Sunday - 7 January 2024 - 6:08 AM

बंधुआ मजदूरों की आजादी, लेकिन संकट हजार

जुबिली पोस्ट ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 19 बंधुआ मजदूर उज्ज्वल भविष्य की सोच लेकर महाराष्ट्र गये। लेकिन वहां उन्हें इतनी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा ये किसी ने सोचा नहीं था। किसी की बेटी की शादी रूक जायेगी, किसी के बच्चें का भविष्य गर्दिश में चला जाएगा, किसी के पास पेट भरने तक का पैसा नहीं होगा ये सब सोचकर भी रूंह कांप उठती है।

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ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जहां उत्तर प्रदेश के 19 लोगों को बंधुआ मजदूरी करने के लिए विवश कर दिया गया। जब वे अपनी आवाज बुलंद करते तो उनके मारपीटा जाता और भद्दी गालियों का सामना करना पड़ता।

आपको बता दे कि यूपी के मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, सीतापुर के मजदूर तमाम आशाओं के साथ महाराष्ट्र के पुणे जिले में रोजगार के लिए गये, लेकिन वहां जिस कोलू में उन्हें काम मिला। वहां के मालिक ने उन्हें दस हजार रुपये पर काम दिया।

दो महीने गुजरने के बाद जब मजदूरों ने मजदूरी मांगी तब उनके परिजनों के साथ मारपीट होने लगी और पैसे के बदले उन्हें गालियां सुनने को मिलने लगी। एक मजदूर ने मौका देखकर एक्शन ऐड- असंगठित कामगार अधिकार मंच को इसकी सूचना दी।

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संगठन पदाधिकारी समय की बर्बादी न करते हुए तुरंत पड़ताल में जुट गये। एक्शन ऐड संस्था ने बंधुआ मजदूरी रोकने वाली संस्था हमाल पंचायत से संपर्क साधा और तुरंत एक्शन लेते हुए पुणे के जिला सर्तकता समिति को सूचित किया।

बचाव दल जब 27 अगस्त को पुने की तहसील शीरपुर के आले गांव पागा पहुंचकर मौके का जायजा लिया और श्रमिकों की दायनीय हालत देखकर दंग रह गया। सभी को वहां से छुड़वाकर मजदूरों में मिशाल कायम की।

बंधुआ मजदूरों में 13 पुरुष, 4 महिलाओं और बच्चों को वहां से आजाद कराकर कोलू के मालिकों पर एफआईआर दर्ज करवायी गयी और उन्हें जेल भेजा गया। मजदूरों ने बताया कि वे दो महीनों से वहां जेल के कैदी की तरह कार्य कर रहे थे। इसके एवज में उन 19 मजदूरों को केवल 30 हजार एडवांस दिये गए थे, इसके बाद उन्हें मजदूरी मांगने पर केवल गालियां और मारपीट का ही सामना करना पड़ा।

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बच्चों और महिलाओं के साथ भी अभर्द व्यवहार होता रहा। हर दिन मजदूरों से 18- 20 घंटे काम लिया जाता था, यदि कोई आराम करते पाया जाता तो उसके भी उन्हें बख्शा नहीं जाता था। यदि किसी ने घर जाने की बात कर दी तो उनकी पिटाई तय थी। हालांकि प्रशासन की कारवाई से मजदूरों के चेहरे जरूर खिल उठे है। लेकिन रोजगार का संकट उनकी मुसीबतें बढ़ा रहा है।

एक्शन ऐड एसोसिएशन के क्षेेत्रिय प्रबंधक खालिद चौधरी ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि यदि इन मजदूरों का पुर्नवास नहीं होता है तो वे भूखों मारने के लिए विवश हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि इनके लिए सरकार को आवासीय भूमि व खेती हेतु 5 एकड़ जमीन, रहने के लिए आवास की सुविधा, सामाजिक सुरक्षा के तहत राशन, स्वाथ्य, शिक्षा और रोजगार का प्रबंध जल्द से जल्द करना चाहिए। ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सके और उनके साथ दोबारा दोहन न हो।

श्रमिकों का दर्द जानकर झलक पड़ेंगे आंसू

सहारनपुर की महिला मजदूर शकुन्तला देवी बताती है कि उनसे जबरन 12 घंटे काम करवाया जाता था। 12 घंटे तक वे भट्टी की तपिश में खड़ी रहती थी और बेटी की शादी 15 सितम्बर को है। वो अपनी मजदूरी के लिए लगातार गिड़गिड़ाती रही लेकिन इसके बदले उसे केवल गालियां ही मिली।

मुजफ्फरनगर के रहने वाले आरिफ की माने तो रहने- खाने के लिए भी उसे स्थानीय लोगों से उधार पैसे लेने पड़े। जीशान की माने तो उसने जब अपनी मजदूरी मांगी तो उसे 3 दिन तक कमरे में बंद कर दिया गया।

घटनाएं रोकने के लिए ये कदम उठाने की जरूरत

एक्शन ऐड एसोसिएशन के खालिद चौधरी की मांग है कि पंचायत स्तर पर एक निगरानी रजिस्टर बनाना चाहिए, जिसमें जबरन पलायन के साथ ही सभी पलायन करने वाले श्रमिकों की सूचना दर्ज की जाये और रजिस्टर के अनुसार श्रमिकों के साथ फालोअप भी होना चाहिए।

इसके अलावा राज्य सरकार की तरफ से श्रमिकों के टोल फ्री नम्बर भी जारी होना चाहिए। इसके अलावा श्रमिकों की निगरानी व संकटग्रस्त श्रमिकों को त्वरित सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की जाएं।

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