Tuesday - 9 January 2024 - 2:45 PM

झारखंड सरकार की इस लिकर पालिसी से होगा राज्य के राजस्व का बड़ा नुक्सान

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

रांची. झारखण्ड में लिकर उद्योग के हितधारकों और उपभोक्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा नई एक्साइज़ पॉलिसी बनाने के कथित कदम पर आंशका जताई है. जिसके लिए सरकार छत्तीसगढ़ मॉडल को दोहराना चाहती है और साथ ही वितरण एवं रीटेल सेल्स का नियन्त्रण विशेष रूप से राज्य निगम को देने पर विचार कर रही है.

झारखण्ड सरकार ने एक्साइज़ पॉलिसी पर सलाह लेने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम से संपर्क किया है. ऐसे में हितधारक झारखण्ड सरकार के इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ नीति को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और इस नीति के पीछे की मंशा को लेकर हैरानी जताई गई है.

झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और आस-पास के कई अन्य राज्यों में काम करने वाले एल्कोहल बेवरेज उद्योग के दिग्गजों के अनुसार, इस क्षेत्र में लिकर के सेवन की आदतें यहां की जनसांख्यिकी पर निर्भर करती हैं. ऐसे में मूल तथ्यों पर विचार किए बिना लिकर पॉलिसी को दोहराने से न सिर्फ राजस्व संग्रहण को नुकसान होगा बल्कि उपभोक्ताओं में भी उलझन बढ़ेगी, क्योंकि इस बात की पूरी संभावना है कि लिकर खरीदने वाले उपभोक्ता अपने पड़ोसी राज्यों से पसंदीदा ब्राण्ड खरीदना पसंद करेंगे.

लिकर के सेवन की आदतों पर बात करते हुए उद्योग जगत के दिग्गजों ने बताया कि झारखण्ड के उपभोक्ता भारत में निर्मित विदेशी लिकर को पसंद करते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के उपभोक्ता देश की अपनी लिकर को पसंद करते हैं. झारखण्ड की कुल आबादी 3.5 करोड़ है, जिसमें से आदिवासी आबादी 26 फीसदी है. वहीं छत्तीसगढ़ की कुल 2.5 करोड़ की आबादी में से आदिवासी आबादी 32 फीसदी है.

उद्योग जगत के दिग्गजों ने बताया कि पारम्परिक आदिवासी स्वदेशी लिकर को पसंद करते हैं. इस तथ्य की पुष्टि इस बात से होती है कि 2020-21 के दौरान 70.54 लाख मामलों में स्वदेशी लिकर बेची गई. इसके विपरीत इसी अवधि के दौरान झारखण्ड में 25.66 लाख मामलों में स्वदेशी लिकर बेची गई. स्पष्ट है कि झारखण्ड भारत में निर्मित विदेशी लिकर पर ज़्यादा निर्भर है.

आंकड़ों पर रोशनी डाली जाए तो 2020-21 में झारखण्ड में लिकर की कुल बिक्री में से 35 फीसदी बिक्री भारत में निर्मित स्वदेशी लिकर और बियर की हुई तथा 30 फीसदी बिक्री स्वदेशी लिकर की हुई. वहीं समान अवधि के दौरान छत्तीसगढ़ में लिकर की कुल बिक्री में से 26 फीसदी बिक्री भारत में निर्मित विदेशी लिकर की, 57 फीसदी स्वदेशी लिकर की और 17 फीसदी बिक्री बियर की हुई. इन सभी आंकड़ों को देखते हुए लिकर पॉलिसी और कारोबार के पहलू अलग होने चाहिए.

अचिन्त्य कुमार शॉ, प्रेज़ीडेन्ट, झारखरण्ड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने भी नई एक्साइज़ नीति का ज़ोरदार विरोध किया है. उन्होंने कहा कि तीन साल यानि 2016-19 तक झारखण्ड की लिकर शॉप्स का संचालन राज्य स्वामित्व की झारखण्ड राज्य बेवरेजेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाता था और इस दौरान राजस्व के लक्ष्य पूरे नहीं हुए.

उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि अगले तीन साल यानि 2019-22 के बीच लिकर शॉप्स प्राइवेट प्लेयर्स को दे दी गईं और अब यह तीन साल की अवधि समाप्त होने जा रही है. शॉ ने बताया कि इस अवधि में राज्य में कोविड लॉकडाउन के बावजूद एक्साइज़ के लक्ष्य पूरे हुए हैं.

शॉ ने कहा कि झारखण्ड सरकार द्वारा अपनाई गई छत्तीसगढ़ अडवाइज़री में राज्य एक्साइज़ विभाग के द्वारा गलत आंकड़े दिए गए हैं, इसमें तथ्यों को छिपाने के लिए सेल्स टैक्स को शामिल किया गया है. शॉ ने बताया कि उन्होंने इस विषय में राज्य के मुख्य सचिव और वित्तीय सचिव को लिखा है.

इन सब पहलुओं के बीच झारखण्ड में छत्तीसगढ़ लिकर पॉलिसी और मॉडल को दोहराने से राज्य सरकार सहित किसी भी हितधारक को लाभ नहीं होगा. ऐसे में, राज्य में लिकर चेन से जुड़े विभिन्न हितधारकों ने झारखण्ड सरकार से आग्रह किया है कि आगामी बजट में नई एक्साइज़ पॉलिसी की घोषणा करते समय व्यवहारिक कदम उठाएं. उन्होंने यह भी कहा है कि बोल्ड लिकर पॉलिसी से न सिर्फ सरकार का राजस्व बढ़ेगा बल्कि इस क्षेत्र में नया निवेश भी आकर्षित होगा और साथ ही रोज़गार के नए प्रत्यक्ष एवं परोक्ष अवसर भी उत्पन्न होंगे.

यह भी पढ़ें : वोट डालने भी सैफई नहीं पहुँचीं मुलायम की छोटी बहू

यह भी पढ़ें : अखिलेश की ओल्ड पेंशन स्कीम से पैदा हुए अंडर करंट ने उड़ा दिए सरकार के होश

यह भी पढ़ें : नदी में गिरी बारातियों की कार दूल्हा समेत नौ लोगों की मौत

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : यह सुबह-सुबह की बात है

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com