Saturday - 6 January 2024 - 7:22 PM

क्या धांधली का अड्डा बन गया है आयुष्मान योजना मुख्यालय !

ओम कुमार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़्लैगशिप प्रोजेक्ट आयुष्मान भारत में पलीता खुद आयुष्मान का मुख्यालय ही लगा रहा है । इस परियोजना का जिम्मा सम्हालने वाली स्टेट एजेंसी फॉर कंप्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) धांधली का अड्डा बन चुका है । लगातार खुलासों के बावजूद इन मामलों पर सरकार के जिम्मेदारों की चुप्पी भी सवाल खड़े कर रही है ।

अभी कुछ समय पहले ही आयुष्मान भारत के प्लास्टिक कार्डों में गलत भुगतान का मामला आया था जिसमे लगभग एक करोड पैंतीस लाख( ₹1,35,00000) का अधिक भुगतान अनियमित रूप से फर्म को कर दिया गया। कई लाख शहरी कार्ड में क्रिटिकल एरर के थे जिन्हें प्राइवेट मधुर कोरियर कंपनी को वापस कर दिया गया लेकिन उन्होंने इनको ठीक करके विभागों को दिया या नहीं,इसके कोई साक्ष्य नहीं हैं।

इसके अलावा जो भी आंकड़े प्लास्टिक कार्डों के हैं और जिसके आधार पर भुगतान किया गया, उन प्लास्टिक कार्डों की संख्या का सत्यापन डीएम / सीएमओ से नहीं करा कर के एक संस्था से करा लिया गया,जो अनुबंध और साचीज के निर्देशों का उल्लंघन है। इन धांधलियों का खुलासा जूबली पोस्ट ने साक्ष्य सहित किए ,लेकिन सरकार ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की।

अब नियुक्ति पर भी उठने लगे सवाल

मुख्यालय में नियुक्त में डॉक्टर बसंत कुमार पाठक के नाम पर कई सवाल उठने लगे हैं । डा. बसंत पाठक को पी एमएस से रिटायरमेंट के बाद साचीज में जी.एम,(पालिसी एण्ड पब्लिक हेल्थ) के पद पर पुनर्नियुक्ति दी गई थी,जिसके लिये स्नातकोत्तर की योग्यता निर्धारित थी, जबकि डॉक्टर बसंत कुमार पाठक की योग्यता मात्र एमबीबीएस यानी स्नातकोत्तर नहीं थी ।

यही नहीं डॉक्टर पाठक को पॉलिसी एंड पब्लिक हेल्थ के महाप्रबंधक के पद पर ₹1,14,517 प्रतिमाह पारिश्रमिक भी दिया जा रहा है। जबकि सेवा निवृत्त कर्मचारी /अधिकारी को पुनर्नियुक्ति पर शासनादेश सं.15/12/1983 के आधार पर वेतन प्रदान किया जाना चाहिए । इसके आधार पर डॉक्टर बसंत कुमार पाठक को नवंबर 18 से लेकर अगस्त 19 तक ₹2,67,257 का अधिक भुगतान भी कर दिया गया। वित्त नियंत्रक की आपत्ति के बाद भी अब यह मामला शासन के वित्त विभाग को संदर्भित है।

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जानकारी के अनुसार अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने 4 अक्तूबर  2019 को शासन को संदर्भित इस प्रकरण पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं होने पर प्रमुख सचिव ,चिकित्सा स्वास्थ्य से कड़ी नाराजगी जताई है। आउट सोर्सिंग पर रखे गये डा0पाठक को वाहन की सुविधा भी दी गयी है,जो साचीज से पारित नहीं है।

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आयुष्मान भारत योजना की सफलता के तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश में इसके मुख्यालय में चल रहे गड़बड़ झाले से योजना की सफलता पर सवालिया निशान भी खड़े होने लगे हैं ।

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