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वित्त विभाग में आडिटर्स के सीनियारिटी निर्धारण में हुआ बड़ा खेल ?

जुबली स्पेशल ब्यूरो

आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ  द्वारा बनाई गई आडिटर्स की सीनियरिटी लिस्ट विवादों के घेरे में आ गई है । बताया जा रहा है कि इसी लिस्ट के आधार पर प्रोन्नति प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

निदेशालय के आदेश संख्या आ0ले0प01821/4592/अधि0/ज्येष्ठ ले0प0/वरि0सूची/2015 लखनऊ दिनांक 28 दिसंबर 2015 द्वारा लेखा परीक्षक/वरिष्ठ लेखा परीक्षकों की जेष्ठता सूची जारी की गई जिसमें वरिष्ठ होने की तिथि से वरिष्ठता सूची जारी की गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार वित्त वेतन वेतन आयोग (नियमावली एवं विधि) के दिनांक 20 जनवरी 2015 द्वारा जारी अधिसूचना के क्रमांक -22 पर यह स्पष्ट किया गया है कि सेवा में किसी श्रेणी के पद पर मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्तियों की ज्येष्ठता समय समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली 1919 के अनुसार पर की जाएगी।

20 मार्च 1991 के शासनादेश के पैरा-5 में स्पष्ट किया गया है कि जहां सेवा नियमावली के अनुसार  नियुक्तियां केवल सीधी भर्ती द्वारा की जाती हो वहां किसी एक चयन के परिणाम स्वरुप नियुक्त किए गए व्यक्तियों की ज्येष्ठता वही होगी जो यथास्थिति आयोग या समिति द्वारा तैयार की गई योग्यता सूची में दिखाई गई है।

पैरा-7 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जहां सेवा नियमावली के अनुरूप नियुक्तियां एक से अधिक अपने ही संवर्ग से केवल पदोन्नति द्वारा जारी की जानी हो वहां किसी एक चयन के परिणाम स्वरुप नियुक्त किए गए व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता उनके अपने अपने संवर्ग में उनकी मौलिक नियुक्ति के आदेश के दिनांक के अनुसार ही की जाएगी।

स्पष्ट है कि सीनियारिटी लिस्ट, लेखा परीक्षक पर नियुक्ति की तिथि से बनाई जायेगी। जबकि  सीनियारिटी का निर्धारण ज्येष्ठ लेखा परीक्षक के पद से की गई है और यह नियम विरूद्ध है। लेखा परीक्षक के पद पर मौलिक नियुक्ति के पद से ही वरिष्ठता सूची होनी जरूरी है।

गुपचुप तैयार की गई नई सीनियारिटी लिस्ट

विभागीय सूत्रों का कहना है कि आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय ने बाद में कार्यालय में तत्कालीन पटल सहायक और निदेशक द्वारा अपने चहेते वरिष्ठ संप्रेक्षकों को लाभ देने के उद्देश्य से गुपचुप तरीके से नई वरिष्ठता सूची जारी की गई जिस पर आदेश संख्या-आ0ले0प0——/अधि04592/वरिष्ठता सूची/2015दिनांक दिसम्बर 2018 का संलग्नक अंकित है जिस पर डिस्पैच नंबर और दिनांक भी अंकित नहीं है तथा किसी भी पृष्ठ पर या अंत में किसी भी कर्मचारी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे और इसे किसी भी विभाग को इसे भेजा नहीं गया।

क्या हुआ है खेल

सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन पटल सहायक और डायरेक्टर ने कई ज्येष्ठ लेखा परीक्षकों को जो पहले सहायक लेखाधिकारी बनने की कतार में थे उन्हें नीचे क्रमांक पर ला दिया और लिस्ट तैयार करके सम्बन्धित कर्मियों के विभाग को नहीं भेजा।

पहले की लिस्ट को नहीं किया निरस्त

प्राप्त सूचना के अनुसार पूर्व में निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ के ही आदेश संख्या आ0ले0प01821/4592/अधि0/ज्येष्ठ ले0प0/वरि0सूची/2015 लखनऊ दिनांक 28.12.2015 द्वारा सभी आपत्तियों का निराकरण करते हुए जो जेष्ठता सूची जारी की गई है और जिस पर डिस्पैच नंबर तथा कर्मचारियों के सभी पृष्ठों पर हस्ताक्षर भी हैं इसे सभी विभागों में भेजा भी गया था।

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लेकिन इसे निरस्त भी नहीं किया गया जबकि इसे निरस्त करने की सूचना के बाद ही नयी सूची फाइनल मानी जाती है।

अब अनियमित लिस्ट पर कर रहे प्रोन्नति

कर्मचारियों के अनुसार अब  बाद में तैयार बिना  हस्ताक्षर वाली अनियमित सीनियारिटी  लिस्ट को ही आधिकारिक मान करके प्रोन्नत करने का काम किया जा रहा है।और पहले से तैयार आधिकारिक लिस्ट को नजरन्दाज कर दिया गया है।

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