Sunday - 7 January 2024 - 6:28 AM

…वर्ना जय श्री राम

सुरेन्द्र दुबे

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के बीच इन दिनों तुम मुझे निराला कहो, मैं तुमको पंत कहूंगा टाइप तारीफ प्रतियोगिता चल रही है। प्रधानमंत्री यह बताते नहीं थकते कि योगी जैसा मुख्यमंत्री होना मुश्किल है।

हाल ही में प्रधानमंत्री ने कहा था कि योगी जी के प्रयास से उत्तर प्रदेश में बहुत उद्योग आएं है। इसका प्रभाव छोटे शहरों और गांवों में दिखने लगा हैं। अब जनता दूरबीन लेकर ऐसे गांवों को ढूंढ रही है। पता नहीं मोदी जी योगी जी की तारीफ कर रहे हैं या जनता को कुछ न किए जाने की याद दिला रहे हैं।

योगी जी भी अब पुराने खिलाड़ी हो गए है है। वह भी ट्वीट करके बताते रहते हैं कि मोदी जी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बाद अब ब्लॉक अध्यक्ष के चुनाव में लाठी के बल पर लोकतंत्र को हाका जा रहा है। उसको देखकर लगता है कि लोकतंत्र को फिर से परिभाषित करना पड़ेगा।

लोकतंत्र के सभी भीष्म पितामह असहाय से बैठे है। दुर्योधन का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वह द्वापर से चलकर लखीमपुर खीरी में भी द्रौपदी का चीर हरण करने चला आया। चीर हरण के कारण ही महाभारत का युद्ध हुआ था। अब यूपी में भी युद्ध का शंखनाद हो चुका है।

अर्जुन धनुष-बाण लिए अपने घरों में छिपे हुए है। धृतराष्टï्र खुद तो अंधे हैं ही, दूसरों की आंखों पर भी पट्टी बंधवाने का अभियान चला रखा है। ये पता लगाना मुश्किल है कि कौन अंधा है और कौन अंधा होने का नाटक कर रहा है। भगवान कृष्ण खुद परेशान है कि किसे गीता सुनाएं। ये भी नहीं कह सकते कि वही असली करता हैं। वरना टीआरपी वाले उन्हीं का बैंड बाजा देंगे।

यह भी पढ़ें : बड़े अदब से : परपंच से पंचायत तक

ये भी पढ़े:  इतने अच्छे दिनों की उम्मीद न थी

ये भी पढ़े:  क्या मोदी के सितारे गर्दिश में है?

मोदी जी ने तो मंत्रिमंडल को तोड़-मरोड़ कर अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़कर अपने चेहरे पर नया क्रीम-पाउडर लगा लिया है। वो अब फिर सुंदर दिखने लगे हैं। योगी जी ने कोई तोडफ़ोड़ नहीं की। यहां तक कि अरविंद शर्मा नाम का परफ्यूम भी नहीं लगाया। बगैर मेकअप के लीला जारी है। पुलिस पहले भी ठोक रही थी, अब भी ठोक रहीं है। पुलिस जब थक जाती है तो गुंडों को ठोकने के काम पर लगा देती है।

वहीं विपक्ष ट्विटर पर बैठकर एक दूसरे को ठोकने में लगा है। विपक्ष भी जब सत्ता में था तो ऐसे ही अकड़ कर चलता था। हो सकता है आज के लोग ज्यादा अकड़ रहे हों, पर रास्ता तो उन्होंने ही दिखाया। जो लोग विधान सभा का चुनाव लडने के मूड में हैं, उन्हें इस बात का जुगाड़ अभी से सोच लेना चाहिए कि वे नामांकन कराने के लिए कचहरी तक पहुंचेंगे कैसे। चुनाव आयोग तो छुट्टी पर चल रहा है…पुलिस भी यही होगी…गुंडे भी यही होंगे…हमारा क्या? कोई चुनाव लड़ पाएगा तो वोट दे आयेंगे वरना जय श्री राम।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

ये भी पढ़े: रस्‍सी जल गई पर ऐठन नहीं गई

ये भी पढ़े: नेहरू के नाम पर कब तक कश्‍मीरियों को भरमाएंगे

ये भी पढ़े: ये तकिया बड़े काम की चीज है 

ये भी पढ़े: अब चीन की भी मध्यस्थ बनने के लिए लार टपकी

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com