सुरेंद्र दुबे
भारतीय जनता पार्टी में अनुशासन का चाबुक बड़ा सोच समझकर चलाया जाता है। जिसकी पीठ जितनी ज्यादा मजबूत होती है, उसपर उतना ही कम चाबुक चलने की संभावना रहती है, क्योंकि ऐसे लोगों की पीठ पर बड़े-बड़े नेताओं की तकिया बंधी होती है। जो नेता सिर्फ अपनी पीठ के भरोसे रहते हैं उनपर चाबुक जरूर पड़ता है।
आइए सबसे पहले उत्तराखण्ड के बीजेपी के निंलबित विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का ही मामला लेते हैं। जनाब बॉडी बिल्डर हैं सो कभी-कभी अपनी बॉडी दिखाने के लिए दंबगई पर उतर आते हैं। सो एक दिन जोश में आकर असलहे लहराते तथा म्यूजिक पर ठुमके लगाते हुए अपना वीडियो खुद वायरल कर दिया। सुना है लगाए हुए भी थे इसलिए झूमते हुए भी नजर आ रहे थे।
अब वीडियो वायरल हुआ तो मीडिया ने हंगामा कर दिया। हंगामा हुआ तो अपनी लाज बचाने के लिए भाजपा ने चैंपियन साहब को सस्पेंड कर दिया। इनका कसूर सिर्फ इतना ही था कि असलहे लहराते हुए वीडियो में दिखाई दे रहे थे। अगर इनकी पीठ पर एक आध भी किसी बड़े नेता का तकिया बंधा होता तो फिर ये सस्पेंड नहीं होते।
इस प्रकरण की याद उन्नाव के रेप कांड की पीड़िता की कल एक कार दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो जाने की खबर पढ़ने के बाद आई, जिसके रेप के कथित आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर इस समय जेल में बंद हैं। यह कांड महीनों तक सुर्खियों में रहा था। कोर्ट जब सजा देगा तब देगा पर इतना घिनौना आरोप लगने पर पार्टी को विधायक को कम से कम सस्पेंड जरूर कर देना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो इससे पार्टी की छवि में चार चांद लगते। पर लगता है तकिया काम आ गया वर्ना सस्पेंशन तो बनता ही था। सुनते हैं इनकी पीठ पर तो कई नेताओं के तकिए बंधे हैं।
अब आप तकिए का कमाल देखिए। इंदौर से भाजपा के विधायक हैं आकाश विजयवर्गीय, जिन्होंने नगर निगम के एक आला अधिकारी की सरेआम क्रिकेट बैट से पिटाई कर दी जो बेचारा अपनी डूयूटी निभाते हुए एक जर्जर मकान को गिराने गया था। इसका वीडियो भी वायरल हो गया। मीडिया ने खूब हंगामा काटा। फिर भी साहबजादे पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। कैलाश विजयवर्गीय ने तो अपने बेटे के बचाव में मीडिया को उनकी औकात तक बता दी। ये मामला भाजपा में शीर्ष स्तर तक गया और कहा गया कि ऐसे लोगों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं हो सकती। जनता को लगा अब बाप-बेटे दोनों की खैर नहीं। कम से कम बेटे का निलंबन तो होगा ही। पर दोनों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि तकिया यहां भी काम आ गया। वैसे तो कैलाश विजयवर्गीय खुद एक मोटी तकिया हैं तो अनुशासन का चाबुक उनके बेटे पर कैसे चल सकता था?
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का गोड़से सम्मान कांड तो आप लोगों को याद ही होगा, जिस समय लोकसभा के चुनाव हो रहे थे तब साध्वी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोड़से को देश भक्त बताते हुए कहा था कि उनकी नजर में नाथूराम गोड़से देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे। प्रज्ञा ठाकुर ने नाथूराम की प्रशंसा में तीन-तीन बार देश भक्त का इस्तेमाल किया। ताकि उनकी दिली भावनाएं जनता अच्छी तरह से समझ ले, किसी तरह का कोई भम्र न रहे।
महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता हैं और इस शताब्दी के दुनिया के सबसे बड़े नायक हैं। उनके हत्यारे को देश भक्त कहने से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता है। जब बहुत हो हल्ला मचा तो साध्वी प्रज्ञा ने अपने बयान पर माफी मांग ली। एक कार्यक्रम में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां तक कह दिया कि साध्वी ने भले ही अपने बयान के लिए माफी मांग ली पर वह स्वयं उन्हें कभी-भी दिल से माफ नहीं कर पाएंगे। उस समय ऐसा लगा कि अब तो साध्वी पर तड़ाक से चाबुक चलेगा ही। पर कुछ नहीं हुआ। क्योंकि उनकी पीठ पर भी बड़े-बड़े तकिया बंधे हैं।
साध्वी प्रज्ञा के पास कितने बड़े-बड़े तकिया बंधे हैं इसका अंदाज आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हाल ही में उन्होंने एक बयान देकर कहा था कि वह कोई सांसद हैं और उनका काम झाडू लगवाना और नाली साफ कराना नहीं है। यह बयान उन्होंने तब दिया जब कुछ दिन पूर्व ही संसद परिसर में सांसदों ने झाडू लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता कार्यक्रम की महत्ता बढ़ाई थी। शोरगुल मचा तो भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें डांट लगाकर अनुशासन का छोटा सा चाबुक उनके सामने लहरा भर दिया। अब पता नहीं साध्वी प्रज्ञा के पास कितने बड़े-बड़े तकिए हैं जिनपर बैठकर वह तकिया कलाम लिखती रहती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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