Saturday - 13 January 2024 - 12:12 PM

भारत सरकार के विरोध में क्यों आए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन?

जुबिली न्यूज डेस्क

पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने घोषणा की थी कि वह भारत में अपना काम बंद कर रहा है। इसके लिए उसने भारत सरकार की बदले की कार्रवाई को जिम्मेदार बताया था।

एमनेस्टी के इस बयान के बाद यूरोपीयन संगठन ईयू ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से सहयोग की अपील करते हुए कहा था कि वह चाहते हैं कि एमनेस्टी भारत में अपना काम जारी रखे।

यूरोपीय संघ (ईयू) ने चिंता जताते हुए कहा था कि वह दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है।

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अब इस मामले में ह्यूमन राइट्स वाच सहित 15 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर एमनेस्टी इंटरनेशनल को भारत में अपना काम बंद करने के लिए मजबूर किए जाने की आलोचना की है।

इन संगठनों ने अपने बयान में कहा है, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने घोषणा की कि वह देश में अपना काम रोक रही है, क्योंकि संगठन के मानवाधिकार कार्यों के लिए बदले की कार्रवाई में भारत सरकार ने उसके बैंक खातों को को फ्रीज कर दिया है।’

बयान में आगे कहा गया, ’15 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया के खिलाफ भारत सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हैं। उन्होंने स्थानीय मानवाधिकार रक्षकों और संगठनों के खिलाफ समर्थन जारी रखने का भी वादा किया है।’ 

जिन संगठनों ने भारत सरकार की निंदा की है उसमें ये एसोसिएशन फॉर प्रोग्रेसिव कम्युनिकेशंस, ग्लोबल इंडियन प्रोग्रेसिव अलायंस, इंटरनेशनल कमीशन फॉर ज्यूरिस्ट्स, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (एफआईडीएच), सिविकस: वर्ल्ड अलायंस फॉर सिटिजन पार्टिसिपेशन, फ्रंट लाइन डिफेंडर्स, फोरम-एशिया, फाउंडेशन द लंदन स्टोरी, हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स वाच, इंटरनेशनल सर्विस फॉर ह्यूमन राइट्स, माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप, ओधिकर, साउथ एशियंस फॉर ह्यूमन राइट्स (एसएएचआर) और वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशंस अगेंस्ट टॉर्चर (ओएमसीटी) शामिल है।

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इन संगठनों ने अपने बयान में कहा है, ‘हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने एमनेस्टी इंडिया पर विदेशी फंडिंग के लिए कानून तोडऩे का आरोप लगाया है। इस आरोप को समूह ने राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है और सबूत पेश किया कि सरकार के गलत कामों और ज्यादतियों को मानवाधिकार संगठनों और समूहों ने चुनौती दी तब उन्होंने दुर्भावनापूर्ण तरीके से कानूनी प्रताड़ना  शुरू कर दी।’

बयान में आगे कहा गया, ‘बीजेपी सरकार ने नागरिक समाज पर अत्याचार किया है और मानवाधिकार रक्षकों, छात्र कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों और सरकार के आलोचक अन्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह, आतंकवाद और अन्य दमनकारी कानूनों के तहत राजनीतिक रूप से प्रेरित मामले ला रही है और परेशान कर रही है।’

निंदा करते हुए बयान में कहा गया है कि ये कार्य अधिनायकवादी शासन की नकल हैं जो कोई आलोचना बर्दाश्त नहीं करते हैं और आवाज उठाने वालों को बेशर्मी से निशाना बनाते हैं।

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संगठनों ने कहा है कि जैसे-जैसे सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों की आलोचना बढ़ रही है और उसके द्वारा कानून के शासन पर हमले किए जाने की आलोचना हो रही है वैसे-वैसे अधिकारी शिकायतों के निपटारे के बजाय संदेशवाहकों को ही निशाना बनाने में जुट गए हैं।

क्या कहा था एमनेस्टी ने

एमनेस्टी ने भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार उसे परेशान कर रही है। हालांकि, एमनेस्टी के आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि मानवीय कार्यों और सत्ता से दो टूक बात करने के बारे में दिए गए सुंदर बयान और कुछ नहीं, बल्कि संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान भटकाने का तरीका है, जो भारतीय कानून का सरासर उल्लंघन करते हैं।

गृह मंत्रालय को नोटिस

इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में काम बंद करने के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि मीडिया में आई खबरों के अनुसार, भारत में अपने खातों के पूरी तरह फ्रीज होने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने देश में अपना सभी काम कथित तौर पर बंद कर दिया है।

बयान में आगे कहा गया है, ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और गृह सचिव, गृह मंत्रालय भारत सरकार को नोटिस जारी किया है, मीडिया में आई खबरों के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा लगाए गए आरोपों पर जवाब मांगा गया है।’

आयोग ने बुधवार को कहा कि उसने समाचार रिपोर्ट की सामग्री की सावधानीपूर्वक जांच की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल एक प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन है, जो जब भी लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटना होती है तो विश्व स्तर पर अपनी आवाज उठाता है।

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