Sunday - 7 January 2024 - 9:05 AM

सरकार और किसानों में क्या समझौता करा पाएगा कोर्ट

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान 22 दिन बाद भी धरने पर बैठे हुए हैं। कड़ाके की सर्दी में भी हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है। बीते दिन सिंघु बॉर्डर पर बाबा राम सिंह ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद माहौल गर्माया है। राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है। आज भी किसानों का आंदोलन चलता रहेगा। दूसरी ओर बीजेपी किसान सम्मेलन के जरिए किसानों को साधने में जुटी है, बरेली में आज यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ किसानों को संबोधित करेंगे।

इस बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर सुनवाई की थी और आज कोर्ट के आदेशानुसार कमेटी का गठन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट आज फिर सुनवाई करेगा कि बॉर्डर पर किसान टिकेंगे या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सरकार और किसानों के बीच समझौता कराने की पहल की है जिसके लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर इस पर फिर सुनवाई होनी है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि ये राष्ट्रीय स्तर का मसला है, ऐसे में इसमें आपसी सहमति होनी जरूरी है। अदालत की ओर से दिल्ली की सीमाओं और देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की लिस्ट मांगी गई, जिससे पता चल सके कि बात किससे होनी है।

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देश के सर्वोच्च अदालत आज DMK के तिरुचि सिवा, आरजेडी के मनोज झा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के राकेश वैष्णव की अर्जी पर अदालत सुनवाई करेगी। इनकी मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।

 

किसान संघों के नेताओं ने यह भी कहा है कि सरकार को संसद में ये कानून पारित करने से पहले किसानों और अन्य की एक समिति गठित करनी चाहिए थी।

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दर्शन कर रहे 40 किसान संघों में शामिल राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कहार ने कहा कि वे लोग इस तरह की एक समिति गठित किए जाने के सरकार के प्रस्ताव को हाल ही में खारिज कर चुके हैं। उन्होने कहा कि न्यायालय द्वारा एक नई समिति गठित किया जाना कोई समाधान नहीं है।

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संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य एवं स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट यह फैसला कर सकता है कि ये कानून संवैधानिक है, या नहीं। लेकिन इनसे किसानों का हित होगा या नहीं, यह एक कानूनी मामला नहीं है। इसे किसानों और जनप्रतिनिधियों को ही सुलझाना होगा। समझौता करवाना अदालत का काम नहीं है। कमेटी के विचार (समिति गठित करने के प्रस्ताव) को किसान संगठन एक दिसंबर को ही खारिज कर चुके हैं।

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसपर आज दूसरे दिन सुनवाई होनी है। कानून के छात्र ऋषभ शर्मा ने ये याचिका दी थी। इस याचिका में दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग है। साथ ही कहा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा।

याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं व इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है। प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

साथ ही कहा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं व इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है। प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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