Friday - 12 January 2024 - 7:57 PM

एमनेस्टी : यूरोपीय संघ की चिंता के बीच गृह मंत्रालय ने क्या कहा ?

जुबिली न्यूज डेस्क

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को घोषणा की कि वह भारत में अब काम नहीं करेगा। एमनेस्टी को काम बंद करने के लिए जो कारण बताया उस पर यूरोपीय संघ ने चिंता जताते हुए कहा कि वह दुनियाभर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है।

वहीं एमनेस्टी के इस कदम पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवाधिकार देश के कानून को तोडऩे का बहाना नहीं हो सकता है।

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मंगलवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह अपने खाते से लेन-देन पर पाबंदी के कारण भारत में सभी गतिविधियों को रोक रहा है। एमनेस्टी ने दावा किया कि निराधार और दुर्भावना से प्रेरित आरोपों के माध्यम से उसे बार-बार निशाना बनाया जा रहा है।

संस्था के इन आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवीय कार्यों और सत्ता से दो टूक बात करने के बारे में दिए गए सुंदर बयान और कुछ नहीं, बल्कि संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान भटकाने का तरीका है, जो भारतीय कानून का सरासर उल्लंघन करते हैं।

गृह मंत्रालय ने कहा, ‘ऐसे बयानों का लक्ष्य पिछले कुछ वर्षों में की गईं अनियमितताओं और अवैध गतिविधियों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करना है।’

मंत्रालय ने आगे कहा कि एमनेस्टी को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत सिर्फ एक बार अनुमति मिली थी, वह भी 20 साल पहले (19 दिसंबर 2000 को)। इसके बाद उसके बार-बार आवेदन के बावजूद तमाम सरकारों ने उसे एफसीआरए मंजूरी नहीं दी, क्योंकि कानूनन वह पात्र नहीं था।

मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी ब्रिटेन ने एफसीआरए नियमों को दरकिनार कर भारत में पंजीकृत चार कंपनियों/फर्मों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रास्ते काफी धन भेजा। एफसीआरए के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बगैर एमनेस्टी (भारत) को भी विदेशों से बहुत बड़ी राशि मिली।

मंत्रालय के अनुसार, ‘इस तरह गलत रास्ते से धन मंगवाना कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है।’

बयान में आगे कहा गया, ‘एमनेस्टी भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है, जैसा कि कई अन्य संगठनों द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, व्यवस्थित कानून द्वारा भारत विदेशी दान द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं को घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देता है। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और यह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।’

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यूरोपीय संघ ने क्या कहा?

एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में काम बंद करने पर यूरोपीय संघ (ईयू) ने चिंता जताते हुए कहा कि वह दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है। उसने उम्मीद जताई कि मामला सुलझ जाएगा, ताकि वह अपना काम कर सके।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ की प्रवक्ता नबीला मसराली ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को विदेशी संस्थाओं से धन प्राप्त करने और उपयोग करने से संबंधित भारतीय कानूनों के उल्लंघन के आरोप में फ्रीज करने की जानकारी मिली।

प्रवक्ता मसराली ने एक विश्वसनीय मानवाधिकार संगठन के रूप में एमनेस्टी की प्रतिष्ठा की पुष्टि करते हुए भारत सरकार से संगठन

को देश में काम करने की अनुमति देने की अपील की है।

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एमनेस्टी  के आरोपों पर बीजेपी ने  क्या कहा?

एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा भारत सरकार पर लगाए गए आरोपों पर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने मंगलवार को एमनेस्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि संस्था कई अवैध गतिविधियों में शामिल था और इसे मर्यादा पर भाषण करने का कोई अधिकार नहीं है।

बीजेपी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत में कोई भी संगठन काम कर सकता है लेकिन वह देश के कानूनों एवं नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता।

राठौर ने कहा, ‘ईमानदारी का चोला ओढ़ कर गलत काम करने के लिए हम किसी भी भारतीय अथवा विदेशी संगठन को अनुमति नहीं दे सकते हैं।’

राठौड़ ने यह भी आरोप लगाया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अवैध तरीके से विदेशी अनुदान प्राप्त किया है।

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