Thursday - 11 January 2024 - 6:32 PM

जब बिहार में है शराबबंदी तो फिर कहां से आई सवा अरब रुपए की शराब

जुबिली न्यूज डेस्क

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी तो महिलाओं का उन्हें खूब समर्थन मिला था। महिलाओं के समर्थन की वजह से ही वह सत्ता में आए।

पिछले कई सालों से बिहार में शराब पर प्रतिबंध है, लेकिन चुनाव के दौरान पुलिस ने सवा अरब रुपए की शराब जब्त की।

पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब की कीमत एक अरब 25 करोड़ 43 हजार रुपए आंकी गई। इस मामले में 4148 गिरफ्तारियां हुईं।

सबसे बड़ी हैरत की बात तो यह है कि सिर्फ डेढ़ महीने में 38 जिलों में 3.91 लाख लीटर विदेशी शराब बरामद की गई। अब सवाल उठता है कि जब बिहार में शराब पर प्रतिबंध है तो इतनी मात्रा में शराब आई कहां से।

विधानसभा चुनाव के वक्त बिहार-उत्तर प्रदेश बॉर्डर के नजदीक सीवान में दो तस्करों को अरेस्ट किया गया था, जिसमें दोनों ने शरीर पर शराब की बोतलों को किसी बेल्ट के तौर पर फिट कर के छुपाया था।

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शराब की बोतल को ठीक वैसे ही कपड़ों के नीचे छुपाया गया था, जैसे शरीर पर बम लगाने के बाद लोग उसे छुपा लेते हैं। यही नहीं, वाहनों के इंजन, ट्रक में तहखाना बनाकर, टैंकर के तेल के ड्रम में शराब की तस्करी से जुड़े मामलों का भंडाफोड़ हो चुका है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केवल राजधानी पटना में 6763 लीटर फिरंगी, 13032 लीटर देसी शराब पकड़ी गई थी। वहीं, 130 तस्करों को दबोचा गया था। जिन जिलों में विदेशी शराब सर्वाधिक मिली, उनमें वैशाली, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्वी चंपारण और भोजपुर (क्रम के हिसाब से) शामिल है। वहीं, जहां सबसे कम फिरंगी शराब धरी गई, उनमें खगडयि़ा, लखीसराय, अरवल, शेखपुरा और नालंदा जिला हैं।

सबसे अधिक शराब तस्कर बक्सर (562) में अरेस्ट किए गए। दूसरे नंबर पर मधुबनी, तीसरे पर पूर्वी चंपारण, चौथे पर भोजपुर और पांचवें स्थान पर दरभंगा में धंधेबाजों की धरपकड़ की गई, जबकि इस बाबत सबसे कम गिरफ्तारियां खगडिय़ा, शेखपुरा, मधेपुरा, गोपालगंज और कैमूर में हुईं।

बिहार में शराबबंदी के बावजूद बड़े स्तर पर तस्करी के खेल के खुलासे पर विभिन्न सियासी दलों ने शराबबंदी कानून की समीक्षा का मुद्दा उठाया था।

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हालिया चुनावी समर में खुद बिहार के लोगों ने कबूला था कि सूबे में शराब पर बैन के बाद शराब का सेवन और बिक्री और बढ़ गई।

‘एनडीटीवी इंडिया’  से बातचीत के दौरान पूर्णिया में आखिरी चरण के मतदान के दौरान कई महिलाओं ने माना था कि दो-चार महीने तो स्थिति ठीक थी, पर फिर वही हाल हो गया। ब्लैक हो कर अब शराब बिकती है। लोग लुका-छुपाकर पीते हैं।

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