Tuesday - 16 January 2024 - 3:29 PM

लिट्फेस्ट

चंचल की डायरी : अलविदा भाई अजय सिंह

(वरिष्ठ पत्रकार और कालांतर में केंद्र में मंत्री रहे अजय सिंह का आज देहांत हो गया । अजय सिंह को याद कर रहे हैं चंचल) चंचल वी पी सिंह सरकार में अजय सिंह रेल राज्य मंत्री बन कर रेल भवन आये । जॉर्ज फ़र्नान्डिस रेल मंत्री थे । अजय के …

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आईआईएसई ने लिया पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प

पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित, ऑनलाइन दर्ज कराई मौजूदगी  छात्रों और शिक्षकों ने पौधों की सुरक्षा की शपथ ली जुबिली स्पेशल डेस्क लखनऊ। कल्याणपुर स्थित आईआईएसई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसरपर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के …

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चंचल की डायरी : 5 जून यानी जे. पी.

चंचल  हम जब जे पी से मिले तब तक ‘लोग’ उन्हें भूल चुके थे । यह वाकया है 72 का । जे पी काशी विश्वविद्यालय स्थित हॉस्पिटल में भर्ती थे । इसकी जानकारी कम ही लोंगो को थी । (यह वाकया हम लिख चुके हैं ) सुबह का वक्त था …

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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर मीडिया मंच के विशेष अंक का विमोचन

बेदाग रहा है मीडिया मंच के 22 वर्षों का कामयाब सफर : नवनीत सहगल पत्रिका का नियमित प्रकाशन ही सफलता का प्रमाण : शिशिर जुबिली न्यूज़ डेस्क  लखनऊ. उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव खादी ग्रामोद्योग एवं एमएसएमई नवनीत सहगल ने आज मीडिया मंच के 22 वर्ष पूरे होने के अवसर …

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हिन्दी पत्रकारिता पर भारी पड़ी है कोरोना काल में अर्थव्यवस्था पर चोट

जुबिली न्यूज़ डेस्क लखनऊ. कोरोना संकट के इस दौर में अर्थव्यवस्था पर पड़ी चोट ने पहले से ही तमाम संकटों से जूझ रही हिन्दी पत्रकारिता को खासा नुकसान पहुंचाया है। हालांकि बड़े बाजार और निरंतर प्रगति कर रही हिन्दी पत्रकारिता का आने वाला दौर बेहतर होने की उम्मीद बरकरार है। …

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त्रासदी की ग़ज़ल : रोटियाँ तो रेलवाली पटरियाँ सब खा गईं

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है. ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है. जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । सुपरिचित कवियत्री रचना मिश्रा …

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त्रासदी की कविता : देवेन्द्र आर्य ने देखा “पैदल इंडिया”

संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । देवेन्द्र आर्य की …

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चंचल की डायरी : किस्सा सुनील दत्त के जुलूस का

चंचल दादा की जवानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में बीती, उसके बाद दिल्ली में। समाजवाद का ककहरा और पेंटिंग साथ साथ चलते रहे। राजनीति और कला के बीच उन्होंने अपनी किस्सागोई की अलग पहचान बनाई है। फिलहाल जौनपुर के अपने गावं में बने समताघर में रह रहे हैं …

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मालविका हरिओम की ताज़ा ग़ज़ल : ये कलियुग है यहाँ भूखा कभी रोटी नहीं पाता

आपदा काल में मालविका हरिओम लगातार मजबूरों के दर्द को गज़लों की शक्ल में सामने ला रही हैं । अपनी गज़लों के जरिए वे मानवीय संवेदना को झकझोर रही हैं। बतौर शायर मालविका ने इस वक्त के हालात पर काफी कुछ लिखा है । उनकी ये ताजा गजलें पढिए । …

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त्रासदी में कहानी : “बादशाह सलामत जिंदाबाद”

अनूप मणि त्रिपाठी आज रहम दिल बादशाह निकला है अपनी रिआया का हाल जानने। वैसे तो वह अपने किले की फ़सील से ही मुल्क के नाम पैगाम देकर अपनी रिआया से मुखातिब होता रहा है। पर आज वह निकला है। निकला भी क्यों क्योंकि बहुत दिनों से उसने गैर मुल्कों …

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