Wednesday - 10 January 2024 - 6:15 AM

…. तो इसलिए प्रशिक्षण के बजाये बर्गर बेच रहे कोच

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। कोरोना वायरस की वजह से खेलों की दुनिया में सन्नाटा पसरा हुआ। स्टेडियम में खेल पूरी तरीके से बंद है। ऐसे में अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों के भूखे मरने की नौबत आ गई है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में खेल निदेशालय के सामने करीब 22-23 अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों ने इसके विरोध में अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों ने जूता पॉलिश करने के साथ ही खेल निदेशालय के बाहर ठेला लगाकर अपना गुस्सा निकाला है। यह प्रदशर्न डिप्लोमा घारक खेल प्रशिक्षक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित किया गया था।

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जानकारी के मुताबिक अप्रैल माह से मानदेय न मिलने की वजह से खेल प्रशिक्षकों  में भारी रोष है। इस वजह से अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों ने बुधवार को जमकर सरकार और खेल निदेशाल के खिलाफ नारेबाजी की है। कोचों का कहना है सरकार को उनके बारे में सोचना चाहिए। इस दौरान अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों ने विरोध करने का अनोखा तरीका अपनाते हुए जूता पॉलिश करने के साथ ही खेल निदेशालय के बाहर ठेला लगाकर अपनी नाराजगी जतायी है।

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हालांकि इसकी सूचना जैसे ही पुलिस को मिली तो मौके केड़ी सिंह बाबू स्टेडियम पहुंचकर खेल प्रशिक्षकों को वहां से हटाने की कोशिश की है। पुलिस ने इन लोगों वहां से बल-पूर्वक खेदड़ दिया है। उधर इस पूरे मामले पर खेल विभाग का कोई बयान सामने नहीं आया है।

अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों ने एक बातीचत में बताया कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उनका परिवार भूखों मरने की कगार पर पहुंच गया है। इसलिए निदेशालय के बाहर अपने जीविर्कोपार्जन के लिए पटरी पर दुकानें लगाई हैं। इसमें से बहुत सारे अंशकालिक खेल प्रशिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों को तैयार किया। बताया जा रहा है कि इन्हें अप्रैल माह से कोई पैसा नहीं मिला है।

खेल निदेशालय द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविर इस समय निदेशालय ने बंद कर रखा है। खेल प्रशिक्षकों ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर की रिन्यूवल की संस्तुति विभिन्न जनपदों की क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारियों द्वारा फरवरी माह में ही कर दी गई थी। कोचों को कहना है कि 24 मार्च 2020 को हम सभी खेल प्रशिक्षकों को कार्य मुक्त कर दिया गया है, जबकि हमारा रिन्यूवल एक अप्रैल 2020 को होना था, पर अभी तक सरकार ने हमारा रिन्यूवल नहीं किया है, जबकि सरकार के अन्य विभागों में सभी संविदा कर्मचारियों की सेवा बहाल की है।

कुल मिलाकर खेल प्रशिक्षकों को भारी नाराजगी रही। खेल प्रशिक्षक चाहते हैं कि उनकी समस्या को सुना जाये और जल्द से उनको फिर बहाल किया जाये।

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