Thursday - 18 January 2024 - 3:50 PM

हॉकी के लिए बुरा दिन : रविंदर पाल के बाद कौशिक ने भी छोड़ी दुनिया

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। भारतीय हॉकी के लिए शनिवार यानी 8 मई का दिन काफी बुरा कहा जाये तो गलत नहीं होगा। दरअसल कोरोना ने आज के दिन के हॉकी दो दिग्गजों ने दुनिया को अलविदा कह दिया है।

दो धुरंधर हॉकी खिलाड़ी और ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट रविंदर पाल सिंह और एमके कौशिक का निधन हो गया है। दोनों की जिंदगी को कोरोना ने निगल लिया है।

शनिवार की सुबह रविंदर पाल ने अंतिम सांस ली तो शाम होते-होते एक और बुरी खबर तब सुनने को मिली जब एमके कौशिक की सांस ने उनका साथ छोड़ दिया। एक दिन में दो हॉकी दिग्गज के जाने से पूरा हॉकी जगत शोक में डूब गया है।

दोनों कुछ दिनों से कोरोना की चपेट में आये थे और अस्पताल में भर्ती थे। भारत की ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य रहे कौशिक को दिल्ली के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।

उनकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ था। उनकी उम्र 66 साल की बतायी जा रही है। उनके परिवार में पत्नी और पुत्र है। कौशिक 17 अप्रैल को कोविड-19 के लिये पॉजिटिव पाया गया था।

उनके पुत्र ने न्यूज एजेंसी से कहा, ”उन्हें आज सुबह वेंटीलेटर पर रखा गया लेकिन अभी उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। इतना ही नहीं कौशिक के साथ ही उनकी पत्नी भी कोरोना की चपेट में आ गई और उनका इलाज भी अब भी चल रहा है।

रविंदर पाल सिंह पर एक नजर

https://twitter.com/KirenRijiju/status/1390882138971574276?s=20

 

  • 1980 ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे
  • रविंदर पाल सिंह ने 1984 के लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया था
  • उसके पहले उन्होंने 1979 में हॉकी का जूनियर वर्ल्ड कप भी खेला था
  • सीतापुर में जन्में और सेंटर हाफ पोजिशन से खेलने वाले भारतीय हॉकी प्लेयर ने ओलिंपिक के अलावा चैंपियंस ट्रॉफी, सिल्वर जुबली 10 नेशन कप, 1982 के वर्ल्ड कप और 1982 के एशिया कप जैसे बड़े हॉकी टूर्नामेंट में भी शिरकत किया

कौशिक पर एक नजर

  • कौशिक का भारतीय हॉकी में बेहद खास स्थान रखते थे
  • 1980 के मॉस्को ओलंपिक की स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे
  • भारत का ओलिंपिक में हॉकी का ये आखिरी पदक था
  • कौशिक भारत की सीनियर पुरुष और महिला दोनों टीमों को कोच भी रह चुके हैं
  • 2002 में उनकी कोचिंग में ही भारतीय महिला टीम ने कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता था
  • उन्हीं के कोच रहते हुए भारतीय पुरुष टीम ने लंबे अरसे बाद 1998 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था
  • उन्हें 1998 में अर्जुन पुरस्कार और 2002 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था

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रविन्द्र पाल सिंह का निधन भारतीय हाकी की बहुत बड़ी त्रासदी : अशोक कुमार ध्यानचंद

रविन्द्र पाल सिंह निधन पर अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा है कि आज भारतीय हाकी के लिए अवसाद से भरा वह दुखद समाचार मिला जिसकी हमने किसी ने भी कलपना नही की थी की भारतीय हाकी का बेहतरीन खिलाडी रविन्द्र पाल सिंह यूँ हमे अलविदा कह देगा।

अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा है कि कल ही की बात है जब मैंने उनके स्वास्थ लाभ के लिए शुभकामनाएं दी थी पूरे देश ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की । देश भर से सैकडो संदेश उनके जल्द स्वस्थ होने के प्राप्त हुए लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था ।

अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा है कि एक नेक दिल निहायत ही शरीफ ईमानदार इन्सान और बेहतरीन खिलाडी ने आज हमारा साथ छोड दिया नियती ने हमसे रवींद्र पाल सिंह को छीन लिया उनके चाहने वालों ने मिलकर उनके लिए जो भी मदद हो सकी जुटायी, डॉक्टरो नर्सिंग स्टाफ ने रवीद्र पाल सिंह को बचाने के लिय भरसक प्रयास किये पर उन्हे नही बचाया जा सका ।

अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा है कि आज सुबह उन्होने अपने जीवन की अन्तिम सांस ली। जो खिलाडी अपने पूरे खेल जीवन मे मैदान पर अपनी सांसो की दमखम से देश के मान सम्मान विजय के लिए दौडते रहा उन्ही सांसोंं ने आज रविन्द्र पाल सिंह को धोखा दे दिया और हम सब बेबस अवाक खडे के खडे रह गये।

अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा है कि  जब मैं अपने इंटरनेशनल केरियर को अलविदा कह रहा था तब ये सारे खिलाडी जिनमे रविन्द्र पाल सिंह भी शामिल थे भारत की टीम से इंटरनेशनल खेलने के लिए तैयार हो रहे थे और हमारी विरासत को सँभालने अपने मजबूत इरादो से उसे आगे बढाने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो रहे थे उन्ही मे से एक शानदार खिलाडी रवीद्र पाल सिंह ने आज हमे अलविदा कह दिया।भारतीय हाकी के लिए रविन्द्र पाल सिंह का निधन बहुत बड़ी त्रासदी है जिसका भरा जाना असंभव है।

आज रविन्द्र पाल सिंह के निधन से पूरा हाकी जगत शोक के सागर मे डुबा हुआ है। उनके असमायिक निधन से हम सब स्तब्ध और शोकाकुल है ।भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को दुख सहने की शक्ति दे।

यूपी में शोक की लहर

यूपीओए महासचिव डा. आनन्देश्वर पाण्डेय नेे अपने शोक संदेश में कहा कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे व शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहने की ताकत दे।

डा.आनन्देश्वर पाण्डेय ने दिवंगत आत्मा के खेल में योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि रविंदर पाल ने मास्को ओलंपिक-1980 में भारतीय हॉकी टीम को स्वर्ण पदक दिलवाने में अहम भूमिका निभाई थी।

यूपी ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष विराज सागर दास ने भी शोक संवेदना जताते हुए इसे भारतीय हॉकी सहित पूरे खेल जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति बताया।

यूपी के खेल निदेशक डा.आरपी सिंह (महासचिव, यूपी हॉकी) ने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री रविंदर पाल आज केे हॉकी खिलाड़ियों के लिए रोल मॉडल थे और जब हॉकी के प्रमोशन के लिए जरूरत पड़ती थी वो हर समय तैयार रहते थे।

इसके साथ उत्तर प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मनीष कक्कड़, यूपी बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष डा.नवनीत सहगल (आईएएस), यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष डा.सुधर्मा सिंह व सचिव अरूण कक्कड़, हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष विनय कुमार सिंह, कराटे एसोसिएशन ऑफ यूपी के अध्यक्ष टीपी हवेलिया व सचिव जसपाल सिंह, यूपी ताइक्वांडो एसोसिएशन के सचिव चंद्र कुमार शर्मा, यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा, उत्तर प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य व लखनऊ ओलंपिक एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष सैयद रफत, यूपी टेबल टेनिस एसोसिएशन के सचिव अरूण बनर्जी व यूपी ओलंपिक एसोसिएशन के सह सचिव आनन्द किशोर पाण्डेय सहित कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने भी रविंदर पाल सिंह के निधन पर शोक संवदेना प्रकट की।

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