Monday - 15 January 2024 - 12:10 PM

अगर आप भी हैं होम आइसोलेशन में तो भूलकर भी न करें ये काम

जुबिली न्यूज़ डेस्क

देश में कोरोना का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक 94 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि एक्टिव मामलों की संख्या 4.5 लाख है यानी इतने लोगों का इलाज अभी चल रहा है। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है तो वहीं कुछ की हालत गंभीर स्थिति से बाहर है जिन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है।

सर्दी का मौसम आ गया है ऐसे में होम आइसोलेशन में रहने वालें मरीजों को अपना खासा ध्यान रखना होगा। अक्सर लोग सर्दियों के मौसम में हीटर, ब्लोअर या अंगीठी जलाकर रखते हैं लेकिन आप अगर होम आइसोलेशन में हैं तो आपको इन सबसे दूर रहना पड़ेगा। दरअसल इन सबका इस्तेमाल करने से कमरे का ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है जिससे कोरोना पेशेंट्स को सांस लेने की समस्या बढ़ सकती है।

कोरोना संक्रमित मरीजों के शरीर में पहले से ही ऑक्सिजन की कमी रहने की आशंका होती है। ऐसे में ऑक्सिजन स्तर ज्यादा कम होने पर मरीज का दम घुट सकता है। कहा जाए तो मरीज हैपी हाइपोक्सिया का शिकार हो सकता है।

इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर धूप व हवा आने के लिए घरों के दरवाजे व खिड़कियां खोल कर रखे जाते हैं। घरों के हर रूम में वेंटिलेशन की व्यवस्था रहती है, लेकिन ठण्ड के मौसम में सर्दी से बचने के लिए लोग अक्सर घरों में ब्लोअर व हीटर का इस्तेमाल करते हैं। कमरे में इनका इस्तेमाल करने से ऑक्सिजन की मात्रा कम हो जाती है।

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कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में कई बार ऑक्सिजन की कमी हो जाती है। ऐसे में अगर संक्रमित कम मात्रा वाले ऑक्सिजन के कमरे में रहेगा तो उसकी हालत और बिगड़ सकती है। यहां तक की मरीज की जान भी जा सकती है। होम आइसोलेशन में संक्रमितों को ब्लोअर व हीटर न चलाने से बचना चाहिए।

डॉक्टर्स का कहना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में 14 से 16 बार सांस लेता और छोड़ता है। यही संख्या अगर 20 के ऊपर निकल जाती हैं तो समस्या बढ़ जाती है। दूसरी ओर शरीर में ऑक्सिजन का स्तर 95 से अधिक होना चाहिए।

अगर ऑक्सीजन का लेवल 95 से कम होने लगता है तो चिंता करना लाजमी है और समस्या बढ़ सकती है। हैपी हाइपोक्सिया में कोरोना संक्रमित मरीजों में ऑक्सिजन का लेवल कम होता है। इसका कोई संकेत नहीं दिखता है।

डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार का ऑक्सिजन का लेवल इतना कम हो जाता है की वो गिरकर 60-70 पर पहुंच जाता है, जो काफी खतरनाक है। ब्लोअर व हीटर के प्रयोग से कार्बन डाईऑक्साइड की अधिकता से फेफड़ों में दाग बनने लगते हैं। शरीर में ऑक्सिजन की कमी होने पर पर सुस्ती आने लगती है। मरीज उठ भी नहीं पाता है।

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कोरोना वायरस मुख्य रूप से बूंदों के माध्यम से फैलता है, ऐसे में जब एक संक्रमित व्यक्ति खांसता है या छींकता है। इनडोर स्थान में फैन और एयर ब्लोअर या एयर कंडीशनर का उपयोग जहां कई लोगों द्वारा किया जाता है, संभवतः, संक्रमित बूंदों को फैला सकता है। इसलिए इन सभी चीजों के इस्तेमाल से कोरोना पेशेंट को बचना चाहिए।

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