Friday - 5 January 2024 - 9:41 PM

कोरोना से बेहाल पाकिस्तान में क्या है बेरोजगारी का हाल

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने चुनौतियां बढ़ गई है। एक ओर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती तो दूसरी ओर कोरोना महामारी से निपटना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं है। कोरोना महामारी की वजह से पाकिस्तान में बेरोजगारी भी चरम पर पहुंच गई है।

पाकिस्तान में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद सरकार ने देश के ज्यादातर हिस्सों में आंशिक रूप से लॉकडाउन लगाया था। सभी व्यापारिक और सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया गया, लेकिन मई से लॉकडाउन में ढील देनी शुरू की गई और जुलाई के आखिर तक लॉकडाउन को लगभग पूरी तरह हटा लिया गया, लेकिन अभी भी अर्थव्यस्था ने रफ्तार नहीं पकड़ा है।

ये भी पढ़े :  ‘युग दृष्टा और 21वीं सदी के महानायक थे राजीव गांधी’

ये भी पढ़े :  प्रशांत भूषण केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?

ये भी पढ़े :  दिल का दौड़ा पड़ने से बीजेपी विधायक की मौत 

19 अगस्त तक पाकिस्तान में कोरोना वायरस के 2.90 लाख केस सामने आए थे। वहीं कोरोना संक्रमण से अब तक पाकिस्तान में छह हजार लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस के मामलों में कमी की वजह टेस्ट में कमी है।

अब प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के सामने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती है। महीनों तक आर्थिक गतिविधियां ठप रहने की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। अनौपचारिक सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर इस महामारी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है।

पाकिस्तान में करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं जिसमें रेहड़ी, ठेले वाले भी शामिल हैं। सरकार का दावा है कि वह मजदूरों की मदद करने की अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रही है।

मई में योजना और विकास मंत्री असद उमर ने कहा था कि पाकिस्तान में कोरोना महामारी की वजह से 1.8 करोड़ लोगों को नौकरियां खोनी पड़ सकती हैं जबकि दो से सात करोड़ इस साल गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं।

ये भी पढ़े : संजय राउत ने ट्वीट के जरिए किस पर साधा है निशाना

ये भी पढ़े :  धोनी को लिखी चिट्ठी में PM मोदी ने क्या कहा ?

ये भी पढ़े :   चुनाव से पहले टूटा महागठबंधन, पल-पल रंग बदल रही बिहार की राजनीति

सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद मोहम्मद इकबाल खान के मुताबिक “हमने लगभग दस लाख मजदूरों को नकद राशि दी है। हमने विरोध के बावजूद भवन निर्माण क्षेत्र को खोल दिया है और अब चीजों को आसान बनाने के लिए औद्योगिक और व्यापारिक सेक्टर को भी पूरी तरह खोला जा रहा है। मुझे लगता है कि आने वाले महीनों में हालात बेहतर होंगे और अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौटेगी।”

सुधार की गुंजाइश नहीं

पाकिस्तानी सरकार की तरफ से 2.3 प्रतिशत जीडीपी विकास दर के अनुमान के विपरीत विश्व बैंक ने 2020-21 के लिए जीडीपी में एक प्रतिशत की गिरावट का अंदेशा जाहिर किया है।

वहीं जाने-माने पाकिस्तानी उद्योगपति और संसद की वित्तीय समिति के सदस्य कैसर अहमद शेख कहते हैं, “मुझे सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिखती।” शेख के मुताबिक विश्व अर्थव्यवस्था भी कोरोना वायरस के कारण मंदी झेल रही है। वह कहते हैं, “हमें कोरोना वायरस की वैक्सीन आने और दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां बहाल होने का इंतजार करना चाहिए।”

वहीं इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री और फिलहाल पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार सलमान शाह कहते हैं कि कोरोना महामारी के कारण दो करोड़ से ज्यादा लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं।

शाह का मानना है, “जीडीपी का सिर्फ 2.5 प्रतिशत कामगारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने पर खर्च किय जा रहा है। इसे बढ़ाकर कम से कम 10 प्रतिशत किया जाना चाहिए। हम इसे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की कड़ी शर्तें हमें ऐसा नहीं करने दे रही हैं।”

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com