Thursday - 11 January 2024 - 1:56 AM

चुनाव के बीच बागी बढ़ा रहे बीजेपी की परेशानी

जुबिली न्यूज डेस्क

बिहार में चुनाव के बीच बीजेपी की परेशानी सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं बल्कि उनके अपने नेता भी बढ़ा रहे हैं। बिहार में भाजपा ही सबसे अधिक बागी नेताओं से परेशान है।

टिकट न मिलने की वजह से बीजेपी नेता बगावत पर उतर आए हैं। अब तक पार्टी ने मुख्यालय स्तर पर 43 नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है।

जिन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है उनमें मौजूदा या पूर्व विधायक के अलावा प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी हैं। अगर जिलास्तरीय इकाइयों से निष्कासित नेताओं को शामिल करें तो बागियों की संख्या कहीं और अधिक है।

भाजपा के गठन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पार्टी के खिलाफ जाकर इतनी बड़ी संख्या में बागी नेता चुनावी मैदान में डटे हैं। इन बागी नेताओं में करीब ढाई दर्जन जदयू के खिलाफ तो दर्जन भर प्रत्याशी बीजेपी के खिलाफ ही चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।

बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव में इस बार बहुत सारे मिथक टूट रहे हैं। यह पहला विधानसभा चुनाव है जहां रोजगार, विकास की बात हो रही है। बीजेपी को भी इस चुनाव में कई सारे नये अनुभव मिले हैं।

बीजेपी का नारा पार्टी विथ डिफरेंस का है। चुनाव में उम्मीदवार घोषित होने तक पार्टी नेताओं में भले ही मतभिन्नता होती रही है, लेकिन जैसे ही आलाकमान की ओर से किसी नेता को उम्मीदवार बना दिया जाता है, सभी आपसी मतभेद भूलाकर पार्टी को जीत दिलाने में लग जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

जैसे ही विधानसभा सीट गठबंधन के अन्य घटक दलों के हिस्से में गई बीजेपी नेताओं ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया और चुनावी मैदान में अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए। बिहार में दर्जन भर सीटों पर ऐसी स्थिति है कि जहां बीजेपी के नेता पार्टी की ओर से घोषित अधिकृत उम्मीदवार का नाम सामने आते ही बगावत कर अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में डटे हैं।

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सूत्रों के मुताबिक चुनाव में बागियों पर अंकुश लगाने के लिए बीजेपी मुकम्मल तैयारी करती थी। जैसे ही, कोई बागी नेता निर्दलीय या दूसरे दलों से नामांकन करने की कोशिश करते थे कि उनसे बातचीत की जाती थी। पार्टी के आलानेता हस्तक्षेप कर वैसे बागियों को मनाने की कोशिश करते थे।

इस बार भी पार्टी ने कुछ नेताओं से संवाद शुरू किया, लेकिन बागी नेताओं के तेवर नरम नहीं हुए। नतीजा यह हुआ कि दल के तीन दर्जन से अधिक नेता आज किसी न किसी दल या निर्दलीय ही चुनावी मैदान में डटे हैं। कहीं कोई एनडीए के अन्य घटक दलों के खिलाफ चुनावी मैदान में डटा है तो कहीं भाजपा के खिलाफ ही चुनावी मैदान में है।

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लोजपा ने दिया मौका

बीजेपी के बागियों को लोक जनशक्ति पार्टी ने भरपूर मौका दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार बीजेपी सिर्फ 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बगावत बढऩे की एक बड़ी वजह 47 सीटें कम होना भी रहा है।

इसके अलावा कुछ ऐसी भी सीटें हैं जो भाजपा की परम्परागत सीटें रही है पर वहां से अभी जदयू, वीआईपी या हम चुनाव लड़ रही है। ऐसे में पार्टी नेताओं ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए दूसरे दलों का दामन थामना शुरू किया। उनके लिए सबसे मुफीद जगह लोजपा मिली। बागियों में दो दर्जन उम्मीदवार लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं।

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