कृष्णमोहन झा
विगत दिनों कश्मीर के हंदवाडा इलाके में आतंकियों द्वारा बंधक बनाए परिवार के सदस्यों को उनके चंगुल से छुडाने के लिए आतंकियों से लड़ते हुए जब भारतीय सेना के एक मेजर और एक मेजर सहित पांच बहादुर जवानों को अपनी शहादत देनी पडी थी तो सारेदेशवासियों का खून खौल उठा था और सारा देश अधीरता से उस घडी की प्रतीक्षा कर रहा था जब कश्मीर घाटी में आतंकीवारदातों की साजिश रचने वाले आतंकवादी संगठन के मुखिया को ही हमारी सेनामौत के घाट उतार कर अपने पांच बहादुर जवानों की मौत का बदला लेगी |उक्त आतंकी वारदात की जिम्मेदारी जिस आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह मुजाहिदीन ने ली थी उसके आपरेशनल कमांडर रियाज नाइकू एवं उसके एक साथी. को सुरक्षा बल के जवानों ने दो दिन के अंदर ही मौत के घाट उतार दिया |
नाइकू ने अतीत में घाटी में भारतीय सुरक्षा बलों के कई जवानों एवं पंचायत कर्मियों की हत्या करवा दी थी |अतीत में जब पुलिस ने उसके पिता को हिरासत में लिया था तब उसने कुछ पुलिस कर्मियों एवं पंचायत कर्मियों का अपहरण कर लिया था | कश्मीर में अमन चैन के लिए वह कितना बड़ा खतरा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार की नजरों में वह ए++ श्रेणी का आतंकवादी था और सरकार ने उस पर 12 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था |उसी ने सुरक्षा बालों की कार्रवाई में मारे जाने वाले आतंकियों के जनाजाों को गन सेल्यूट देने की परंपरा शुरू की थी उसे अपने आतंकी संगठन के अंदर मास्टरजी के नाम से पुकारा जाता था | उसने हिजबुलमुजाहिदीन के जरिए भले ही अनेक आतंकी वारदातों की साजिश रची थी परन्तु उसे खुद अपनी जान जाने का इतना डर था कि वह अपने घर जाने के लिए सुरंग का इस्तेमाल करता था और जब सेना के जवानों ने मौत के घाट उतारा तब भी वह अपने घर के तहखाने में छुपा हुआ था ।
रियाज़ नाइकू के बारे में पुलिस को जानकारी हिजबुलमुजाहदीन संगठन के प्रतिद्वंदी गुट ‘ द रेजिस्टेंट फ्रंट ‘ से मिल रही थी | कश्मीर घाटी में हिजबुलमुजाहिदीन के आपरेशनल कमांडर के रूप में उसका असर बढने से यह गुट बहुत खफ़ा हो गया था और पुलिस को उसके बारे में सूचनाएं देने लगा था |
रियाज अपनी बीमार माँ को देखने जब वह एक सुरंग के रास्ते घर तक आया तब उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि भारतीय सेना के जवान अपने एक कर्नलऔर एक मेजर सहित पांच बहादुर जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए प्रण कर चुके हैं |रियाज नाइकू जहां छुपा हुआ था उस स्थान तक पहुंचने के लिए पहले जे सी बी मशीनों से खुदाई की गई फिर सेना के जवान जब उसके पास पहुंचे तो उसने खुद को बचाने के लिए अंधाधुंध फायरिंग चालू कल दी परंतु इस बार तो उसकी मौत तय हो चुकी थीं |
गौरतलब है कि कश्मीर में वुरहान वानी के मारे जाने के बाद जो उपद्रव भड़के थे उसे प्रशासन भूला नहीं है इसलिए रियाज़ नाइकू की मौत के बाद अशांति की आशंका के चलते स्थिति को काबू में रखने के लिए प्रशासन ने पहले से ही एहतियाती इंतजाम कर रखे हैं. |पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में रियाज़ नाइकू के मारे जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि रियाज़ नाइकू ने अपने हाथों में बंदूक थामी थी उसी दिन यह तय हो गया था कि उसका यही हश्र होना है | उमर का कहना बिलकुल सही है |
कश्मीर में वुरहान वानी और रियाज नाइकू जैसे आतंकियों को मारने में सुरक्षाबलों की सफलता आतंकवाद की कमर तोडने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है | ऱियाजनाइकू के मारे जाने से अब उन गुमराह युवकों का मनोबल टूटना तय है जिन्हें वह हमेशा आतंकवाद की राह पर चलने की पट्टी पढाया करता था आवश्यकता दरअसल इस बात की है कि कश्मीर के नेता इन गुमराह युवकों को सही राह कुचलने के लिए प्रेरित करें| कश्मीर में खुशहाली तभी कायम हो सकती है जबकि वहां अमन चैन की बहाली हो | इस हकीकत का अहसास पता नहीं वहाँ के राजनीतिक दलों को कब होगा |
इस समय सारी दुनिया में कोरोनावायरस के भयावह संक्रमण के कारण जो हाहाकार मचा हुआ है उसकी गिरफ्त में आने से जब अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसी महाशक्तियां भी खुद को नहीं बचा पाई तो फिर दूसरे देशों की सहायता पर पलने वाले छोटे से देश पाकिस्तान की बिसात ही क्या है परंतु आश्चर्य की बात यह है कि इस नाजुक घड़ी में भी उसे अपने नागरिकों की कोरोना -संक्रमण से रक्षा करने में उतनी दिलचस्पी नहीं है जितनी दिलचस्पी वह भारत की कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों को बढाना देने में दिखा रहा है |
कोरोना के संक्रमण काल में भी अगर उसकी गुस्ताखियों में कोई कमी न आए तो इसका मतलब यही निकाला जा सकता है कि वह अपनी नाकामियायों की ओर से अपने देश की जनता का ध्यान हटाने के लिए कर रहा है | उसकी हर गुस्ताखी उसे बहुत महंगी साबित होती है परंतु इसके बावजूद वह अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आया है और वह कभी बाज आएगा भी नहीं | अगर पाकिस्तान ने इस समय कोरोना संक्रमण से अपने नागरिकों की सुरक्षा के उपायों पर सारा ध्यान केंद्रित किया होता तो कश्मीर घाटी में आतंकी वारदातों में कमी आनी चाहिए थी परंतु जिस देश ने अपने पडोसी देश में आतंकियों को हिंसा के लिए उकसाना ही अपना एक मात्र एजेंडा बना लिया हो उसके लिए एक महामारी से अपने नागरिकों की सुरक्षा कोई मायने नहीं हो सकते।
(लेखक डिजियाना मीडिया समूह के राजनीतिक संपादक है)