Monday - 22 January 2024 - 10:35 PM

कोरोना वैक्सीन को लेकर आई बड़ी खबर

जुबिली न्यूज़ डेस्क

देश में कोरोना से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 86 लाख को पार गई है जबकि 1.50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच कोरोना की वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर आई है।

खबर है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सीटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा वैक्सीन की खुराक तैयार करने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने करीब 4 करोड़ खुराक बना ली है।

हालांकि अभी सीरम इंस्टिट्यूट की तरफ से ये साफ़ नहीं किया गया है कि इन खुराकों का इस्तेमाल कहां किया जाएगा। इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि इसका इस्तेमाल सिर्फ भारत के लिए होगा या फिर दुनिया भर में इसका आपूर्ति की जाएगी।

खबरों के अनुसार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन कोविशील्ड के साथ-साथ आईसीएमआर और सीरम इंस्टीट्यूट अमेरिकी फार्मा कंपनी नोवाबैक्स के कोरोना वायरस वैक्सीन कोवोवैक्‍स का भी क्‍लिनिकल ट्रायल साथ मिलकर कर रही हैं। कोवोवैक्स को नोवावैक्‍स ने ही विकसित किया है और सीरम इंस्टीट्यूट इसे आगे बढ़ाने का काम तेजी से कर रहा है।

बताया जा रहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट ने डीसीजीआई से वैक्सीन को स्टॉक करने की मंजूरी दे दी है। इसके बाद कोरोना वायरस वैक्सीन के 4 करोड़ डोज का उत्पादन कर लिया गया है। दोनों वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की फंडिंग आईसीएमआर कर रही है, जबकि सीरम इंस्टीट्यूट दूसरे खर्च उठा रही है।

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वहीं सीरम और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने भारत में कोरोना के टीके ‘कोविशील्ड’ के तीसरे चरण के ‘क्लिनिकल ट्रायल’ के लिए 1,600 प्रतिभागियों का पंजीकरण पूरा कर लिया है।

दूसरी तरफ अमेरिका की ‘नोवावैक्स’ द्वारा विकसित ‘कोवोवैक्स’ के लिए आईसीएमआर और सीआईआई दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। इस मामले में आईसीएमआर की और से बताया गया कि, ‘साझेदारी महामारी के फैलने के गंभीर परिणामों को कम करने के लिए निजी-सार्वजनिक संस्थानों के सहयोग का एक शानदार उदाहरण है।’

इसमें आईसीएमआर वैक्सीन की ‘क्लिनिकल ट्रायल साइट’ का खर्च उठा रहा है जबकि SII ‘कोविशील्ड’ पर आने वाले अन्य खर्चे उठा रही है। दोनों, देश में 15 विभिन्न केन्द्रों में ‘कोविशील्ड’ का 2/3 चरण का ‘क्लिनिकल ट्रायल’ कर रहे हैं।

इसमें अभी तक किये गये परीक्षणों के परिणाम से यह उम्मीद जगी है कि ‘कोविशील्ड’ घातक वैश्विक महामारी का एक वास्तविक समाधान हो सकता है। भारत में अभी तक ‘कोविशील्ड’ के नतीजे सबसे अच्छे हैं।’

Radio_Prabhat
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