Sunday - 7 January 2024 - 5:24 AM

शेयर बाजार में आई इन वजहों से इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट

न्यूज़ डेस्क 

मुंबई। भारतीय शेयर बाजार इन दिनों संकट की स्तिथियों इसलिए गुजर रहा है क्योंकि येस बैंक का दिवालियापन और कोरोना वायरस खास रहा है। सप्ताह का पहला कारोबारी दिन घरेलू शेयर बाजार के लिए बहुत ही निराशाजनक रहा।

कोरोना वायरस का असर, यस बैंक का संकट और क्रूड ऑयल की कीमतों में 30 फीसदी तक की गिरावट, इन तीन वजहों से सोमवार को शेयर बाजार के इतिहास के तीन सबसे खराब आंकड़े सामने आए।

सेंसेक्स ने एक दिन में इतिहास की सबसे बड़ी इंट्राडे की 2,467 अंकों की गिरावट देखी। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1941.67 अंक नीचे गिरकर 35,634.95 अंकों पर बंद हुआ। सेंसेक्स 5.17% गिरा। इसी तरह निफ्टी में 538 अंकों की गिरावट आई और यह 10,451.45 अंकों पर बंद हुआ।

सेंसेक्स इस साल के शुरुआती दो महीनों में ही 5,672 अंक या करीब 13.73 फीसदी नीचे आ चुका है। निफ्टी भी पीछे नहीं है। निफ्टी दो महीने में 1,731 अंक यानी करीब 14.2 फीसदी गिर चुका है।

गिरावट की 4 बड़ी वजहें

1. कोरोनावायरस का संक्रमण बढ़ने का असर भारत समेत दुनिया के 109 देशों में कोरोनावायरस फैल चुका है। 1 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हैं। चीन के वुहान से शुरू हुए इस वायरस ने दुनियाभर के बाजारों में कई सेक्टर पर असर डाला है।

फार्मा, ऑटोमोबाइल, स्मार्टफोन्स जैसी मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज पर असर पड़ा है। इसका असर सोमवार को भी दुनियाभर के सभी प्रमुख बाजारों में नजर आया। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, हॉन्गकॉन्ग समेत दुनिया के सभी बाजारों में गिरावट देखने को मिली।

2. सऊदी प्रिंस के एक फैसले की वजह से क्रूड ऑयल में 29 साल की सबसे बड़ी गिरावट रूस की ओर से ओपेक देशों के साथ तेल उत्पादन में कटौती पर सहमति नहीं बनने के बाद सऊदी अरब ने प्राइस वॉर छेड़ दिया है।

सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में भारी कटौती की घोषणा कर दी है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 30 फीसदी तक तक गिर गईं। सऊदी अरब की ओर से प्राइस में कटौती के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 1991 के बाद पहली बार इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

3. विदेशी निवेशकों का नकारात्मक रुख विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च 2020 में पहले 5 कारोबारी सत्रों में ही भारतीय पूंजी बाजार से 13,157 करोड़ रुपए निकाल लिए थे। इससे पहले लगातार छह महीने से एफपीआई भारतीय बाजार में मोटे तौर पर निवेशक बने हुए थे।

डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार 2 से 6 मार्च के बीच एफपीआई ने शेयर बाजारों से 8,997.46 करोड़ रुपये और बांड बाजार से 4,159.66 करोड़ रुपये निकाले। इस तरह उन्होंने 6 मार्च तक पूंजी बाजार से 13,157.12 करोड़ रुपये निकाले हैं।

4. विदेशी बाजारों में गिरावट दुनिया के सभी बाजारों में गिरावट आ रही है। जापान का निक्केई 5.2% नीचे है तो ऑस्ट्रेलियन कमोडिटी मार्केट 6.4% नीचे है। डाऊ जोंस 256 अंक और नैस्डेक 161 अंक नीचे है। ब्रिटेन का एफटीएसई 418 अंक नीचे है।

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