Monday - 22 January 2024 - 6:34 AM

ओपिनियन

कागज की ये महक, ये नशा रूठने को है यह आखिरी सदी है, किताबों से इश्क की..

ओम प्रकाश सिंह अयोध्या। एक समय था कि बच्चों को सुलाने के लिए मांएं लोरियां सुनाती थीं। किताबें वयस्कों के सिरहाने होती थीं। चंपक, चाचा चौधरी, नंदन जैसी पुस्तकों को पढ़ने का मोह बुजुर्ग भी नहीं छोड़ पाते थे। बदलते दौर में पुस्तकें भले ही डिजिटल, आडियो हो गईं हों …

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नवाब मीर जाफर की मौत ने तोड़ा लखनऊ का आईना

नवेद शिकोह @naved.shikoh किसी शेर का एक मिसरा है- हमने जन्नत तो नहीं देखी है, मां देखी है। ऐसे ही जब हम लखनऊ के नवाबों और नवाबीन के दौर के तसव्वुर को हक़ीक़त में देखना चाहते थे तो हम जनाब नवाब मीर जाफर अब्दुल्ला को देख लेते थे। उनसे बात …

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चौकडी की जुगलबंदी से फिर निर्मित होने लगा भय का वातावरण

डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में एक बार फिर कोरोना के नये वैरिएंट की खबरों की बाढ सी आ गई है। ड्रग माफियों ने कोरोना के नाम पर विगत वर्षों में जमकर निरीह नागरिकों को खून चूसा था। सरकारी चिकित्सालयों में इस महामारी के उपचार हेतु भारी भरकम बिलों के माध्यम …

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नीतीश जानते हैं मंडल ही कमंडल को हरा सकता है, क्या कांग्रेस समझ रही है?

धनंजय कुमार शोषक और माफिया-गुंडे अब सिर्फ़ सवर्ण जाति के लोग नहीं रहे, पिछड़ी और दलित जातियों और आदिवासियों की कुछ जातियों के लोग भी शोषण, माफियागिरी और गुंडागर्दी में पीछे नहीं हैं ! मंडल ने पिछली और दलित जातियों को भी शक्तिशाली और महत्वपूर्ण बनाया है ! लिहाजा कमंडल …

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मायावती मुश्किल में, इधर जाएं या उधर !

जुबिली न्यूज डेस्क  नवेद शिकोह संकेत हक़ीक़त बने और देश के विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ लामबंद हुए तो बसपा कहां जाएगी ? पार्टी सुप्रीमो मायावती को नई सियासी गणित असमंजस में डाल सकती है। भाजपा के खिलाफ विपक्षी ख़ेमें में नहीं गईं तो उनका जनाधार और भी कमजोर हो …

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राहुल से ज्यादा अहमियत सारस की है !

नवेद शिकोह चेहरे पर दाग ना हो तो चेहरे के तिल को ताड़ बनाने की कोशिश होती है। यूपी की योगी सरकार इसलिए भी निश्चिन्त हैं क्योंकि उसे लग रहा है कि विपक्ष यानी विरोधियों के आईने में भी सरकार के चेहरे पर कोई दाग नहीं दिख रहा है। तभी …

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अवध विश्वविद्यालय से शोध करने में जवानी अधेड़ हो सकती है

आखिर कब सुधरेगी कार्यप्रणाली, यह भी शोध का विषय.. ओम प्रकाश सिंह अयोध्या। रामनगरी के अवध विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली सुधरने का नाम ही नहीं ले रही। प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि किसी विषय पर शोध करने में आपकी जवानी अधेड़ में तब्दील हो सकती है। किसी भी विश्वविद्यालय …

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सत्ता के डर के आगे विपक्षी एकता है

नवेद शिकोह जेल के डर के आगे विपक्षियों की एकता डर के आगे जीत हो ना हो पर डर दूरियों और बिखराव को दूर करके एकता स्थापित करने में कारगर होता है। देश की सियासत की बात की जाए तो बिखरा हुआ विपक्ष भ्रष्टाचार और हेट स्पीच मामलों में गिरफ्तारियां …

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भगत सिंह : आजादी के इस मतवाले के कितने रूप

यशोदा श्रीवास्तव जब हम तथाकथित प्रगतिशील लेखक की एक बहुचर्चित फिल्म देखते हैं तो जान पाते हैं कि गांधी का हत्यारा गोडसे इस गुस्से में गांधी का कत्ल कर देता है कि गांधी ने भगत सिंह को फांसी से बचाने का कोई उपाय तो नहीं ही किया, अंग्रेज हुकूमत के …

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सिर्फ नाम के ही रह गए हैं डॉ. राममनोहर लोहिया के विचार!

डॉ. सीपी रॉय 23 मार्च है डॉ राममनोहर लोहिया का जन्मदिन। देश के वणिक समाज के लोग अपने कार्यक्रम में उनकी फोटो लगायेंगे और उनको अपने समाज का गौरव बताएँगे। और वे ये भूल जाना चाहेंगे तथा इसका जिक्र भी नहीं करना चाहेंगे की उसी डॉ लोहिया ने इस देश …

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