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ये वो घटनाएं है जो योगी के लिए बन गई गले की हड्डी

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को लगभग साढ़े तीन होने को जा रहा है। सपा को सत्ता से बेदखल करने के बाद योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की बात कही थी लेकिन उनका दावा अब फेल होता दिख रहा है। इसके साथ ही योगी के सत्ता में आते ठोक दो का डायलॉग भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। शुरुआत में योगी सरकार में सूबे में कानून का राज स्थापित करने के लिए कड़े कदम उठाये थे।

आलम तो यह था कि अपराधियों में इसका खौफ खूब देखने को मिला था लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गया है। अपराधी कानून को ताक पर रख रहे हैं। इतना ही नहीं खाकी को भी अब खुलेआमी चुनौती दी जा रही है।

हाल के दिनों में यूपी में कुछ ऐसी घटनाये हुए है जो योगी सरकार के लिए परेशानी पैदा कर सकती है। हालांकि विधान सभा चुनाव में भले एक साल से ज्यादा का वक्त हो लेकिन विपक्ष अभी से योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलता दिख रहा है।

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हाथरस का मामला योगी सरकार के लिए नई परेशानी बनकर सामने आया है। इस मामले में योगी सरकार की नींद उड़ गई है। हाथरस मामले में पुलिस की भूमिका के साथ-साथ डीएम का बर्ताव भी सवालों के घेरे में है।

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हालांकि योगी सरकार ने इस पूरे मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिया है लेकिन अब भी बड़ा सवाल है यूपी में आखिर कब तक अपराधी कानून को चुनौती देगे। योगी राज में कुछ ऐसी घटनायें हुई जो उनकी सरकार के लिए बदनामी का सबब बन सकती है।

लखनऊ के गोमतीनगर में 29 सितम्बर 2018 को पुलिस कान्सटेबल ने फोन कंपनी एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी को मौत की नींद सुला दी थी।

विवेक तिवारी को गोली इसलिए मारी गई थी क्योंकि उन्होंने कान्सटेबल के कहने पर गाड़ी नहीं रोकी थी। जरूरी बात यह है कि पुलिस ने इस पूरे मामले में शुरुआती जांच में गुमराह किया था।

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कान्सटेबल ने अपने गुनाह को छिपाने के लिए तर्क दिया था कि विवेक ने उसके उपर गाड़ी चढ़ाकर मारने की कोशिश की थी। इस पूरी घटना पर खाकी और सरकार दोनों पर सवाल उठ रहा था।

अगले साल 18 अक्टूबर 2019 में लखनऊ के भीड़भाड़ इलाके में दिनदहाड़े कमलेश तिवारी की कुछ बादमाशों ने हत्या कर दी। इस पूरे मामले में सरकार और पुलिस दोनों पर सवाल उठ रहा था। कानून व्यवस्था की धज्जियां खुलेआम उड़ रही थी। ऐसी नृशंस हत्या से पूरा लखनऊ दहल गया था।

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कानपुर का हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे एक जमाने में यूपी में दहशत का माहौल फैला रखा था। सरकार और पुलिस दोनों के लिए विकास दुबे चुनौती बन गया था।

इतना ही नहीं 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करके विकास दुबे फरार हो गया था। तब मामला काफी चर्चा में आ गया था लेकिन इसके बाद मौका देखकर विकास दुबे को पुलिस ने मार गिराया। इसको लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे थे।

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पिछले साल दिसम्बर में उन्नाव में दिल दहला देने की घटना सामने आई थी। रेप के आरोपियों ने पीडि़ता को मिट्टी का तेल छिड़क के सरेराह जला दिया।

सोनभद्र के उम्भा में जुलाई 2019 में नरसंहार से पूरा यूपी दहल गया था। जमीनी विवाद में 11 आदिवासियों की जान चली गई थी। इस मामले में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगा था।

इसके आलावा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई शहरों में प्रदर्शन भी योगी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ था।

इस मामले में योगी सरकार ने कड़े कदम जरूर उठाये। योगी ने इस प्रदर्शन को रोकने के लिए देशभर में करीब 1200 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ धारा-144 के उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अलीगढ़ में 60 महिलाओं, प्रयागराज में 300 महिलाओं, इटावा में 200 महिलाओं और 700 पुरुषों पर केस दर्ज किया था।

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