Wednesday - 10 January 2024 - 8:43 AM

नए कानून से घुसपैठियों की नागरिकता को खतरा ?

राजीव ओझा

नए नागरिकता कानून का विरोध जारी है। जब से नया नागरिकता कानून बना है तब से हंगामा हो रहा है। सीएबी अब सीएए हो गया है। नए कानून को लेकर कोई संशय नहीं है। लेकिन गैर भाजपाई दलों ने जिस तरह इसकी व्याख्या की उसने मुसलमानों के डर को और बढ़ा दिया। अफवाहें फैलने लगी। वो लोग भी सड़कों पर आ गए जिन पर इस कानून से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अचानक हिंसक भीड़ का आकार बढ़ गया।

राजनीति असम से होते हुए दिल्ली में जामिया और उत्तर प्रदेश में एएमयू और नदवा के कैम्पस तक पहुँच गई। इस विरोध में छात्र भी कूद पड़े। आगजनी और पथराव शुरू हो गया। पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। सीमा पार से पकिस्तान हिंसा और टुकड़े टुकड़े गैंग को हवा देने लगा।

सुप्रीम कोर्ट छात्र हिंसा से सख्त नाराज है। मुलमान अनजानी आशंका से नाराज हैं। कांग्रेस की प्रियंका गांधी भारी ठण्ड में इंडिया गेट पर धरना देकर माहौल को गरमाने की कोशिश में जुट गई हैं।

सब कानून का विरोध कर रहे हैं लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि नए क़ानून में ऐसा क्या है जिसका वो विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वालों को पता ही नहीं कि विरोध किस प्रावधान को लेकर है। इस समय झारखण्ड में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। दिल्ली, बिहार औरब बंगाल में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। चाहे आम आदमी पार्टी हो, कांग्रेस हो या इस कानून के विरोधी अन्य दल, वोटबैंक की राजनीति करने दलों को समझ नही आ रहा कि इस क़ानून का विरोध अगर और बाढा तो मतदाताओं का ध्रुवीकरण तेज होगा।

ध्रुवीकरण से किसको फायदा होगा यह सब को मालूम है। कानून को बिना समझे विरोध करने वाले या तो जाहिल हैं या जानबूझ कर राजनीतिक दलों का मोहरा बन रहे हैं। कानून के विरोध से नुकसान जनता का ही होगा। कानून तो बन गया, उसका पालन भी करना पड़ेगा। लेकिन अब राजनीति हो रही है।

पहले असम, फिर दिल्ली, अलीगढ़ और अब लखनऊ। विरोध लखनऊ के नदवा कॉलेज में भी हुआ है। चिंता की बात है की राजनीति करने वाले छात्रों को भड़का रहे हैं, वो छात्र जिनकी नागरिकता पर कोई खतरा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में छात्रों को चेतवानी दी है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून हाथ में नहीं ले सकते छात्र, शांति होगी तो ही केस की सुनवाई होगी। जामिया और अलीगढ़ में रविवार को जो हुआ उसे देख ऐसा लगता है कि सिर्फ जेएनयू में ही नहीं अलीगढ़ और जामिया यूनिवर्सिटी में भी टुकड़े टुकड़े गैंग वाले सक्रिय है और इन गैंग का सरगना पाकिस्तान में है।

कश्मीर में पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया। उसका फ्रास्टेशन निकालने के लिए अब वह हर ऐसे मौके की तलाश में रहता है जिसमें उसे भारतीय मुस्लिम समाज के लोगों का समर्थन मिलने की उम्मीद होती है। ताजा उदाहरण नागरिकता संशोधन कानून है।सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के आसिफ गफूर भारतीय टुकड़े टुकड़े गैंग के सगना बने हुए हैं। टुकड़े टुकड़े गैंग की हरकतों से तो यही लगता कि पाकिस्तान, बांग्लादेश के घुसपैठिये और रोहिंग्या सिर्फ असम या बंगाल में ही नहीं हैं, उनके ठिकाने एनसीआर, उत्तर प्रदेश में भी हैं। जेएनयू, एएमयू, जामिया और नदवा जैसे संस्थानों में इनके ठिकाने हैं। इसी के चलते इन संस्थानों को कुछ दिन के लिए बंद करना पड़ा है।

कानून का विरोध पाकिस्तान और कांग्रेस दोनों कर रहे

अब सवाल उठाता है कि कांग्रेस या अन्य कुछ छोटे प्रांतीय राजनितिक दल नए कानून का विरोध क्यों कर रहे? इसका पहले और प्रमुख कारण है मुस्लिम वोटबैंक। राष्ट्रहित में कोई भी सकारात्मक कदम, जिससे कुछ अनपढ़ लोगों के मन में डर पैदा होता हो, इन दलों को वोटबैंक की राजनिति करने का मौका दे देता है। वोटबैंक की रोटी सेंकने वाले इन दलों को मोटी बात समझ नहीं आती कि जिस कानून ने सबसे ज्यादा मिर्ची पाकिस्तान को लग रही, उसका समर्थन टुकड़े टुकड़े गैंग, कांग्रेस और नागरिकता कानून विरोधी लोग क्यों कर रहे हैं?

पाकिस्तान को मिर्ची इसलिए लग रही

वर्षों से भारत में घुसपैठ कर अशांति फ़ैलाने वाले पाकिस्तान के एजेंट अब पकडे जायेंगे। ताजा खबर है कि लखनऊ में एक पाकिस्तानी महिला पकड़ी गई जो 15 वर्षों से यहाँ अवैध ढंग से रह रही थी। उत्तर प्रदेश के हर जिले में ऐसे लोग मिल जायेंगे जो अवैध ढंग से भारत में वर्षों से रह रहे। कुछ ने तो फर्जी दस्तावेजों से भारत की नागरिकता भी हासिल कर ली है। यही लोग नए नागरिकता कानून का पुरजोर विरोध कर रहे। लेकिन कांग्रेस, देश से आजादी मांगने वाले इन टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन क्यों कर रही? क्या देश के एक और विभाजन की कीमत पर कांग्रेस अपनी राजनीति और वजूद बचाए रखना चाहती है?

दिल्ली और अलीगढ़ में रविवार को टुकड़े टुकड़े गैंग के लोगों ने आगजनी और हिंसा फैलाने की कोशिश की। असम और दिल्ली में प्रदर्शन करने वाली भीड़ में दस साल के बच्चे भी ट्रेन पर पथराव कर रहे थे। इन्हें नागरिकता क़ानून छोड़िये, नागरिकता के मायने भी नहीं पता होंगे। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले टुकड़े टुकड़े गैंग और भारत के सम्मानित मुस्लिम नागरिकों को, देश के एक अन्य नागरिक और अधिवक्ता सैय्यद रिजवान अहमद के ये तर्क ध्यान से सुनने चाहिए।

अधिवक्ता सैयद रिजवान अहमद भाजपाई हैं, टुकड़े टुकड़े गैंग और कांग्रेस को उनकी बातें समझ नहीं आएगी। लेकिन आम जनता और छात्रों को उनकी बातों को समझना होगा। वैसे राष्ट्रहित की बात करने वाला हर भारतीय नागरिक टुकड़े टुकड़े गैंग को भगवा लगता है। यह कांग्रेस की सत्तर साल की ट्रेनिंग और ब्रेनवाश का असर है। लेकिन असर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। यही कांग्रेस की बेचैनी का सबसे सबसे बड़ा कारण है। सैय्यद रिजवान अहमद के तर्क को सुनकर सम्भव है टुकड़े टुकड़े गैंग, कांग्रेसियों और अन्य लोगों की आँख का राजनितिक मोतियाबिंद ठीक हो जाये।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)

यह भी पढ़ें : संक्रमित हिस्से में एंटीसेप्टिक से “जलन” तो होगी

यह भी पढ़ें : संस्कृत को खतरा फिरोज खान से नहीं “पाखंडियों” से

यह भी पढ़ें : सोशल मीडिया सिर्फ मजा लेने के लिए नहीं

यह भी पढ़ें : “टाइगर” अभी जिन्दा है

यह भी पढ़ें : नर्क का दरिया है और तैर के जाना है !

यह भी पढ़ें : अब भारत के नए नक़्शे से पाक बेचैन

यह भी पढ़ें : आखिर क्यों यह जर्मन गोसेविका भारत छोड़ने को थी तैयार

यह भी पढ़ें : इस गंदी चड्ढी में ऐसा क्या था जिसने साबित की बगदादी की मौत

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com