Monday - 29 January 2024 - 2:32 PM

जुबिली डिबेट

मदर्स डे मनाना तो अहसान फरामोशी है

शबाहत हुसैन विजेता आज मदर्स डे है. दुनिया माँ को विश कर रही है. माँ जो पैदा करती है. माँ जो परवरिश करती है. माँ जो जीना सिखाती है. माँ जो रिश्तों की पहचान करवाती है. माँ जिसके पाँव तले जन्नत है. माँ जिसके लिए औलाद एक मन्नत है. माँ …

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कोरोना काल के बाद क्या बदल जाएगा राजनीति का तौर तरीका ?

उत्कर्ष सिन्हा मायावती और मोदी की वो लाखों की भीड़ वाली रैलियां क्या अब अतीत के किस्से रह जाएंगे ? भीड़ भरे शहरों की सड़कों पर होने वाले रोड शो का दौर क्या खत्म हो चुका है ?  कोरोना संक्रमण ने पूरे देश को एक नया शब्द समझा दिया है …

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जंगलों को बचाने की जिम्मेदारी किसकी?

30 सालों में 17.8 करोड़ हेक्टेयर जंगल हुए खत्म वर्ष 2019 में आपदा के कारण 2.49 करोड़ लोग अपने ही देश के भीतर शरणार्थी बन गए दुनिया के करीब 54 फीसदी जंगल केवल पांच देशों  में  हैं पृथ्वी के के करीब 406 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर फैले हैं जंगल अभिनव …

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चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आई है

सुरेन्द्र दूबे आज हमें वर्ष 1986 में रिलीज हुई फिल्म ” नाम ” के एक मशहूर गाने की बड़ी याद आ रही है- चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है। ये गीत आनंद बक्शी ने लिखा था और इसे गाया था मशहूर गजल गायक पंकज उधास नें। पूरे देश …

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हर आतंकी का यही हश्र तय है

कृष्णमोहन झा विगत दिनों कश्मीर के हंदवाडा इलाके में आतंकियों द्वारा बंधक बनाए परिवार के सदस्यों को उनके चंगुल से छुडाने के लिए आतंकियों से लड़ते हुए जब भारतीय सेना के एक मेजर और एक मेजर सहित पांच बहादुर जवानों को अपनी शहादत देनी पडी थी तो सारेदेशवासियों का खून …

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जन्मदिन विशेष : आपदा मे कार्ल मार्क्स की याद

रिपु सूदन सिंह वैश्विक आपदा मे कार्ल मार्क्स को याद करना दुस्साहसिक और चुनौतीपूर्ण कार्य है। आज संकट का एक ऐसा दौर है कि बरबस ही हम अपने पूर्वजों यथा वाल्मीकि, व्यास, चार्वाक, आलर कालाम, पतंजलि, बुद्ध, कन्फ़्यूशियस, लाओत्सी, कौटिल्य, प्लेटो, शंकर, कबीर, गुरुनानक, बुल्ले शाह, हेगल, टोलोस्टोय, विवेकानन्द, गांधी, …

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प्रदर्शनकारी कलाओं पर भी पड़ेगा कोरोना का असर ?

डॉ. मनीष कुमार जैसल जन अभिरुचि ही प्रदर्शनकारी कलाओं को जीवंत रखे हुए हैं। नृत्य, संगीत, नाटक, चित्र कला, मूर्ति कला, दास्तानगोई, कव्वाली और सिनेमा के साथ तमाम ऐसे प्रदर्शन जो एक कलाकार की प्रतिभा को एक बड़े वर्ग समूह में देखा सुना जाए उसकी वैलिडिटी दर्शक की अभिरुचि पर …

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काम की गारंटी हो तो रुक भी सकते हैं प्रवासी मजदूर

कृष्णमोहन झा लाक डाउन की  घोषणा के बाद जो लाखों प्रवासी मजदूर करीब डेढ़ माह से दूसरे राज्यों में फंसे हुए थे अब उनकी घर वापसी का रास्ता साफ हो गया है |केंद्र सरकार ने लाक डाउन 2-0 की अवधि समाप्त होने के दो दिन पूर्व ही विशेष श्रमिक ट्रेनों …

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मजदूरों का इतना अपमान क्यों ?

सुरेंद्र दुबे आज पूरे देश में कोरोना के योद्धाओं का अस्पतालों पर विमान से फूल बरसा कर सम्मान किया जा रहा है। सुबह दिल्ली में पुलिस मेमोरियल पर श्रद्धानजालि अर्पित कर इस कार्यक्रम की शुरआत की गई। रात को जहाजों पर लाइटिंग कर डाक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ को सम्मानित …

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पोस्ट-कोरोना नारी-विमर्श मे अर्द्धनारीश्वर

रिपु सूदन सिंह नारी (औरत) असीम ऊर्जा और कल्पनातीत सृजनशीलता का एक अद्भुत केंद्र है जो पुरुष का सृजन करती है। वह अपनी समूची ऊर्जा, अथाह क्षमता और जान हथेली पर रख कर उसको इस ब्रह्मांड मे प्रक्षेपित करती है। कभी कभी वह किसी उपग्रह की ही तरह खुले आसमान …

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