जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीय वन सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सौपी है जिसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए हजारों पेड़ काटे गए, जो “नियमों के अनुसार नहीं” और “अंतिम मंजूरी के बिना” थे।
द हिन्दू की एक खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों में नए 111 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए कुल 17,607 पेड़ काटे गए हैं।
भारतीय वन सर्वेक्षण पिछले साल एनजीटी द्वारा गठित चार सदस्यीय संयुक्त समिति में शामिल था, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या परियोजना के लिए पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया था ?
20 फरवरी की एफएसआई रिपोर्ट में कहा गया है, “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जो जानकारी मिली है, जिसमें पुष्टि की गई है कि परियोजना को अंतिम मंजूरी नहीं दी गई है, जो पेड़ों की कटाई के किसी भी अभियान को शुरू करने से पहले आवश्यक है।”
हालाकि संयुक्त समिति की रिपोर्ट में पेड़ों की कटाई में कोई अवैधता नहीं पाई गई थी। 17 जनवरी की रिपोर्ट में कहा गया है, “क्षेत्र के दौरे और उसकी जांच के दौरान संयुक्त समिति द्वारा कोई अत्यधिक या अवैध पेड़ कटाई नहीं देखी गई।” 20 जनवरी को, एनजीटी ने नोट किया कि समिति की रिपोर्ट पर एफएसआई की संयुक्त निदेशक मीरा अय्यर के हस्ताक्षर नहीं थे और कहा गया कि अगर उनका रुख अलग है तो वह एक अलग रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती हैं।
पिछले साल एनजीटी ने एक अखबार की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था कि यूपी सरकार गाजियाबाद के मुरादनगर और मुजफ्फरनगर के पुरकाजी के बीच प्रस्तावित मार्ग के लिए तीन जिलों में परियोजना के लिए 1,12,722 पेड़ों को काटने की योजना बना रही है। 17 जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार, कुल 111.49 किलोमीटर के मार्ग में से 62 किलोमीटर में पेड़ काटे जा चुके हैं और बाकी को छुआ नहीं गया है।