Tuesday - 9 January 2024 - 9:17 PM

डंके की चोट पर : … तो जन्नत में बदल गई होती यह ज़मीन

शबाहत हुसैन विजेता

कुछ महीने से बड़ी शर्मिंदगी की साँसें ले रहा था. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हमारे मेहमान थे और हम दिल्ली की सड़कों पर हिन्दू-मुसलमान कर रहे थे. मेहमान की मौजूदगी में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. सरकारी और गैर सरकारी प्रोपर्टी जलाकर ख़ाक कर दी गई.

आज अमेरिका में भी ठीक वही हालात हैं. 25 शहरों में आम लोग दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के राष्ट्रपति को सीधे तौर पर चुनौती दे रहे हैं. आम लोगों के सामने पुलिस की ताकत जवाब दे चुकी है. सेना को एलर्ट कर दिया गया है.

 

अमेरिका में जो आग जल रही है उसके पीछे श्वेत और अश्वेत के बीच की नफरत है. एक अश्वेत बिजनेसमैन को श्वेत पुलिस अधिकारी ने अपने घुटनों से गला घोंटकर मार डाला है. कुछ दिन पहले एक अश्वेत ट्रांसजेंडर को श्वेत पुलिस अधिकारी ने बीच सड़क पर गोली मार दी थी. ट्रांसजेंडर की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस वक्त जो हंगामा है उसके पीछे इन दोनों मौतों से उपजा गुस्सा है.

पाकिस्तान में शिया मुसलमान निशाने पर ज्यादा रहते हैं. शियों के जुलूसों में बम धमाके बहुत आम बात है.इमामबाड़ों में मजलिस कर रहे शियों को निशाना बनाया जाता रहा है. पाकिस्तान में आतंकवाद का सबसे ज्यादा शिकार शिया मुसलमान ही होते हैं.

म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान सबसे ज्यादा ज़ुल्म का शिकार हैं. हाल के सालों में हज़ारों की तादाद में रोहिंग्या मुसलमानों को बड़ी नृशंस्ता के साथ कत्ल कर दिया गया. रोहिंग्या मुसलमान मूल रूप से बांग्लादेश के रहने वाले हैं. पड़ोसी देश बर्मा में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. जानकारी तो यह है कि बर्मा में करीब दस लाख रोहिंग्या मुसलमानों को जनसँख्या के आंकड़ों से अलग रखा गया है.

बंगलादेशी मूल के रोहिंग्या भारत और बर्मा में किस हैसियत से रह रहे हैं इस पर सरकारों को बंगलादेश की सरकार से बात करनी चाहिए. अवैध रूप से घुसपैठ कर आने वालों को उनके देश को सौंपा जाना चाहिए लेकिन इन्हें बेदर्दी से मारा जा रहा है और इस पर आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं है.

आतंकी संगठन आईएसआईएस यजीदी लड़कियों को दैहिक शोषण के लिए इस्तेमाल करता है. यजीदी लड़कियों का जुर्म यह है कि वह बेहद खूबसूरत होती हैं. नीली आँखों वाली इन खूबसूरत लड़कियों को इस्लामिक स्टेट बाज़ार में सामान की तरह बिकवाता है.

यजीदी लड़कियों को आतंकी अपनी मर्जी के हिसाब से चलने के लिए मजबूर करते हैं. उन्हें ड्रग्स दी जाती है. करेंट लगाया जाता है. फिर भी नहीं मानने पर कत्ल भी कर दिया जाता है. 17 साल की एक यजीदी लड़की ने खुद को जलाकर बदसूरत बना लिया ताकि आतंकी उसकी इज्जत से न खेल सकें.

इस्लामिक स्टेट के इस बाज़ार में यजीदी लड़कियों की ख़ूबसूरती के खरीददार सिर्फ आतंकी नहीं होते हैं. इस बाज़ार में इराक, सीरिया और पश्चिम देशों के रईस भी लड़की पसंद कर उसकी बोली लगाते हैं और दाम चुकाकर अपने साथ ले जाते हैं.

इराक में सद्दाम हुसैन की सरकार के दौर में शिया मुसलमानों को हजरत इमाम हुसैन और दूसरे शहीदों के रोजों पर जाने के लिए टैक्स चुकाना पड़ता था. इराक में दुनिया भर के जायरीन आते हैं और वहां की सरकार को तेल के बाद सबसे ज्यादा आमदनी इस टैक्स से होती है. शियों से टैक्स के नाम पर करोड़ों रुपये कमाने वाले इराक में लाखों शिया आतंकवाद का शिकार हुए हैं.

सऊदी अरब मुस्लिम देश है. इस देश में दुनिया भर के लोग नौकरी करने जाते हैं. सऊदी अरब की खासियत यह है कि वहां नौकरी करने वाले शिया मुसलमानों को अपनी पहचान छुपाकर नौकरी करनी पड़ती है. वहां रहकर वह मातम-मजलिस नहीं कर सकते, शियों की तरह से नमाज़ नहीं पढ़ सकते. सऊदी अरब में नौकरी के लिए जाने वाले बहुत से शिया मुसलमान पहले इस बात की ट्रेनिंग लेते हैं कि वह किस तरह से वहां रहें कि यह ज़ाहिर न होने पाए कि वह शिया मुसलमान हैं.

इतने देशों की बातें करने का सीधा सा मकसद यह है कि बेहिसाब ज्ञान हासिल कर लेने के बावजूद पूरी दुनिया में धर्म को एक टूल की तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है. वसुधैव कुटुम्बकम की बात करने वाले हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुसलमान के नाम पर सियासत का जो नाटक खेला जा रहा है उस नाटक का शिकार पूरी दुनिया बनी हुई है.

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अमेरिका जैसा सुपर पॉवर हो या फिर बर्मा जैसा कमज़ोर देश. हालात कमोवेश सब जगह एक जैसे हैं. जो कमज़ोर है उसी की सवारी का दौर चल रहा है.

अमेरिका खुद श्वेत और अश्वेत की लड़ाई में फंसा है लेकिन इसके बावजूद वह किसी भी देश को घुड़की देने के लिए खड़ा हो जाता है. दरअसल वह जानता है कि हर देश के भीतर भी एक जंग चल रही है. एक नागरिक दूसरे नागरिक का दुश्मन बना हुआ है.

मौजूदा वक्त में दुनिया को ईरान की तरफ देखने की ज़रूरत है. ईरान में बच्चा स्कूल जाने के पहले दिन से सैन्य गतिविधियों के बारे में भी पढ़ने लगता है. उच्च शिक्षा हासिल करने तक वह पूरी तरह से सैनिक बन जाता है. ईरान के हर नागरिक को यह अहसास रहता है कि वह अपने देश का सैनिक है और उसके देश को कोई आँख नहीं दिखा सकता.

ईरान अमेरिका के सामने कभी झुकता नहीं. ईरान इजराइल की ताकत से डरता नहीं. ईरान जानता है कि उसका पूरा देश उसकी सेना है और यह सेना अपने देश के लिए जान कुर्बान करने को हमेशा तैयार है.

हिन्दू-मुसलमान, शिया-सुन्नी, श्वेत-अश्वेत, यजीदी और रोहिंग्या की जंग में फंसे देश अगर अपने सभी नागरिकों को एक सूत्र में बाँधने की कोशिश में लगे होते तो शायद नफरतें दम दबाकर भाग गई होतीं और यह पूरी ज़मीन जन्नत में बदल गई होती.

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