Sunday - 7 January 2024 - 12:53 PM

कोरोना महामारी पर लिखने वाले आस्ट्रेलियाई अखबार को भारतीय उच्चायोग ने क्या कहा?

जुबिली न्यूज डेस्क

भारत में कोरोना वायरस का तांडव चरम पर है। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है जिसकी वजह से लोग दम तोड़ रहे हैं।

भारत में जो हालात हैं उस पर विदेशी मीडिया भी नजर बनाए हुए है। बीते दिनों आस्ट्रेलिया के अखबार ने कोरोना पर भारत की स्थिति को वैश्विक पटल पर रखा था, लेकिन यह बात सरकार को रास नहीं आई है।

भारतीय उच्चायोग ने एक खत के जरिए संपादक को ही नसीहत दी है। पत्र में कहा गया है कि ऐसे ‘निराधार’  लेख लिखने से आगे बचें। बकौल, हाईकमीशन भारत सरकार कोरोना पर बहुत अच्छे से कदम उठा रही है। इसका असर भी दिख रहा है।

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मालूम हो कि आस्ट्रेलिया के अखबार ने लिखा था कि भारत कैसे कोरोना के भंवर में आ फंसा। लेख के अनुसार, दंभ, खोखले राष्ट्रवाद और नौकरशाही की असफलता की वजह से यह स्थिति भारत को देखनी पड़ रही है।

वहीं हाई कमीशन के नोट में कहा गया है कि लेख में बेवजह पीएम के चुनावी कैंपेन के साथ कुंभ को निशाना बनाया गया। इस पर भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर पीएस कार्थिगेयान के दस्तखत हैं।

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द टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत सरकार विशेषकर पीएम मोदी कोरोना से निपटने में बुरी तरह से नाकाम रहे। इसमें उन तौर तरीकों की आलोचना की गई है जो सरकार ने हाल के समय में वायरस को काउंटर करने के लिए अमल में लाए हैं।

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अखबार की रिपोर्ट “Modi leads India out of lockdown and into a Covid apocalypse”. में कहा गया है कि कोरोना पर जो भी हालात बने हैं उसके लिए भारत का मौजूदा नेतृत्व जिम्मेदार है।

लेख छपने के बाद केनबरा में भारतीय उच्चायोग ने उसी तरह अखबार पर दबाव बनाने की कोशिश की जैसा कि आपातकाल के दौरान इंदिरा सरकार ने किया था।

उस दौरान ग्लोबल मीडिया में आने वाली खबरों को तत्कालीन सरकार कुछ ऐसे ही अंदाज में काउंटर करती थी। भारतीय अधिकारियों ने लेख को निराधार, गलत करार देते हुए कहा कि इसके जरिए भारत के उस प्रयास को कमतर आंकने की कोशिश की गई है जो कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने किया था। हाई कमीशन ने उन कदमों का भी ब्योरा पत्र में दिया जो कोरोना को लेकर भारत सरकार ने हाल के वर्षों में उठाए हैं।

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