Tuesday - 9 January 2024 - 6:59 PM

लक्षद्वीप का सियासी तापमान बढ़ने की क्या वजह है?

जुबिली न्यूज डेस्क

बीते कुछ दिनों से लक्षद्वीप चर्चा में है। भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर मौजूद छोटे से द्वीप का सियासी पारा बढ़ गया है। तनाव इतना बढ़ गया है कि लोग विरोध में सड़क पर उतर आए हैं।

शांत रहने वाले लक्षद्वीप में ऐसा क्या हो गया कि यहां का सियासी तापमान बढ़ गया है? आखिर ऐसा क्या हुआ कि आजकल यह उबल रहा है?

दरअसल भाजपा से जुड़े लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने एक प्रस्ताव पेश किया है जिसे लेकर पूरा इलाका तनाव में है।  आलोचकों ने नए प्रस्ताव को जन विरोधी बताया है।

कुछ समय पहले ट्विटर पर #SaveLakshadweep  नाम से हैशटैग ट्वीट होने लगा तो लोगों का ध्यान इस पर गया। फिर इस मामले को हवा तब मिली जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने भी इस बारे में बात करनी शुरू कर दी।

यह मामला तब और गरम गरमा गया जब नए नियमों का विरोध करने उतरे लोगों में से 23 को नशीली दवाओं के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

अरब सागर में नीले पानी से घिरा सफेद रेत का यह द्वीप अक्सर भारत का मालदीव भी कहा जाता है। इस क्षेत्र का उच्च न्यायालय केरल में है।

केरल की विधानसभा ने 31 मई को एक प्रस्ताव पास कर लोगों की आजीविका की रक्षा करने और प्रशासक प्रफुल पटेल को हटाने का समर्थन किया है।

क्यों हो रहा है विरोध?

केरल के तट से 500 किलोमीटर दूर 36 छोटे द्वीपों का एक समूह है लक्षद्वीप। इसकी आबादी लगभग 65 हजार है जिनमें से अधिकांश मुसलमान हैं।

पर्यटकों के बीच लोकप्रिय इन द्वीपों का प्रशासन भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक के हाथ में होता है और प्रफुल्ल खोड़ा पटेल वहां के प्रशासक हैं।

दिसंबर 2020 में पद संभालने वाले पटेल ने कुछ प्रस्तावों का मसौदा तैयार किया है। यदि ये प्रस्ताव नियम बन जाते हैं तो प्रफुल्ल पटेल को द्वीप पर रहने वाले लोगों को शहरी विकास के नाम पर उनकी संपत्ति से हटाने का अधिकार मिल जाएगा। वह किसी भी इलाके को प्लानिंग एरिया घोषित कर सकते हैं।

एक अन्य प्रस्ताव के तहत प्रशासक को किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए एक साल तक हिरासत में रखने का अधिकार मिल सकता है।

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इसके अलावा एक प्रस्ताव गोकशी पर प्रतिबंध और कुछ उद्योगों को शराब बेचने की इजाजत देने का भी है, जिसे लोग धार्मिक भावनाओं के खिलाफ देख रहे हैं। फिलहाल लक्षद्वीप में शराब की बिक्री आमतौर पर प्रतिबंधित है।

भाजपा नेता प्रफुल्ल पटेल पहले भी अपने विचारों के कारण विवादों में रह चुके हैं। उन पर लोगों में हिंदू संस्कृति थोपने जैसे आरोप लगते रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ तनाव

भाजपा नेता पटेल के प्रस्तावों के विरोध में लक्षद्वीप स्टूडेंट एसोसिएशन (एलएसए) ने मई की शुरुआत में ट्विटर और इंस्टाग्राम पर एक अभियान शुरू किया था।

केरल के सांसद ई. करीम के समर्थन के बाद इस अभियान ने और जोर पकड़ लिया। करीम ने भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर लक्षद्वीप के प्रशासक की शिकायत की थी।

इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पटेल को अपने आदेश वापस लेने को कहने का आग्रह किया।

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राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, “लक्षद्वीप भारत के सागर का मोती है। सत्ता में बैठे कुछ जाहिल धर्मांध इसे बर्बाद कर रहे हैं। मैं लक्षद्वीप के लोगों के साथ हूं.”

लक्षद्वीप अपनी सारी जरूरतों के लिए केरल पर निर्भर है। सोमवार, 31 मई को केरल की विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास हुआ। मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में लक्षद्वीप के प्रशासक पद से प्रफुल्ल पटेल को हटाने की मांग की गई थी।

अब कैसे हैं हालात ?

भाजपा नेता पटेल पिछले साल उस समय विवादों में आ गए थे जब उन्होंने कोविड-19 पाबंदियों में ढील दे दी थी जिसके बाद इलाके में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़े थे।

कोरोना के नए नियमों के बारे में उन्होंने मीडिया से कहा कि ये नियम इलाके में पर्यटन को बढ़ाएंगे और इन्हें वापस लेने की कोई योजना नहीं है।

इस बारे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह या किसी अन्य केंद्रीय नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की है। लक्षद्वीप के छात्र संघ इन नियमों के विरोध में अपने अभियान को जारी रखने पर अडिग है।

वहीं लक्षद्वीप स्टूडेंट्स एसोसिएशन के एक सदस्य अजीम फैयाज ने कहा, हम तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक उन्हें (पटेल को) प्रशासक के पद से नहीं हटाया जाता।

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