मैं कभी कभी भगवान होना चाहता हूं, और सृजन कर देना चाहता हूं नई दुनिया का। हां, नई सृष्टि जिसमें सिर्फ अंधेरा हो क्योकि अंधेरा सुकून भरा होता है और उजाला हमें थका देता है। अंधेरे के सुकून में मां की छांव होती है और बीड़ी के धुंए के छल्ले …
Read More »लिट्फेस्ट
शाखाएं मौसम हवायें सब उसी के खिलाफ…
शाखाएं मौसम हवायें सब उसी के खिलाफ हैं बस इसीलिए वो पत्ते आवारा हुए जा रहे हैं कलम दवात दिख रहे हैं आज कल मयखाने में ज़रूर कुछ लोग आज शायर बने जा रहे हैं । जंग ज़रूरतें और ज़िम्मेदारियों के बीच छिड़ी हुई है , और बेचारे ख्वाब हार …
Read More »सुख और दुख में फर्क यूं खुद को बताते हो…
सुख और दुख में फर्क यूं खुद को बताते हो, तुम उसको याद करते हो और भूल जाते हो तुम जिसको चाहते थे, हासिल न कर सके फिर खुशनसीब क्यों भला खुद को बताते हो क्या इस ख़ुशी में तेरी कहीं गम भी है शरीक क्यों रौशनी बुझा कर जन्मदिन …
Read More »तुम्हारा हंसना मादक है, मैंने बुरा नही माना…
तुम्हारा हंसना मादक है, मैंने बुरा नही माना, लेकिन मेरे आंसू का प्रिय तुमने भेद नही जाना। अपनेपन के हृदय मुकुर मे, परिचित मेरी तेरी छाया, सुख दुख के स्वप्नो की सरिता, पलकों का मन लगे पराया। नयनो के सावन का बादल, बनकर तुमको पहचाना।लेकिन .. स्मित अधरों की रेखा …
Read More »शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है….!!
शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है….!! मोहब्बत का सफ़र कहाँ आसान होता है| हासिल हो,तो ख़िलाफ़ सारा जहाँन होता है|| सिसकियों की ईंट पर, हादसों की खिड़कियां शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है|| ज़िन्दगी निकलती है ,जब समंदर की सैर पर तब वहीँ नाँव से लिपटा,कोई …
Read More »रंगारंग सांंस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांधा
जुबिली पोस्ट ब्यूरो लखनऊ। जवाहर भवन- इन्दिरा भवन कर्मचारी महासंघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण एवं होली मिलन समारोह मंगलवार को जवाहर भवन परिसर में रंगारंग कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत बृज के लोकगीतों को मथुरा से आयी वन्दना ने अपने मधुर आवाज में श्रोताओं …
Read More »साहित्य संवाद शृंखला में कहानी पाठ
जुबिली पोस्ट ब्यूरो लखनऊ। कहानीकार के रूप में पधारे डॉ0 सुधाकर अदीब ने अपनी कहानी चरैवेति- चरैवेति का पाठ किया। एक पुराने पुल पर आती-जाती नई व पुरानी गाड़ियों की आवाजाही का सुन्दर चित्रण करते हुए कहानी के मर्म को सुनाया। उनकी कहानी में देहाती चिड़िया व शहराती चिड़िया के …
Read More »ले चलो मुझे प्रिय जहां कभी मधुमास न हो…
ले चलो मुझे प्रिय जहां कभी मधुमास न हो, कलियों का परिमल,भंवरों का उपहास न हो मैने उदगारों से मांगी, अधरों की पागल मुसकानें, विस्मृत सा मै खडा हुआ था, कोई मेरी पीड़ा जाने। निराशा की नदिया मे बहकर मुझको अपने साथ ले चल, जहां कभी बरसात न हो। आज …
Read More »यक्ष-युधिष्ठिर संवाद : अंतरिक्ष में हमला
पंकज मिश्रा यक्ष – A-SAT के परीक्षण के लिए जब हम 2012 में ही तैयार थे तो किया क्यो नहीं राजन … युधिष्ठिर – कांग्रेस की वजह से , कांग्रेस की प्राथमिकता में कभी राष्ट्र की सुरक्षा रही ही नही .. ये priorities में परिवर्तन तो इस सरकार की देन …
Read More »मैं घर का बड़ा था, मुझ पर जिम्मेदारियां…
मैं घर का बड़ा था, तो मुझ पर जिम्मेदारियां बहुत थीं, प्यार सबका कुछ ज्यादा था मुझसे, तो हक्दारियां बहुत थीं., मैं सब देखता और घर के हालात समझता था, प्यार बहुत था सबमे फिर भी कुछ दरमियाँ उलझता था, मुझे भी माँ के आँचल में सोना पसंद था, छोटे …
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