Friday - 5 January 2024 - 6:58 PM

अमेरिका की धरती पर आयोजित ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ के मायने

अफगानस्तान के ज्वलंत हालातों के मध्य चीन ने पर्दे के पीछे से हिन्दुओं पर प्रहार करने का एक नया षडयंत्र शुरू कर दिया है।

हिन्दुओं को कट्टरपंथी मानते हुए अमेरिका के 50 से अधिक यूनीवर्सिटीज़ के छात्रों के एक समूह विशेष के तत्वावधान में सम्मेलन शुरू कराया गया है।

‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ के नाम से चलाये जा रहे इस आंदोलन के लिए चीन व्दारा अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग करने की जानकारी प्राप्त हो रही है।

अमेरिका की धरती का उपयोग करके जिस तरह से हिन्दुओं के विरुध्द खुले आम अपमानजनक काम किया जा रहा है, उससे चीन के साथ अन्य देशों का सहयोगी होने की भी आहट स्पष्ट सुनाई दे रही है। जबकि हिन्दुत्व एक परम्परा और संस्कृति है, जिसे जीवन के मूल्यों का आधार माना जाता है।

‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ के आदर्श वाक्य को आचरण में उतारने वालों के विरुध्द षडयंत्र किया जा रहा है। इस कृत्य के पीछे स्वार्थ की बुनियाद पर स्वयं का शीशमहल खडा करने की मंशा साफ दिख रही है।

कट्टर पंथियों को मान्यता देने वाले आज हिन्दुत्व की जीवन शैली पर प्रश्नचिंह खडे कर रहे हैं। अन्य सम्प्रदायों को स्वीकारने वाले भी उन्हीं के पक्षधर बनकर अपनी मनोवृत्ति की खुला परिचय स्वयं ही दे रहे हैं।

ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि आखिर चीन पोषित वह समूह जो ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ का आयोजन कर रहा है, आखिर इसकी अभी ही आवश्यकता क्यों महसूस हुई। वर्तमान में दुनिया के सामने तो अफगानस्तान की समस्या और तालिबान का आतंक तांडव कर रहा है। ज्वलंत मुद्दों को दर किनार करते हुए अचानक हिन्दु, हिन्दुत्व और हिन्दुस्तान को क्यों सुर्खियों में घसीटा जा रहा है।

कहीं इसके पीछे संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की कूटनैतिक सफलता तो नहीं है जिससे अफगानस्तान के मुद्दे पर चीन और रूस को धूल चाटना पडी। तालिबान के घोषित आतंकवादियों को अफगानस्तान सरकार में मुख्य पदों पर स्थान मिला है ऐसे में उसे मान्यता दिलवाना टेढी खीर प्रतीत हो रही है। सो तालिबान के पक्ष में वातावरण निर्मित करने में जुटे राष्ट्रों ने विश्व का ध्यान भटकाने हेतु हिन्दुत्व को कट्टरपंथी बताना शुरू कर दिया।

यह भी पढ़े :शिवेसना का यूटर्न, राउत बोले- यूपी चुनाव में 100 सीटों पर उतारेंगे उम्मीदवार

यह भी पढ़े : हार्दिक पटेल ने बताया कि विजय रूपाणी की क्यों गई कुर्सी?

हिन्दुओं को निशाने पर लेने के लिए जहां आतंकवादियों के अनेक संगठन खुलेआम खूनखराबा कर रहे हैं वहीं कम्युनिष्टी सोच से पैदा किये गये अनेक समूह भी पूरी ताकत से सक्रिय हैं। कहीं मजदूरों को अधिकार दिलाने के नाम पर लाल झंडा लगा दिया जाता है तो कहीं छात्रों को नेतृत्व में भागीदारी के लिए उकसाया जाता है।

रंगमंच से लेकर साहित्य सृजन के बहाने सनातन संस्कृति और संस्कारों पर चोट की जाती है। खुद को बुध्दिजीवी समझने वाले हिन्दुओं को ही हिन्दुओं से लडाने के पैतरे चल रहे हैं। दूसरी ओर अमेरिका की छुपी हुई नीतियां विश्व के लिए बेहद घातक साबित हो रहीं हैं।

यह भी पढ़े : ओपी चौटाला के कार्यक्रम से नीतीश कुमार ने इसलिए बनाई दूरी 

यह भी पढ़े : …तो इस वजह से भाजपा चुनावी राज्यों में बदल रही सीएम 

यह भी पढ़े :  रामविलास पासवान की पहली बरसी पर पीएम मोदी ने क्या कहा?

तालिबान को एक विकसित राष्ट्र की तरह शक्ति संपन्न बनाने हेतु अमेरिका ने अपने सैन्य उपकरणों, घातक हथियारों और गोला-बारूद उपहार स्वरूप भेंट कर दी। उसे मालूम था कि प्लेन, हैलीकाप्टर, टैंक आदि चलाने के लिए पाकिस्तान से प्रशिक्षित सैनिक तालिबानी बनकर पहुंच जायेंगें।

इजराइल के संकट के दौर में भी अमेरिका की दोगली नीति सामने आई थी। आज यदि अमेरिका की धरती से हिन्दुत्व के विरुध्द पनप रहे षडयंत्र की दुर्गन्ध सम्मेलन के रूप में सामने आ रही है, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

हिन्दुओं में से अनेक जयचन्द चुन लिये गये हैं, जो स्वयं के स्वार्थ की पूर्ति हेतु अपनों पर ही कुठाराघात करने के लिए तैयार रहते हैं। देश की राजनीति से लेकर समाजसेवा तक के बहुआयामी कारकों में इन जयचन्दों की महात्वपूर्ण भूमिका तय करवा दी जाती है।

यह भी पढ़े : विजय रूपाणी के इस्तीफा देने की क्या है वजह?

यह भी पढ़े :  एक तस्वीर धुंधली ही सही,मगर यह भी है आज के अफगानिस्तान की 

यह भी पढ़े :  व्यंग्य / बड़े अदब से : चिन्दी चिन्दी हिन्दी

आज अमेरिका की धरती पर आयोजित ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ के बहाने पूरी दुनिया को तालिबानी समस्या से दूर करना है। यह उस कम्युनिष्ट विचारधारा वाले देश की स्पष्ट चाल है जो अपने देश में तानाशाही का पर्याय बना है।

ऐसे में अब समूचे राष्ट्र को एक जुट होकर विश्व मंच पर न केवल विरोध दर्ज कराना चाहिए बल्कि चीन की चालों और अमेरिका की छुपी नीतियों को भी उजागर करना चाहिए ताकि पर्दे के पीछे की शेष कहानी भी लोगों को पता चल सके। इस बार बस इतना ही। एक नई आहट के साथ अगले सप्ताह फिर मुलाकात होगी।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com