Sunday - 7 January 2024 - 1:01 PM

अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआई ने क्या कहा?

  • फेस्टिव सीजन में भी नहीं बढ़ सकेगी उपभोक्ता मांग
  • गरीब और हो सकता है गरीब, इकॉनमी को अभी और लगेगा झटका

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी की वजह से हिचकोले ले रही देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)  ने चेताया है। आरबीआई ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में मांग को पटरी पर आने में लंबा समय लगेगा और इसका कोरोना वायरस के पहले के स्तर पर पहुंचना सरकारी खपत पर निर्भर करेगा।

आरबीआई ने मंगलवार को अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि भारत को सतत वृद्धि की राह पर लौटने के लिए तेजी से और व्यापक सुधारों की जरूरत है। अब तक सकल मांग के आकलन से पता चलता है कि खपत पर असर काफी गंभीर है और इसके पटरी पर तथा कोविड-19 के पूर्व स्तर पर आने में लंबा समय लगेगा।

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आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसका असर गरीबों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। गरीब तबका और गरीब हो सकता है। सोच समझकर की जाने वाली यानी मनमर्जी वाली व्यक्तिगत खपत नदारद है।

आरबीआई ने यह भी कहा है कि त्योहारी सीजन में भी उपभोक्ता मांग बढऩे का कोई अनुमान नहीं है। अर्थव्यवस्था में परिवहन, सेवा, होटल, मनोरंजन और सांस्कृतिक गतिविधियां विशेष रूप से प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में खपत की हिस्सेदारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 60 प्रतिशत है।

रिजर्व बैंक के मुताबिक, ‘आने वाले समय में कोरोना महामारी से प्रभावित मांग को सरकारी खपत से सहारा मिलने की उम्मीद है। निजी खपत मांग में सुधार को तभी आगे बढ़ाएगी जब यह मजबूत होगी। जब तक खर्च योग्य आय नहीं बढ़ती है और लोग मनमर्जी से खर्च करने की स्थिति में फिर आ जाते हैं तब तक जरूरी खर्च के जरिए ही निजी मांग बढ़ेगी।’

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अपनी सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने हमेशा की तरह आर्थिक वृद्धि का अनुमान नहीं दिया है। हां उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के 2020-21 में 3.7 प्रतिशत और ओईसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) के 7.3 प्रतिशत गिरावट के अनुमान का जिक्र किया है। आर्थिक वृद्धि दर कोरोना महामारी से पहले नरम पड़ गई थी। देश की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत रही जो एक दशक पहले वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सबसे कम है। पहली तिमाही का जीडीपी आंकड़ा 31 अगस्त को जारी होगा। वैश्विक तथा घरेलू एजेंसियों ने अर्थव्यवस्था में 20 प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान जताया है।

रिपोर्ट के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के पास वैश्विक वित्तीय संकट में उपलब्ध संसाधनों के मुकाबले कोरोना महामारी से निपटने को लेकर काफी कम गुंजाइश है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि महामारी के दौरान कर्ज और आकस्मिक देनदारियों के कारण राजकोषीय नीति का रास्ता कठिन होगा।

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