Thursday - 11 January 2024 - 8:22 PM

100 घंटे बाद भी नहीं मिला सुराग, यूपी का सबसे बड़ा क्रिमिनल आखिर गया कहां?

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क 

कानपुर के बिकरू गांव में चार रोज पहले एक कुख्यात गैंगस्टर ने जो तांडव मचाया वो यूपी पुलिस के इतिहास का काला अध्याय बन गया है। पुलिस इससे अरसे तक उबर नहीं पाएगी। एक गैंगस्टर को दबोचने में आठ पुलिसवालों की शहादत के बाद अब योगी सरकार फुल एक्शन में आई है। कानून व्यवस्था को लंबे अरसे से ठेंगा दिखाते आ रहे बदमाशों की अब खैर नहीं है।

खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के आला अधिकारियों को माफिया और गैंगस्टरों पर हल्ला बोल के सख्त निर्देश दिए हैं। पुलिस को खुली छूट दी गई है। मकसद एक ही है…हर हाल में बड़े अपराधियों पर पूरी तरह से नकेल कसनी है।

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हालांकि सत्ता, सिस्टम और खाकी के संरक्षण में अपने गुनाहों का साम्राज्य खड़ा करने वाला कुख्यात विकास दुबे कानपुर शूटआउट के 100 घंटे बाद भी पुलिस के पकड़ से दूर है। अपने आठ साथियों की शहादत का बदला लेने के लिए विकास की तलाश कर रही यूपी पुलिस रोज नई-नई कहानियां तो तलाश कर ले रही है, लेकिन उसे राज्य के सबसे बड़े गैंगस्टर का कोई अता पता नहीं है।

विकास दुबे के पंख कितने बड़े हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वारदात को अंदाज देने के बाद वो बड़ी आसानी से फुर्र हो गया और किसी को भनक तक नहीं लगी। अब हालत ये है कि सूबे की पुलिस की करीब पचास टीमें उसका सुराग ढूंढने में लगी है।

जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है विकास दुबे की हैवानियत के चश्मदीद हिम्मत जुटा रहे हैं और कानपुर के बिकरु गांव की उस खौफनाक रात की कई कहानियां सामने आ रही हैं। लेकिन सवाल ये कि इतने बड़े अपराध को अंजाम देने वाला कानपुर का सबसे बड़ा क्रिमिनल आखिर गया कहां?

ये वो सवाल है जो यूपी पुलिस को इस वक्त सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है। क्योंकि दाग खाकी वर्दी पर भी है। अगर पुलिसवालों की शह ना होती तो विकास दुबे गैंगस्टर ना बना होता और अगर भेदिए का रंग खाकी ना होता तो शायद आठ पुलिसवाले शहीद ना होते।

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शायद यही वजह है कि महकमे ने मोस्ट वांटेड के सिर पर ढाई लाख का इनाम रख दिया है और जगह-जगह पोस्टर चिपका दिए हैं। कुख्यात बदमाश विकास दुबे और उसके गैंग को ढूंढने के लिए यूपी पुलिस नेपाल से लेकर चंबल तक नजरें टिका रखी हैं। इस बीच विकास दुबे के घर के बगल में बने कुएं से भी गुनाहों के सबूत तलाशे जा रहे हैं।

पुलिस को शक है कि विकास दुबे के घर के बगल में बने कुएं में कुछ सबूत मिल सकते हैं। मोटर लगाकर कुएं का पानी खाली किया जा रहा है ताकि कुछ और रहस्यों से पर्दा हट सके। पुलिस को शक है कि कुएं के भीतर पुलिस के गायब हुए हथियार मौजूद हो सकते हैं।

शक है कि वो नेपाल भाग सकता है लिहाजा लखीमपुर तक नजर है। नेपाल से आने और नेपाल जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। भारत-नेपाल की 120 किलोमीटर की सीमाएं सील कर दी गई हैं। बताया जा रहा है कि लखीमपुर के आसपास पुलिस को विकास के होने की सूचना मिली है, जिसके बाद यहां अलर्ट जारी किया गया है। शक ये भी है कि उत्तर प्रदेश का सबसे बडा गैंगस्टर चंबल के बीहड़ों में छिप गया है।

इस बीच विकास दुबे की तलाश और उसके गुनाहों के सबूत खंगालने के लिए दनादन गिरफ्तारियां भी हो रही हैं। फतेहपुर के एक गांव से एक संदिग्ध की गिरफ्तारी हुई है। वहीं विकास दुबे की नौकरानी और दो रिश्तेदारों पर भी पुलिस ने शिकंजा कसा है। साथ ही बिकरु गांव यानी विकास दुबे के घर पर पुलिस की पैनी नजर है।

पुलिस ने विकास दुबे के सीधे संपर्क में आने वाले कानपुर नगर, देहात और उन्नाव के कई नामी लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इनमें कई लोगों को एसटीएफ लखनऊ ले गई है। कहा जा रहा है कि कानपुर में वारदात के अगले दिन लावारिस मिली एक लग्जरी कार के मामले में पुलिस ने कार के मालिक जय बाजपेई को हिरासत में ले लिया है। उससे लखनऊ में पूछताछ की जा रही है।

फिरोजाबाद-टूंडला टोल प्लाजा पर लगाए गए विकास दुबे के पोस्टर

जय की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों से भी कानपुर के अलग-अलग थानों में पूछताछ हो रही है। पुलिस को शक है कि शास्त्री नगर में लावारिस मिली जय की कार से ही विकास दुबे कानपुर के बाहर भागा। इसके बाद कार यहां खड़ी की गई। सिर्फ 6 साल में पान की दुकान से अकूत संपत्ति के मालिक जय बाजपेई के रकम के स्त्रोत पर भी पूछताछ की गई है।

रविवार देर रात पुलिस ने शहर के मशहूर कमीडियन अन्नू अवस्थी से भी काकादेव थाने में पूछताछ की। इसके बाद उन्हें घर जाने दिया। 30 जून को हुई एक पार्टी के दौरान अन्नू अवस्थी, जय बाजपेई और विकास दुबे साथ थे। इनके फोटो सोशल मीडिया पर सामने आए थे। पूछताछ के क्रम में बीजेपी नेता प्रमोद विश्वकर्मा के अलावा कपिल सिह चौहान आदि से भी तफ्तीश की जा चुकी है। आरोप है कि इनकी लग्जरी गाड़ियों का विकास इस्तेमाल करता था।

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भले ही अब पुलिसवालों की नींद उड़ गई हो। लेकिन विकास दुबे के गुनाहों का अगर हिसाब करेंगे तो पता चलेगा कि उसमें पुलिसवाले भी बराबर के भागीदार थे। खासकर SO विनय तिवारी और उसकी पूरी टीम। SO विनय तिवारी के खिलाफ CO देवेंद्र मिश्रा ने तत्कालीन SSP को लिखित शिकायत भी की थी। लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और जब चिड़िया खेत चुग गई तो भेदिया टीम को सस्पेंड कर दिया गया।

ये हकीकत है कि अगर गैंगस्टर का कोई गॉडफादर ना होता तो शायद 8 पुलिसवाले शहीद ना होते। ये सही है कि खाकी और खादी ने उसे शह नहीं दी होती तो पूरे राज्य की पुलिस एक अपराधी को पकड़ने के लिए खाक नहीं छान रही होती।

बताते चले कि आपको बता दें कि विकास दुबे एक हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी दबिश करने कानपुर पुलिस की एक टीम गई थी। विकास दुबे के खिलाफ कुछ दिन पहले हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया था। पुलिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी।

जैसे ही फोर्स गांव के बाहर पहुंची तो वहां जेसीबी लगा दी गई। इस वजह से फोर्स की गाड़ी गांव के अंदर नहीं जा सकी। जब पुलिसवाले गाड़ी से उतरकर गांव के अंदर गए, तो विकास दुबे और उसके साथियों ने रात के अंधेरे का फायदा उठाकर फायरिंग शुरू कर दी।

बताया जा रहा है कि बदमाश छत पर थे, उनके पास आधुनिक हथियार थे और उन्हें पुलिसवालों के आने की खबर पहले ही दे दी गई थी। ऐसे में बदमाशों की फायरिंग में आठ पुलिस के जवान शहीद हो गए। और तब से ही पुलिस को विकास दुबे की तलाश है।

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