Saturday - 6 January 2024 - 3:33 AM

यूपी की जनसंख्या नीति पर विहिप ने उठाए सवाल, जानिए क्या कहा?

जुबिली न्यूज डेस्क

विश्व हिंदू परिषद ने यूपी की जनसंख्या नीति पर सवाल उठाया है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि एक बच्चे की नीति से समाज में आबादी का असंतुलन पैदा होगा।

साथ में उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए क्योंकि इससे आबादी में निगेटिव ग्रोथ होगी।

उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग की ओर से तैयार किए गए जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पर विहिप के अलावा कुछ अन्य पॉप्युलेशन एक्सपर्ट संस्थानों ने भी सवाल उठाए हैं।

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दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तैयार मसौदे में दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों और योजनाओं से बाहर करने का प्लान है तो वहीं एक बच्चे के माता-पिता को इंसेंटिव देने की भी बात कही जा रही है।

बताया जा रहा है कि विहिप की ओर से सोमवार को लिखित में आपत्ति विधि आयोग को सौंपी जा सकती है। इसमें बिल के ड्राफ्ट से एक बच्चे वाले लोगों को इंसेंटिव देने का प्रावधान हटाने की मांग की जाएगी।

विहिप के अलावा भी लैंगिक और जनस्वास्थ्य के एक्सपर्ट्स ने सरकार की ओर से तैयार विधेयक पर सवाल उठाए हैं। पॉप्युलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की एग्जिक्युटिव डायरेक्टर पूनम मुतरेजा ने कहा कि देश या दुनिया का कोई भी डेटा यह नहीं कहा है कि भारत या फिर यूपी में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है।

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मुतरेजा ने कहा कि भारत में टोटल फर्टिलिटी रेट में कमी ही आई है। 1992-93 में भारत में फर्टिलिटी रेट 3.4 था, जो 2015-16 में घटकर 2.2 ही रह गया। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश भर का औसत 2.2 था, जबकि यूपी का 2.7 था। जो देशभर के मुकाबले अधिक है।

हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2025 तक उत्तर प्रदेश में आबादी की ग्रोथ का औसत राष्ट्रीय स्तर के बराबर ही हो जाएगा।

यूपी सरकार की नीति को लेकर महिला एक्सपर्ट्स ने भी चिंता जताई है। मुतरेजा ने कहा कि योगी सरकार की ओर से पुरुषों और महिलाओं की नसबंदी को प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन आमतौर पर फैमिली प्लानिंग के उपायों का बोझ महिलाओं पर ही दिया जाता रहा है।

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उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार की सख्ती के चलते महिलाओं की नसबंदी बढ़ सकती है और इससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर होगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के तमाम उपायों के बीच पुरुषों की नसबंदी का औसत 1 फीसदी से भी कम है।

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