Wednesday - 10 January 2024 - 12:37 PM

मायावती के आरोपों का अखिलेश ने दिया ये जवाब

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्‍यसभा चुनाव के बीच चल रही उठापटक पर अपनी चुप्‍पी तोड़ते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह का गठबंधन कर सकती है। जो लोग भारतीय जनता पार्टी के साथ अंदर से चुपचाप मिले हैं, उनका पर्दाफाश होना जरूरी था इसीलिए समाजवादी पार्टी ने निर्दलीय प्रत्याशी का समर्थन किया। हमारा मकसद था कि वोट पड़े और जनता जाने कि कौन किससे मिला है?

दरअसल, उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 9 सीटों पर होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी की सेंधमारी से नाराज बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है और चेतावनी देते हुए कहा कि एमएलसी चुनाव में सपा को ‘जैसे को तैसा’ जवाब दिया जाएगा।

इतना ही उन्‍होंने कहा कि सपा के दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए बसपा अपनी पूरी ताकत लगा देगी। इसके लिए चाहे पार्टी के विधायकों को बीजेपी और अन्य किसी भी विरोधी पार्टी के उम्मीदवार को ही अपना वोट क्यों न देना पड़े।

इससे पहले अखिलेश यादव ने आचार्य नरेंद्र देव की जयंती के अवसर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस दौरान अखिलेश ने कहा कि आज के दिन हम सरदार पटेल जी को, आचार्य नरेंद्र देव जी और वाल्मीकि जी को याद कर रहे हैं. लोगों का रोजगार छिन गया है, नौकरी चली गई है और किसान एमएसपी के लिए परेशान है। हम संकल्प ले रहे हैं कि देश का जो डेवलपमेंट छूटा है उसका विकास करेंगे।

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अखिलेश यादव ने कहा कि 4 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट कहां गया? इससे पहले शुक्रवार का बयान जारी कर अखिलेश यादव कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की गलत नीतियों के चलते किसान बेहाल है। जमाखोर मालामाल हो रहे हैं। बिचैलियों और बड़े व्यापारियों के सरकारी तंत्र से मिलीभगत की वजह से किसान अपनी फसल उन्हें औनपौने दाम पर बेचने को मजबूर है।

वहीं सरकार झूठे दावों का गुणगान कर अपनी कमियों पर पर्दा डालने का काम कर रही है। किसानों के सपनों की हत्या हो रही है। भाजपा सरकार किसानों की आय दुगनी करने, और किसान की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं कृषि उपज की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना देने के अपने वादे भूल चुकी है।

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किसानों को इस वर्ष धान की फसल से बहुत उम्मीद थी। सही न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता तो उनके बेटे-बेटी की शादी हो जाती और वर्षा-बाढ़ से क्षतिग्रस्त मकान की मरम्मत हो जाती। किसान का दुर्भाग्य उसको 1888 रूपये का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य तो मिला नहीं, उल्टे 800 से 1000 रूपये और अधिकतम 1200 रूपये प्रति कुंतल धान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। धान खरीद केंद्रों में अव्यवस्था और लूट का राज कायम है।

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