Thursday - 11 January 2024 - 8:25 PM

जर्मनी में मरीजों की मुश्किलें अब होगी कम

अंकित प्रकाश

अगर आप ये सोचते हैं कि आप जर्मनी में जब चाहे तब डाक्टर से मिल सकते हैं और इलाज करा सकते हैं तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं। डॉक्टर से मिलना यहाँ पर एक बड़ा काम है। पहले आपको अपॉइंटमेंट लेना होता है और मिलने की तारीख तय करनी होती है। कोढ़ में खाज ये है कि ये तारीखें बड़ी लम्बी होती हैं।

इसका मतलब ये है कि बुखार अगर आपको आज आ रहा है तो डॉक्टर से आप हो सकता है एक या दो हफ्ते बाद ही मिल सकें और भरसक आपका बुखार तब तक ठीक हो चुका होता है। इसमें गलती डाक्टर्स की नहीं है।

मरीज ज्यादा हैं और चिकित्सक कम इसलिए ऐसा होना तय है। कई बार गंभीर बिमारियों में आपको विशेष प्रकार के टेस्ट कराने होते हैं और इसके लिए भी आपको महीना भर तक इंतज़ार करना पड़ सकता है। अगर आप किस्मत वाले हुए तो आपका नंबर इसी साल आ सकता है। ये ढर्रा काफी दिनों से चला आ रहा है और अब लोग धीरे धीरे इसके अभ्यस्त हो गए हैं।

हर व्यवस्था की तरह इसमें भी, पैसे वालों के लिए अलग जगह बनाई गयी है। यूरोप में स्वास्थ्य बीमा कराना, कानूनन ज़रूरी है। हर व्यक्ति को ये बीमा कराना ही कराना होता है। जर्मनी में ये बीमा दो तरह का होता है, प्राइवेट और सरकारी।

सरकारी बीमा आम आदमी की जेब के हिसाब से किफायती होता है और 80 प्रतिशत लोग यही बीमा कराते हैं।सरकार और संस्थाएं भी अपने कर्मचारियों के लिए यही बीमा कराती हैं। इलाज कराने पर कितना पैसा बीमा कंपनी देगी ये बात दोनों तरह के बीमों में सामान है, मतलब आपकी जेब से एक पैसा नहीं लगेगा।

फर्क यहाँ पर है कि प्राइवेट बीमा वाले लोगों को किश्त की रकम लगभग चार गुना देनी होती है और इलाज कराते वक्त पैसे तुरंत भुगतान करने होते हैं जो बाद में वापस हो जाते हैं।

वहीँ सरकारी बीमे वाले व्यक्तियों को कैशलेस सुविधा मुहैय्या करायी जाती है। अब चूँकि प्राइवेट बीमे से पैसे तुरंत मिल जाते हैं इसलिए इन्हें अपॉइंटमेंट भी तुरंत मिल जाता है, वहीँ सरकारी बीमे वालों को हर जाँच और इलाज़ के लिए लम्बा इन्तेज़ार करना पड़ता है।

पुरानी व्यवस्था और नियम के अनुसार प्रत्येक डॉक्टर को कम से कम 20 घंटे प्रति सप्ताह सरकारी बीमे वाले व्यक्तियों को देना अनिवार्य था। अभी हाल ही में संसद में एक प्रस्ताव पारित हो गया है, जिसके अनुसार यह समय सीमा बढ़ा कर 25 घंटे प्रति सप्ताह कर दी गयी है यानि 5 घंटा रोज। इस फैसले से हालात एकदम तो नहीं सुधर जायेंगे लेकिन बेहतर ज़रूर होंगे।

बीमा रोगियों की अपॉइंटमेंट मिलने में लम्बी देरी और कई बार नाकामी की लगातार शिकायतों के चलते सरकार ने यह कदम उठाया है। लोगों ने यह भी शिकायत की है कि सरकारी बीमा रोगियों को कभी भी अनुकूल समय पर तिथि नहीं दी जाती है जैसे कि सप्ताहांत में।

इस व्यवस्था को लागू करने के बाद, चिकिसकों को अतिरिक्त काम करने का मुआवजा और बोनस दिया जायेगा।, जो चिकित्सक ग्रामीण इलाकों में सेवा प्रदान करते हैं उन्हें तय राशि प्रति माह पुरस्कार स्वरुप दी जाएगी। अब आप जल्दी अपॉइंटमेंट मिलने की उम्मीद कर सकते हैं जो कि बेशक एक अच्छी खबर है।

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