Tuesday - 16 January 2024 - 4:09 AM

लिट्फेस्ट

त्रासदी की कविता : प्रेम विद्रोही ने जो लिखा

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । पेशे से …

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त्रासदी की कविता : नरेंद्र कुमार की कलम से

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । नरेंद्र कुमार …

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त्रासदी की ग़जल : मालविका हरिओम की कलम से

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । मालविका हरिओम …

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#CoronaDiaries: हवा खराब है। आकाश मायावी

अभिषेक श्रीवास्तव हवा खराब है। आकाश मायावी। मैंने दोनों को उन्चास दिन बाद देखा। घंटों। गाजियाबाद से दिल्ली। दिल्ली से गुड़गांव। और वापसी में। इतनी भारी हवा मैंने केवल ओडिशा के समुद्र तट पर महसूस की थी इससे पहले। लेकिन उसमें नमक था। इसमें नहीं। इतना उदास आकाश मैंने कोई …

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कोरोना वारियर डॉ वरुण चौधरी की जोशीली कविता “हंदवाड़ा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि”

वरुण चौधरी मिटते हैं सरजमीं पर वह शख्स अमर हो जाते हैं। नाम की भूख नहीं वह हर जुबां की खबर हो जाते हैं। जिन्दा है ज़मीं की धड़कनें जिनके कदमों की ताल से। गूंजते हैं जयघोष जिनके आकाश और पाताल से। वतन के रखवाले वतन पर बलिदान हो जाते …

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विकल्प हैं इसीलिए कलाकारों को करनी होगी दुगनी मेहनत: अनुराग सिन्हा

मौजूदा सदी में विजुअल कल्चर और कम्यूनिकेशन को लेकर तरह तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें दर्शकों के सामने नए तरह के वीडियो कंटेन्ट को परोसा जा रहा है। सिनेमा हॉल से निकल चुका दर्शक अब मोबाइल में टकटकी लगाए हुए हैं। उसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, वूट, जी …

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कोरोना काल की कहानी: जनता कर्फ़्यू-3

डॉ. मनीष पाण्डेय ……चाय के साथ पारले बिस्किट (गोल्ड वाला क्योंकि नॉर्मल का स्वाद अब चावल की भूंसी जैसा हो गया है) भिगाकर खाते हुए आशीष के मोबाइल पर रिंग आती है, जिसे वह सेकंड के दसवें भाग में ही रिसीव कर लेते हैं, क्योंकि उंगलियां तो हमेशा स्क्रीन पर …

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अखबार और रंगमंच के सेतु विजय तिवारी नहीं रहे

लखनऊ के रंगकर्म का हास्य रंग चला गया नवेद शिकोह लखनऊ रंगकर्म को अखबारी कवरेज के रंगों से ग्लैमरस करने वाले हरफनमौला रंगकर्मी विजय तिवारी पर मृत्यु ने विजय प्राप्त कर ली। दर्जनों मीडियाकर्मियों और सम्पूर्ण रंगजगत के चहेते ज़िन्दादिल विजय तिवारी को तीन दिन पहले ब्रेनहेमरेज के बाद लखनऊ …

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आदमी अपने हर सही-ग़लत के पक्ष में दार्शनिक तर्क गढ़ लेता है : संजीव पालीवाल

ऐसा बहुत कम देखा गया है कि किसी राइटर की पहली ही रचना धूम मचा दे, इतनी चर्चा बटोरे कि यक़ीन करना मुश्किल हो कि राइटर ने इससे पहले, पढ़ा तो ख़ूब पर लिखने के नाम पर उसके ख़ाते में कुछ ख़ास दर्ज़ नहीं। वरिष्ठ टीवी पत्रकार संजीव पालीवाल की …

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कहानी : जनता कर्फ़्यू 2

डॉ. मनीष पांडेय लॉकडाउन में प्रत्येक व्यक्ति अपनी अलग-अलग तरह की समस्याओं से जूझ और आतंकित हो रहा था! अचानक सोशल मीडिया एक ख़बर से धधक उठता है.. “सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने डीडी नेशनल पर रामायण सीरियल वापसी की घोषणा ट्विट की!” रामनवमी के निकट आ रहे क्षणों में …

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