Sunday - 7 January 2024 - 2:37 AM

गैर संचारी रोगों से होने वाली मौतों के रोकथाम के लिए FOPL लागू करने की अपील

वाराणसी।  सभी प्रसंस्कृत और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों तथा पेय पर सबूत आधारित पोषण मानकों और उपभोक्ता अनुकूल चेतावनी लेबल को अपनाने के संघर्ष को जारी रखते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति (पीवीसीएचआर) के संस्थापक व संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया को उत्तर भारतीय द्वारा सैकड़ो हस्ताक्षर को भेजकर भारतीय बच्चों के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए एक सरल, व्याख्यात्मक और अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल (एफओपीएल) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के अनुरूप लागू करने की अपील की है। जिससे पैकेट वाले खाने में मिली सामग्री की पूरी जानकारी सामने प्रिंट हो, पैकेट के पीछे नहीं की मांग की| विदित हो कि change.org पर भी हस्ताक्षर शुरू किया गया है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पेटीशन पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के फुल बेंच में इस मामले की सुनवाई हो रही है।

आयोग में दर्ज केस संख्या 4227/90/0/2021 में पहले सचिव, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण और बाद में सचिव उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और सीईओ, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को 8 हफ्ते के अन्दर आयोग को अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

भारत सरकार के वर्तमान में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास आठवले ने भी डॉ मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर PVCHR द्वारा दिए गए पत्र को संलग्नक करके आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा जा रहा है।

विदित हो कि PVCHR का डेलीगेशन दिसम्बर, 2021 में माननीय मंत्री जी से उनके कार्यालय में मिलकर कुपोषण के विषय के सम्बन्ध में महिलाओ, युवाओ और बच्चो के स्वस्थ्य भविष्य के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के अनुसार मजबूत FOPL नियामक के लिए आवेदन किया।

भारत लगभग 15 मिलियन मोटे बच्चों का घर है। यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। औसतन 15% भारतीय बच्चे किसी न किसी रूप में मोटापे का सामना कर रहे हैं। दूसरी ओर, भारत में 45 मिलियन से अधिक बच्चे अविकसित या अल्प-विकास वाले हैं, जो दुनिया के कुल अविकसित बच्चों का तीसरा है। भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में से लगभग आधी का कारण अल्पपोषण है।

बजट सत्र के दौरान मानवाधिकार जननिगरानी समिति के प्रतिनिधि मंडल ने खाद्य प्रसंस्कृत उद्योग के मंत्री  पशुपति नाथ पारस से मिलकर मजबूत और अनिवार्य FOPL बनाने के लिए ज्ञापन दिया| माननीय मंत्री ने मंत्रालय में आकर इस मुद्दे और अपने माँग को लेकर प्रस्तुतीकरण करने के लिए आमंत्रित किया।

पिछले वर्ष  प्रधानमंत्री महोदय के जन्मदिन के अवसर पर मजबूत व अनिवार्य FOPL बनाकर देश के बच्चो को अपने जन्मदिन पर उपहार देने का आग्रह किया| जिसपर PMOPG/E/2021/0473597 को संज्ञान लेकर जवाब दिया की आपकी शिकायत दर्ज कर ली गयी है।

एफएसएसएआई इस मामले में सलाहकार समिति की चर्चा के आधार पर पैकेज्ड फूड उत्पादों पर एफओपीएल पर काम कर रहा है।एफओपीएल के संबंध में भारतीय उपभोक्ताओं की तरजीही पसंद का निर्धारण करने के लिए आईआईएम अहमदाबाद द्वारा एक सर्वेक्षण आधारित अध्ययन करने का निर्णय लिया गया है।

इसके अलावा, FSSAI ने खाद्य सुरक्षा और मानकों (स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित भोजन और स्वस्थ आहार) को स्कूल के आसपास के स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित भोजन और संतुलित आहार सुनिश्चित करने के लिए विनियम, 2019 के रूप में अधिसूचित किया है।

इसी अधिसूचना का अनुपालन सभी सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों में भारतीय खाद्य सुरक्षा कराने के लिए भारत के कई राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तराखण्ड और अंडमान निकोबार) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखा| जिसपर सचिव, मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संचालक स्कूल शिक्षा विभाग, गौतम नगर, भोपाल और संचालक राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल को पत्र लिखकर सुझाओ पर विचार करते हुए नियमानुसार करते हुए, की गयी कार्यवाही से आयोग को अवगत कराने की कृपा कराने का निर्देश दिया है।

विदित हो कि 8 फ़रवरी, 2022 को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग तेलंगाना, PVCHR, फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने बच्चो के अधिकार व पोषण के तहत डिब्बाबंद खाना व FOPL पर ऑनलाइन बैठक किया| इस बैठक में कुल 76 लोगो ने भागीदारी किया| कार्यक्रम ने अपने अविभाषण में तेलंगाना राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष व सदस्य ने इसे लागु करने पर पूर्ण समर्थन किया| इससे पूर्व 2 दिसम्बर, 2021 को काशी में सभी राजनैतिक दलों ने बैठक में समर्थन किया था ।

भारत सरकार बच्चो और महिलाओ के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर WHO के मानक के अनुसार fopl नियामक का गठन करे इसके लिए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के सदस्य लगातार सरकार के चुने हुए प्रतिनिधि, उद्योग संघ, डॉक्टर और राजनीतिज्ञ से मिलकर लगातार चर्चा और परिचर्च का आयोजन कर रही है| इस मुद्दे को व्यापक समर्थन भी मिल रहा है।

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