Friday - 5 January 2024 - 9:43 PM

प्रधानमंत्री मोदी का बांग्लादेश में क्यों हो रहा है विरोध

न्यूज डेस्क

बांग्लादेश की सड़कों पर शुक्रवार को हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। ये सभी अपनी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में सड़क पर उतरे थे। सभी गुस्से में थे और एक सुर में पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे को रद्द करने की मांग कर रहे थे। दरअसल इनका विरोध दिल्ली में 24-26 फरवरी को हुई सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ था।

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की अप्रैल में 100वीं जयंती है। उनकी जयंती के अवसर पर बांग्लादेश सरकार भव्य समारोह करने जा रही है और इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं।

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना समारोह में भारतीय प्रधानमंत्री को बतौर मुख्य अतिथि बुलाने से पीछे हट जाएं और इस न्योता को रद्द किया जाए। वहीं प्रधानमंत्री मोदी 17 मार्च को बांग्लादेश के दौरे पर जाने वाले हैं।

दिल्ली हिंसा और प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के खिलाफ हुए प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।  साकिबुल हक @SakibulHoque8 नाम के एक ट्विटर यूजर्स ने ऐसा ही एक वीडियो शेयर किया, जिसमें हजारों की तादाद में लोग नारेबाजी करते हुए नजर आए।

साकिबुल हक के ट्वीट में कहा गया है, ‘बांग्लादेश में पीएम मोदी की यात्रा के खिलाफ लोगों ने राजधानी ढाका में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि वो पीएम मोदी को यहां नहीं आने देंगे। अगर सरकार मोदी को दिया निमंत्रण रद्द नहीं करती है तो 17 मार्च को एयरपोर्ट बंद कर दिया जाएगा।’

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एक दूसरे ट्विटर यूजर इरशाद खान @ershadkhandu एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा हैं, ‘बांग्लादेश में लोग मोदी का दौरा रद्द कराने के लिए सड़कों पर हैं।’

इसी तरह टीआरटी वर्ल्ड न्यूज ने भी एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे के खिलाफ करीब पांच हजार लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। लोगों ने सड़कों पर आकर नारेबाजी की। बंग्लादेश में भारतीय दूतावास के बाहर भी प्रदर्शन किए गए।’

गौरतलब है कि दिल्ली में हुई हिंसा पर कई मुस्लिम देशों ने विरोध जता चुके हैं। इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की और बांग्लादेश समेत
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने इसकी कड़ी निंदा की थी।

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने एक बयान में कहा था कि संगठन भारत में मुसलमानों के खिलाफ हाल में हुई खतरनाक हिंसा की निंदा करता है। जिसमें निर्दोष लोगों की जान गंवानी पड़ी और मुस्लिम स्वामित्व वाली संपत्तियों और मस्जिदों में आगजनी और बर्बरता हुई। हिंसा को जघन्य करार देते हुए, संगठन ने पीडि़त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

वहीं अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने भी दिल्ली में हुई हिंसा पर चिंता जताते हुए भारत सरकार से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने की अपील की थी।

ईरान ने दिल्ली दंगों को लेकर आपत्ति जताते हुए चिंता जताई थी। ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के अलावा सर्वो’च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने भारत में मुसलमानों के खिलाफ सुनियोजित हिंसा की बात कही। उन्होंने अपने बयान में कहा कि भारत में मुसलमानों पर ज़ुल्म हो रहा है और दुनिया भर के मुसलमान इससे दुखी हैं।

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जावेद जरीफ ने भी अपने ट्वीट में लिखा था, ”भारत में मुसलमानों के खिलाफ प्रायोजित हिंसा की ईरान निंदा करता है। सदियों से ईरान और भारत दोस्त रहे हैं। मैं भारत की सरकार से आग्रह करता हूं कि सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करे।”

मालूम हो कि दिल्ली हिंसा में अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस हिंसा में 200 से ज्यादा  लोग घायल हुए हैं। दर्जनों लोग अभी भी लापता हैं। इस हिंसा के दौरान दंगाईयों ने सैकड़ों घरों के आग के हवाले कर दिया था। दुकानों, गोदाम, वाहन और सार्वनिजक संपत्ति को हिंसा के दौरान बड़े पैमान पर नुकसान पहुंचाया गया। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हिंसा का सबसे ज्यादा  असर शिव विहार, चांद बांग, मुस्तफाबाद, ब्रिजपुरी, कर्दमपुरी जैसे इलाकों में देखने को मिला।

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