Sunday - 7 January 2024 - 8:42 AM

मोदी और बाइडेन की बैठक को लेकर चीन ने क्या कहा?

जुबिली न्यूज डेस्क

अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच बने ‘क्वॉड समूह’  की पहले बैठक से कुछ घंटे पहले चीन की ओर से एक बयान आया है।

चीन ने कहा है कि ‘देशों के बीच आदान-प्रदान और परस्पर सहयोग आपसी समझ और विश्वास को बेहतर करने के लिए होना चाहिए, ना कि किसी तीसरे पक्ष और उसके हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए।’

चीनी मीडिया ने क्वॉड समूह की पहली बैठक को बहुतही बारीकी से कवर किया गया। चीनी सरकारी मीडिया ने इस बैटक को लेकर कई रिपोर्ट लिखी हैं जिनमें व्यापक रूप से इसे ‘अमेरिका के नेतृत्व वाला एक प्रयास बताया गया है, ताकि मिलकर चीन को रोका जा सके।’

वहीं शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने क्वॉड-बैठक से संबंधित एक प्रश्न के जवाब में कहा, “चीन को उम्मीद है कि ये देश खुलेपन और समावेशी नजरिये का ध्यान रखेंगे, ताकि सबका भला हो। इसके अलावा ये किसी ‘एक्सक्लूसिव ब्लॉक’ को बनाने से बचेंगे और उन्हीं कामों को करेंगे जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल हैं।”

क्वॉड-बैठक पर कुछ चीनी विशेषज्ञों ने कम ऊर्जा खर्च करने की सलाह दी है और कहा है कि ‘क्वॉड की बैठक को अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।

पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के पूर्व वरिष्ठ कर्नल चाऊ बो ने चीनी सरकारी प्रसारक ‘चाइना ग्लोबल टीवी नेटवर्क’ से बातचीत में कहा कि “चीन को इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।”

चाऊ बो ने कहा, “मैं आपको एक वाक्य में क्वॉड पर अपनी टिप्पणी दे सकता हूँ। इन चार देशों में से कोई भी अन्य तीन देशों के हितों के लिए अपने स्वयं के हितों (चीन के संबंध में) का बलिदान नहीं करना चाहेगा।”

उन्होंने चारों देशों के चीन के साथ मौजूदा व्यापारिक संबंधों का हवाला देते हुए यह बात कही।

चाऊ बो ने कहा, “अगर आप क्वॉड में शामिल चारों देशों से पूछते हैं कि ‘क्या आप चीन के खिलाफ हैं’ या ‘एक चीन-विरोधी क्लब हैं’ , तो वो साफ इनकार करते हैं। ऐसे में मेरा निष्कर्ष यह है कि क्वॉड निश्चित रूप से चीन की वजह से स्थापित किया गया है, पर वो ये कह नहीं सकते कि यह चीन के खिलाफ है। इसे अगर एक सैन्य गठबंधन के रूप में देखा जाये, तो भारत साफतौर पर इससे पूरी तरह इनकार करेगा।”

उन्होंने कहा कि “क्वॉड अभी विकसित हो रहा है और अपना आकार ले रहा है, लेकिन यह तय नहीं है कि ये सैन्य या आर्थिक, किस रास्ते पर जायेगा।”

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क्वॉड बैठक के बाद 18 मार्च को अमेरिका और चीन के बीच एक उच्च-स्तरीय बैठक होने वाली है, जिसमें दोनों सरकारों के विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधि आपस में बात करेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे एक ‘उच्च-स्तरीय रणनीतिक वार्ता’  कहा है।

चीन ने कहा है कि वो बाइडन प्रशासन के साथ नये सिरे से बातचीत करना चाहता है, लेकिन पिछले चार वर्षों के तनावपूर्ण संबंधों का दोष उसने अमेरिका पर ही डाला है।

वहीं, जो बाइडन प्रशासन ने अब तक के अपने बयानों में यह संकेत दिये हैं कि वो चीन के संबंध में पिछले प्रशासन की कुछ नीतियों को जारी रख सकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के मुताबिक , अमेरिका-चीन रिश्तों पर चीन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है।

उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि अमेरिका, चीन के साथ अपने संबंधों को उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत तरीके से देखे। शीत-युद्ध की स्थिति को दरकिनार करे और चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों का सम्मान करना सीखे। साथ ही वो चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर दे। ”

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