Friday - 9 May 2025 - 8:39 PM

ओपिनियन

क्या विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता केवल अकादमिक ही होनी चाहिये ?

अशोक कुमार यह एक बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लगातार चर्चा का विषय बना रहता है। अकादमिक स्वायत्तता क्या है? यह विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम, शोध और शिक्षण पद्धतियों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने की अनुमति देती है। यह उन्हें नवाचार करने और वैश्विक …

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आज भी प्रासंगिक हैं स्वामी विवेकानंद के विचार

कृष्णमोहन झायह एक प्रसिद्ध कहावत है कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होना चाहिए। यह कहावत भारतीय दर्शन और अध्यात्म के प्रकांड विद्वान और युवा पीढ़ी के अनन्य प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद का के यशस्वी व्यक्तित्व और कृतित्व पर पूरी तरह खरी उतरती है जिनके क्रांतिकारी विचारों ने मात्र 39 वर्ष …

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जो कभी नहीं रहा विवादों में उसकी मौत हुई रहस्यमई

जुबिली स्पेशल डेस्क 2 अक्टूबर को ही देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जाती है जबकि 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनकी बड़ी रहस्यमयी तरीके से मौत हुई थी। उनकी सादगी अपने आप में एक मिसाल है। ईमानदारी और स्वाभिमानी छवि की …

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दिल्ली में कांग्रेस के सामने शून्य से शुरुआत करने की चुनौती

कृष्णमोहन झा केंद्रीय चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की विधानसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है और इसी के साथ वहां चुनाव में किस्मत आजमाने की मंशा रखने वाले राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान में तेजी आ गई है। इन दलों में आम आदमी पार्टी और …

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RSS के सौवे वर्ष में उल्टी गंगा : संघ से उलेमा सहमत, साधु-संत असहमत

नवेद शिकोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष ऐसा रंग दिखा रहा है जो रंग पिछले सौ वर्षों में कभी नजर नहीं आया। पहली बार लग रहा है कि बीजेपी आंख बंद करके आर एस एस की आज्ञा मानने को शायद तैयार ना हो। खासकर यूपी में तो ऐसा ही …

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मंदिर-मस्जिद विवादों पर संघ प्रमुख का सकारात्मक दृष्टिकोण

कृष्णमोहन झा  विगत कुछ माहों के दौरान देश के कुछ हिस्सों में अचानक जो मंदिर मस्जिद विवाद उभर कर सामने आए हैं उनसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत बेहद खिन्न दिखाई दे रहे हैं। संघ प्रमुख की दृष्टि में इस तरह के विवादों को किसी भी सूरत में …

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नरेंद्र मोदी के अल-बिरूनी हैं राजदीप सरदेसाई !

राजशेखर त्रिपाठी राजदीप सरदेसाई मोदी युग का अल बिरूनी है। यूं तो अल बिरूनी अपने दौर का लियोनॉर्दो दा विंची था – ज्योमेट्री से ज्योतिष तक में हाथ आजमा रहा जीनियस। मगर महमूद गजनी ने उसे भारत में सिर्फ तारीख़ साज़ बना कर छोड़ दिया। बिरूनी को जिस ‘किताब अल …

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन में शिक्षक एवं शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका

अशोक कुमार किसी देश के विकास में शिक्षा महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। इसे समय और दुनिया के बदलते परिदृश्य की जरूरतों के अनुरूप बदलना चाहिए। यह मानवता का सामना करने वाले सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक नैतिक और आध्यात्मिक मुद्दों पर गंभीर रूप से प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान करता …

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साइबर सुरक्षा : बढ़ते साइबर खतरों से निपटने के लिए आवश्यक कौशल और तकनीक

प्रो. अशोक कुमार आज के डिजिटल युग में, साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। हर दिन नए-नए साइबर खतरे उभर रहे हैं, जो व्यक्तिगत, व्यावसायिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ …

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सफल लोकतंत्र के लिए जरूरी हैं राजनीति में शुचिता और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया

कृष्णमोहन झा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक देश एक चुनाव ‘ के विचार को एक ऐसा राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है जिस पर अंतहीन बहस का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों ने पक्ष विपक्ष में अपने जो अलग अलग तर्क दिए हैं उनसे हाल …

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