दिनेश श्रीनेत
हारे हुए लोगों के लिए कौन दुनिया बसाएगा? उन पराजित योद्धाओं के लिए… तमाम शिकस्त खाए लोगों के लिए।
प्रेम में टूटे हुए लोग। सारी जिंदगी को कहीं दांव लगाकर हारे हुए लोग। थके-हारे लोग। गुमनाम लोग।
वो बूढ़े पिता जो अब अकेले रह गए हैं। वो कल्पनाओं में खोया रहने वाला बच्चा जो परीक्षा में फेल हो गया है। वो लड़की जो तेज कदमों से घर की तरफ लौट रही है। वो बूढ़ा गुब्बारे वाला जो कांपते हाथों से पैसे गिनता है। एक असफल लेखक, मैच हार गया खिलाड़ी, इंटरव्यू से वापस लौटा युवा।
और ऐसे तमाम लोग जिन्हें पता था कि वे सफल हो सकते हैं मगर उन्होंने असफलताओं से भरा रास्ता चुना। वो लोग जिन्होंने हमेशा गलत राह पर चलने का जोखिम उठाया। वो लोग जिन्होंने गलत लोगों पर भरोसा किया। वो जिन्होंने चोट खाई, धोखा खाया, ठोकर खाई गिरे और धूल झाड़कर खड़े हुए।
वे कहां जाएंगे?
क्या कोई ऐसी दुनिया होगी जहां दो हारे हुए इनसान एक-दूसरे की हथेलियां थामे कई पलों तक खामोश रह सकते हों? अपनी चुप्पी में तकलीफ बांटते हुुए।

जिन्होंने इकारस की तरह सूरज की तरफ उड़ान भरी और उनके पंख पिघल गए। हारे हुए लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। न किसी घर में, न समाज में, न किसी देश में…
क्या जो विजेता थे वो इनसे बेहतर हैं? बेहतर थे? नहीं, वही हारा जिसने जिंदगी की अनिश्चितता पर यकीन किया। वही जिसने अनजान रास्तों पर चलने का जोखिम उठाया। जिसने गलती करनी चाही। जो मक्कार चुप्पियों के पीछे छिपा नहीं। जो बोल सकता था मगर बोला नहीं। उसने वो चुना जिसे चुनने का कोई तर्क नहीं था। सिवाय उसकी आत्मा के। जो हारा आखिर वो भी एक नायक था।
एक पराजित नायक के दर्द को कौन समझना चाहेगा?
जाएंगे कहाँ सूझता नहीं
चल पड़े मगर रास्ता नहीं
क्या तलाश है कुछ पता नहीं
बुन रहे हैं दिल ख़्वाब दम-ब-दम….
(लेखक पत्रकार है , यह लेख उनके फेसबुक वाल से लिया गया है )
यह भी पढे :कबीर सिंह कैरेक्टर का वाईड एंगल ये भी है
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
