Wednesday - 10 January 2024 - 4:30 AM

कैसे हुआ करोड़ों का ‘विकास’, ED ने शुरू की जांच

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या करने के दोषी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अब उसकी नामी और बेनामी सभी चल-अचल संपत्तियों की जांच की जाएगी। दुर्दांत क्रिमिनल विकास दुबे करोड़ो का मालिक कैसे बना इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगी।

विकास की संपत्तियों के साथ ही उसके आकाओं और फाइनेंसर्स को भी अब खंगाला जाएगा। फिलहाल विकास के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई है। पुलिस महानिरीक्षक कानपुर से ब्योरा मांगा गया है कि विकास दुबे के सहयोगियों से पुलिस को क्या-क्या मिला है।

ईडी ने विकास दुबे की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। ईडी ने यूपी पुलिस से विकास दुबे और उसके परिवार के सदस्यों, सहयोगियों के साथ आपराधिक गतिविधियों में सहयोगियों का विवरण मांगा है। प्रवर्तन निदेशालय ने विकास दुबे के खिलाफ आपराधिक मामलों की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी मांगी है।

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पुलिस की पुछताछ में पता चला है कि विकास दुबे के नाम से लखनऊ में दो बड़े मकान हैं। जय बाजपेयी, जो कि विकास दुबे का फाइनेंसर और सबसे विश्वस्त था, उसके माध्यम से विकास दुबे ने अपनी काली कमाई का हिस्सा दुबई और थाईलैंड में निवेश किया है।

ईडी को जानकारी मिली है कि बीते तीन वर्ष में विकास दुबे ने 15 देशों की यात्रा की थी। संयुक्त अरब अमीरात और थाईलैंड में एक-एक पेंटहाउस भी खरीदा था। इसके बाद हाल में ही उसने लखनऊ में लगभग 20 करोड़ की प्रॉपर्टी खरीदी थी।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के पहले के करीब 6.30 करोड़ रुपये की नगदी को विकास दुबे ने 2% सूद पर चलाया था। बताया जा रहा है कि जय बाजपेयी ने इस 2% को 5% छूट पर मार्केट में दे रखा है। विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे से पुलिस ने कई मामलों में पूछताछ की है। खासकर नेताओं और व्यापारियों के साथ संबंध को लेकर भी पूछताछ हुई है।

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विकास को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद अब यूपी पुलिस उसके मददगारों और अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है। विकास के गुर्गों को शरण देने के आरोप में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस अब उन लोगों को दबोचने में जुट गई है, जिन्होंने एनकाउंटर से पहले कानपुर के बिकरू गांव से विकास के भागने और पनाह देने में मदद की थी।

गौरतलब है कि दो जुलाई की घटना के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट कर दिया गया था। खासतौर से दूसरे राज्यों के सीमावर्ती जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया था। बावजूद इसके विकास दुबे तीन बार नोएडा गया और पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई।

एनकाउंटर से पहले उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान विकास ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए थे। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि विकास दुबे ने अपनी आवासीय योजना में कई पुलिसवालों को सस्ते दामों में प्लॉट दे रखे थे। उसने यह भी बताया कि कुछ पुलिसकर्मियों को महीने में रकम भी पहुंचवाता था। एसटीएफ इन पुलिसकर्मियों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

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विकास ने रास्ते में हुई पूछताछ के दौरान बताया कि दो जुलाई के बाद वह दो दिन तक कानपुर देहात के शिवली में अपने करीबी के घर रुका था। फिर वहां से फरीदाबाद जाना तय किया। उसने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और नोएडा के रास्ते फरीदाबाद गया।

सूत्रों के मुताबिक उज्जैन के एक शराब कारोबारी की मदद से विकास ने वहां (उज्जैन) कथित सरेंडर किया था। इस शराब कारोबारी की मध्य प्रदेश में काफी करीबी राजनीतिक संपर्क हैं। शराब कारोबारी का यह संपर्क विकास से भी जुड़ा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि विकास दुबे को उज्जैन में एक बुलेटप्रूफ जैकेट भी मुहैया कराई गई थी। हालांकि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

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