Sunday - 7 January 2024 - 12:50 PM

‘सोशल मीडिया ने बढ़ाई राष्ट्रविरोधी गतिविधियां’

न्यूज डेस्क

बीते महीने सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर नकेल कसने की कवायद की थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि तकनीक खासकर सोशल मीडिया का दुरुपयोग खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है और अब सरकार को इसमें दखल देना ही चाहिए। फिलहाल इस मामले में केन्द्र सरकार ने भी माना है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने भड़का बयानों और फर्जी खबरों की समस्या काफी बढ़ा दी है।

दरअसल केन्द्र सरकार ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कही हैं। केन्द्र सरकार के मुताबिक सोशल मीडिया की वजह से गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भारी इजाफा हुआ है। इस सबके चलते लोकतांत्रिक राजनीति के खतरा है।

कोर्ट में दायर हलफनामें में केन्द्र सरकार ने माना है कि पिछले कुछ समय के दौरान इंटरनेट की दरें कम होने और स्मार्टफोन की उपलब्धता बढऩे से बड़ी संख्या में लोग इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार का मानना है कि इस मामले में कड़े और विस्तृत नियम बनाने की जरूरत है। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने देने की गुहार लगाई है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान फेक न्यूज और सोशल मीडिया पर लगाम कसने के लिए सरकार को निर्देश जारी किया। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से तीन सप्ताह में शपथ पत्र दाखिल कर ये बताने को कहा था कि वह कब तक इस संबंध में दिशा-निर्देश तैयार कर लेगी।

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न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि हमें ऐसी गाइड लाइन की जरूरत है, जिससे ऑनलाइन अपराध करने वालों और सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी पोस्ट करने वालों को ट्रैक किया जा सके। सरकार ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती कि उसके पास सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने की कोई तकनीक नहीं है।

इस मामले में जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म और यूजर्स के लिए सख्त दिशा-निर्देशों की जरूरत है। अभी हालात ये है कि हमारी निजता तक सुरक्षित नहीं है। लोग सोशल मीडिया पर एके 47 तक खरीद सकते हैं। ऐसे में कई बार लगता है कि हमें स्मार्टफोन छोड़, फिर से फीचर फोन का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए।

कोर्ट का यह निर्देश ऑनलाइन अफवाहों और फेक विडियोज के कारण हुईं हालिया घटनाओं के बाद आया है।

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