लोकसभा चुनाव के दौरान सूबे में पार्टी के खराब प्रदर्शन और राहुल गांधी की अमेठी सीट हारने के बाद से प्रदेश की राजनीति को अपनी नाक की लड़ाई बना चुकी प्रियंका लगातार यूपी में एक्टिव हैं और पार्टी की कमान अपने हाथों में ले रखी हैं। यूपी की राजनीति में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस को फिर ऊपर लाने के लिए मेहनत कर रहीं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी में कई बड़े बदलाव कर रही हैं।

इस बदलाव के दौरान उन्‍होंने कई वर्षों से पार्टी में पद पर बैठे कई नेताओं को उनके पदों से हटा दिया है, जिसको लेकर पार्टी में बगावती सुर भी उठे मगर ठंडे पड़  गए ।  प्रियंका यूपी में मिशन 2022 के लिए अपनी युवा टीम बनाने में जुटी हैं। हालांकि प्रियंका गांधी की इस मेहनत ने कांग्रेस  में ऐसे युवाओं की  जगह बना दी है जो एक्टिविस्ट रहे हैं । 

2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त से ही मंथन के दौर में चल रही पार्टी  में  अचानक से प्रमुख पदों पर कभी वामपंथी संगठन  ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (आइसा) और मानवधिकारवादी रिहाई मंच जैसे संगठनों से आए लोगों को नियुक्त  किया जा रहा है ।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके आइसा के नेता संदीप सिंह हैं। उनके साथ शुरू हुआ सफर अब यहां तक पहुंच गया है कि पार्टी प्रशासन और सोशल मीडिया इन्चार्ज जैसी पोजिशन्स पर लेफ्ट रुझान वाले युवाओं का दबदबा है ।

सबसे खास बात यह है कि इन सभी की एंट्री के साथ ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटि के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू  भी सामाजिक आंदोलन की पृष्ठभूमि से ही आते हैं ।

पिछले काफी समय से प्रियंका गांधी के साथ ऐक्टिव संदीप सिंह अचानक से उस वक्त सुर्खियों में आए जब सोनभद्र में प्रियंका के दौरे में उनकी झड़प एक टीवी रिपोर्टर के साथ हो गई थी। इसी तरह आइसा के नेता और जेएनयू के अध्यक्ष रह चुके मोहित अभी यूपीसीसी के सोशल मीडिया हेड हैं।

पार्टी के प्रशासन इंचार्ज दिनेश सिंह भी आइसा के पुराने नेता हैं। इसी तरह  आतंकवादी घोषित किए गए बेगुनाहोंं की वकालत करने वाले संगठन रिहाई मंच के साथ रह चुके शाहनवाज हुसैन अभी यूपीसीसी अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष हैं।

इसी कड़ी में रफत फातिमा का भी नाम है जो महिला अधिकारों के लिए विभिन्न संगठनों के साथ जुड़ कर काम करती रही है। रफ़त को कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का संयोजक बनाया गया है ।

वहीं दूसरी तरफ देखें तो दिग्गज कांग्रेसी और इंदिरा गांधी के वफादार रहे रामकृष्ण द्विवेदी और कई अन्य सीनियर नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। 70 के दशक में द्विवेदी ने तत्कालीन सीएम टीएन सिंह को हराया था। द्विवेदी की तरह ही भूधर नारायण मिश्र, नेक चंद पांडेय, संतोष सिंह और सिराज मेंहदी जैसे पुराने नेता भी फिलहाल बैक सीट पर  हैं ।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com