Friday - 5 January 2024 - 4:47 PM

कोरोना महामारी : भुखमरी से 1,68,000 बच्चों की हो सकती है मौत

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी की मार से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब हुए हैं, खासकर बच्चे। कोरोना वायरस का दुनिया भर में प्रसार होने के बाद से लगतार चिंता व्यक्त की जा रही है कि इसकी मार से सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित होंगे।

दुनिया में कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक गिरावट आई है और दशकों से भुखमरी के खिलाफ हुई प्रगति को जोर का झटका लगा है। एक नए अनुमान के अनुसार कोरोना महामारी से भुखमरी के कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है।

30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक नए अध्ययन के अनुसार कोरोना महामारी के कारण दुनिया के ज्यादातर देशों की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं है, जिसकी वजह से भुखमरी बढ़ी है। स्टडी में कहा गया है कि भुखमरी के खिलाफ दशकों से हुई  प्रगति कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित हुई है।

इस स्टडी में अनुमान लगाया गया कि महामारी की वजह से उपजी परिस्थितियों के कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है।

भुखमरी पर स्टैंडिंग टुगेदर फॉर न्यूट्रीशन कंसोर्टियम ने इस साल का आर्थिक और पोषण डाटा इकट्ठा किया और इसके अलावा फोन पर सर्वे भी किया।

इस रिचर्स का नेतृत्व करने वाले सासकिया ओसनदार्प अनुमान लगाते हैं कि अतिरिक्त 11.90 करोड़ बच्चे कुपोषण के सबसे गंभीर रूप से पीडि़त होंगे। सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में हो सकते हैं।

वहीं माइक्रोन्यूट्रिएंट फोरम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ओसनदार्प के अनुसार जो महिलाएं अभी गर्भवती हैं वो ऐसे बच्चों को जन्म देंगी जो जन्म के पहले से ही कुपोषित हैं और ये बच्चे शुरू से ही कुपोषण के शिकार रहेंगे।”

ओसनदार्प कहते हैं, ”एक पूरी पीढ़ी दांव पर है।” कोरोना वायरस के आने के पहले तक कुपोषण के खिलाफ लड़ाई एक अघोषित सफलता थी लेकिन महामारी से यह लड़ाई और लंबी हो गई है।

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दस साल की प्रगति 9 से 10 महीनों में समाप्त हो गई

रिसर्च के अनुसार दस साल की प्रगति 9 से 10 महीनों में समाप्त हो गई। महामारी के पहले अविकसित बच्चों की संख्या में वैश्विक स्तर पर हर साल गिरावट आई। साल 2000 में जहां 20 करोड़ बच्चे अविकसित थे तो वहीं उनकी संख्या 2019 में घटकर 14.40 करोड़ हो गई। लेकिन कोरोना महामारी के बाद फिर वहीं पहुंच गए है जहां पहले थे।

ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर लॉरेंस हड्डाड कहते हैं कि ऐसा लगता है कि यह एक ऐसी समस्या है जो हमेशा से हमारे साथ है लेकिन कोविड-19 से पहले यह कम हो रही थी।

यह शोध ऐसे समय में जारी किया गया जिसका लक्ष्य अगले एक साल तक करीब 3 अरब डॉलर कुपोषण के खिलाफ धन इकट्ठा करना है। हालांकि इसमें से कुछ में पूर्व प्रतिबद्धताएं शामिल हैं। पाकिस्तान जो कि दुनिया के सबसे व्यापक कुपोषण का शिकार देशों में से एक है, उसने 2025 तक 2.2 अरब डॉलर कुपोषण के खिलाफ अभियानों पर खर्च करने का वचन दिया है।

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