Friday - 19 January 2024 - 7:07 PM

ओपिनियन

आगे भी कुछ है लोकतंत्र के पार

केपी सिंह  सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने खिलाफ लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पूरे सिस्टम में विस्फोट कर दिया है कि कुछ बड़ी ताकतें प्रधानमंत्री कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहती हैं। उनकी अगुवाई करने वाली पीठ में कुछ संवेदनशील मामले सूचीबद्ध हैं। उन्होंने …

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फिर फंसी बेचारी ईवीएम

विवेक कुमार श्रीवास्तव लोकसभा चुनावों के बीच एक बार फिर सभी विपक्षी दल ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाने लगे हैं। मंगलवार को चल रहे तीसरे चरण के मतदान के बीच सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर देश भर से ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। …

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दिग्विजयी दांव के सामने चुनाव को धर्म युद्ध बनाने की कवायद!

कृष्णमोहन झा कांग्रेस द्वारा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद हाई प्रोफ़ाइल हुए इस सीट पर भाजपा में यह खलबली मची थी कि आखिर पार्टी का कौन सा नेता उन्हें चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर देने में सक्षम हो सकता …

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EARTH DAY : सभ्यता की दृष्टि सर्वाधिक दरिद्र है, वह विभेद का उत्सव मनाती है

डॉ श्रीश पाठक  हमारी देह में भीतर-बाहर अरबों जीव पल रहे। वे हमारे अस्तित्व से अनभिज्ञ होंगे या सम्भवतः  उन्हें एहसास भी हो। हमारी यह देह उनके लिए किसी ब्रह्माण्ड से कम नहीं। यह पूरा ब्रह्माण्ड इतना अधिक विशाल है कि यह हमारे कल्पना के अनंत से भी कई गुना …

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मायावती का बहुत सम्मान करना, राजनीति के पंडित मुलायम सिंह के वसीयत के निहितार्थ बांचने में लगे

के.पी. सिंह शुक्रवार को मैनपुरी में मुलायम सिंह और मायावती का संयुक्त संबोधन ऐतिहासिक रहा। दोनों पार्टियों के गठबंधन को लेकर जो संदेह प्रकट किये जा रहे थे उनका अंत एकजुट रैली से हो गया है। किसी को आशा नही थी कि मुलायम सिंह बसपा सुप्रीमों के प्रति अपनी कटु …

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सूबे का मुस्लिम अवाम बना वोट बैंक

राजेन्द्र कुमार लखनऊ चुनाव और मुसलमान उत्तर प्रदेश की राजनीति का यथार्थ भी है और मिथ भी। चुनाव आते ही इस वोटबैंक की परवाह शुरू हो जाती है। सभी दलों की राजनीति के केंद्र में मुसलमान होता है पर उसके मुददे पीछे रहते हैं। इस बार फिर सूबे का मुस्लिम …

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स्मृति ईरानी: लीक तोड़ने की वजह होनी चाहिए

राजनीति में पैंतरेबाजी का अभिन्न महत्व है। इस मामले में कोई दूध का धुला नही है। रणनीतिक जरूरतों के लिए कई बार पार्टिया और नेता पटरी से उतर जाते हैं। राजतंत्र में तो यह होता ही था, लोकतंत्र में भी होता है। दिशा सूचक बिंदुओं की आम सहमति राजनीति साम-दाम-दण्ड-भेद …

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लखनऊ में भाजपा की घेराबंदी के नाम पर ये क्या?

रतन मणि लाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होने की वजह से सभी दलों और नेताओं के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन इस बार के लोक सभा चुनाव में ऐसा लगता है कि प्रमुख विपक्षी दल ने केवल लखनऊ को गंभीरता से नहीं ले रहे, बल्कि यहाँ …

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आप चुन रहे या चुने जा रहे?

डॉ. श्रीश पाठक अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम का प्रमुख नारा था- ‘बिना प्रतिनिधित्व के कर नहीं!’ अपने प्रतिनिधियों को चुनने का हक़, लोकतंत्र में एक बुनियादी हक़ है। शक्ति का केन्द्रीकरण न हो, लोकतंत्र के लिहाफ में कहीं कोई तानाशाह न तनकर खड़ा हो जाए, फिर विकास की बनावट में …

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जर्मनी में मरीजों की मुश्किलें अब होगी कम

अंकित प्रकाश अगर आप ये सोचते हैं कि आप जर्मनी में जब चाहे तब डाक्टर से मिल सकते हैं और इलाज करा सकते हैं तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं। डॉक्टर से मिलना यहाँ पर एक बड़ा काम है। पहले आपको अपॉइंटमेंट लेना होता है और मिलने की तारीख …

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