Sunday - 7 January 2024 - 6:12 AM

मुफ्ती ने क्यों कहा 35 ए के साथ छेड़छाड़ करना मतलब बारूद को हाथ लगाना

न्यूज डेस्क

पिछले कुछ दिनों से आर्टिकल 35 ए को लेकर चर्चा जोरों पर है। गृहमंत्री अमित शाह के कश्मीर से लौटने और वहां 10 हजार जवानों की तैनाती की खबर से आर्टिकल 35 ए सुर्खियों में है। नेताओं के बयान आ रहे हैं। इसीक्रम में पीपीडी की मुखिया और राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती का जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 35 ए को लेकर बयान सामने आया है।

अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर एक रैली को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 35 ए के छेड़छाड़ करना मतलब बारूद को हाथ लगाना है। जो हाथ 35 ए के साथ छेड़छाड़ के लिए उठेगा, वो हाथ नहीं बल्कि सारा जिस्म जल के राख हो जाएगा।

पीपीडी की मुखिया मुफ्ती ने कहा कि हम अपनी अंतिम सांस तक कश्मीर की रक्षा करेंगे। हमारी पार्टी पीडीपी कभी समाप्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आज कश्मीर के लिए शहीद हुए लोगों को याद करने की जरूरत है। चुनाव का क्या, वो तो आता है और चला जाता है, लेकिन असली लड़ाई जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जा के लिए लडऩा है। मुफ्ती ने कहा कि हम राज्य की स्थिति को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।

गौरतलब है कि हाल में है नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर में 10 हजार जवानों की तैनाती की है। इसके बाद से ही राज्य में आर्टिकल 35 ए को हटाने की चर्चा तेज हो गई है। जवानों को तैनात करने के मसले पर सरकार का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ आपरेशन और राज्य में कानून व्यवस्था के लिए राज्य अतिरिक्त जवान भेजने का फैसला लिया गया है।

सैनिकों की तैनाती के निर्णय के बाद से मुफ्ती ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने ट्वीट कर केंद्र सरकार के इस फैसले की अलोचना करते हुए कहा था कि यह एक राजनीतिक समस्या है। इसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जा सकता है। मुफ्ती ने लिखा था कि केंद्र के घाटी में जवानों की तैनाती करने से स्थानीय लोगों में भय पैदा कर दिया है। राज्य में सुरक्षा बल की कोई कमी नहीं है। केंद्र सरकार को अपनी नीति पर विचार करने की जरूरत है।

ये भी पढ़े:  स्पीकर के फैसले के बाद क्या है कर्नाटक का गणित

ये भी पढ़े:  शेखर कपूर पर क्यों भड़के जावेद अख्तर

क्या है आर्टिकल 35 ए

35 ए भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जिसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर विशेष प्रावधान है। यह अनुच्छेद राज्य को यह तय करने की शक्ति देता है कि वहां का स्थाई नागरिक कौन है? वैसे 1956 में बने जम्मू-कश्मीर के संविधान में स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर में ऐसे लोगों को कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने या उसका मालिक बनने से रोकता है, जो वहां के स्थायी नागरिक नहीं हैं।

आर्टिकल 35 ए जम्मू-कश्मीर के अस्थाई नागरिकों को वहां सरकारी नौकरियों और सरकारी सहायता से भी वंचित करता है। अनुच्छेद 35 ए के मुताबिक, अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी कर लेती है तो पैतृक संपत्ति जुड़े उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ जम्मू-कश्मीर की प्रॉपर्टी से जुड़े उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com