Friday - 5 January 2024 - 5:43 PM

अयोध्या के संतों को राम मन्दिर का मौजूदा माडल मंज़ूर नहीं

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ. अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण की तारीख तय हो चुकी है. मन्दिर निर्माण के लिए ज़मीन के समतलीकरण का काम शुरू हो गया है लेकिन अयोध्या के संत समाज को राम मन्दिर का मौजूदा माडल मंज़ूर नहीं है. वह इस माडल में व्यापक फेरबदल चाहते हैं.

अयोध्या के संतों के मन में इस बात को लेकर भी कसक है कि मन्दिर निर्माण के मुद्दे पर उनसे सलाह मशविरा नहीं किया गया. संतों ने बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन भी भेजा है. दिगम्बर अखाड़े के महंत सुरेश दास के नेतृत्व में संतों ने इस मुद्दे पर एकजुट होना शुरू कर दिया है.

अयोध्या के संतों का कहना है कि राम मन्दिर का डिजाइन 1990 में तैयार किया गया था. मौजूदा समय में इससे भी भव्य डिजाइन तैयार किया जा सकता है. संत चाहते हैं कि मन्दिर इस माडल से ज्यादा भव्य और ऊंचा हो.

अयोध्या के संतों का दर्द यह है कि विश्व हिन्दू परिषद ने राम मन्दिर का माडल तैयार करवाया और उनसे कोई राय मशविरा नहीं किया गया. संतों का कहना है कि राम मन्दिर के मुद्दे पर अयोध्या के संतों से भी राय मशविरा किया जाना चाहिए था.

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राम मन्दिर के माडल में व्यापक बदलाव की मांग राम विलास वेदांती ने उठाई थी लेकिन वेदांती को विश्व हिन्दू परिषद ने दरकिनार कर दिया था. विश्व हिन्दू परिषद के विरोध के बावजूद संतों ने अपनी आवाज़ को दबा लिया क्योंकि वह सभी राम मन्दिर निर्माण के मार्ग की बाधाएं दूर करना चाहते थे लेकिन अदालत से मन्दिर निर्माण का रास्ता साफ़ होने के बाद भी विश्व हिन्दू परिषद के नेता अयोध्या के संतों को किनारे रखने के मूड में हैं.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के साथ इस मुद्दे पर संतों ने चर्चा का कार्यक्रम तय किया था लेकिन विश्व हिन्दू परिषद के नेता राजेन्द्र सिंह पंकज ने इस मुलाक़ात को भी रुकवा दिया.

1990 से लगातार राम मन्दिर मुद्दे पर विश्व हिन्दू परिषद के वर्चस्व को देखते हुए अयोध्या के संतों में सुगबुगाहट तेज़ हो गई है. राम मन्दिर निर्माण की तारीख करीब आ रही है. मन्दिर के भूमि पूजन में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रित किये जाने की तैयारियां अयोध्या में चल रही हैं. भूमि पूजन समारोह तक यह मसला हल नहीं हुआ तो भूमि पूजन समारोह में विरोध का यह स्वर आम लोगों तक भी पहुँच सकता है.

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