Sunday - 14 January 2024 - 5:39 PM

तूफानों ने की मानसून की रफ्तार कम, जलवायु परिवर्तन का असर साफ़

डॉ सीमा जावेद

जलवायु परिवर्तन का मौसम की बदलती तर्ज से गहरा नाता है और यह ताकतवर चक्रवाती तूफानों तथा बारिश के परिवर्तित होते कालचक्र से साफ जाहिर भी होता है। हमने हाल ही में एक के बाद एक दो शक्तिशाली तूफानों ताउते और यास को भारत के तटीय इलाकों में तबाही मचाते देखा है। इनमें से एक तीव्र तो दूसरा बेहद तीव्र था। यह सब कुछ ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का पानी अभूतपूर्व रूप से गर्म होने का नतीजा है।

पुणे स्थित इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरॉलॉजी के जलवायु वैज्ञानिक मैथ्‍यू रोक्‍सी कोल ने कहा ‘‘अब यह जगजाहिर हो चुका है कि दुनिया के महासागर वर्ष 1970 से उत्‍सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के कारण उत्‍पन्‍न अतिरिक्‍त ऊष्‍मा का 90 प्रतिशत हिस्‍सा सोख चुके हैं। इसकी वजह से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के महासागरों का तापमान असंगत रूप से बढ़ा है, इसकी वजह से चक्रवात तेजी से शक्तिशाली हो जाते हैं। ऊष्‍मा खुद में एक ऊर्जा है और चक्रवात महासागर में मौजूदा ऊर्जा को तेजी से गतिज ऊर्जा में बदलकर बेहद ताकतवर बन जाते हैं। पश्चिमी उष्‍णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) ग्‍लोबल वार्मिंग एक सदी से भी ज्‍यादा वक्‍त से ट्रॉपिकल महासागरों के किसी भी हिस्‍से के मुकाबले ज्‍यादा तेजी से गर्म हो रहा है और वह वैश्विक माध्‍य समुद्र सतह तापमान (एसएसटी) के सम्‍पूर्ण रुख में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। ट्रॉपिकल साइक्‍लोन हीट पोटेंशियल (टीएचसीपी) महासागर की ऊपरी सतह के उस तापमान को नापने का पैमाना है जो तूफानों के लिये उपलब्‍ध ऊर्जा स्रोत होता है। गहरे रंगों से यह संकेत मिलता है कि अरब सागर के मौजूदा हालात साइक्‍लोजेनेसिस में मदद कर सकते हैं।’’

जलवायु परिवर्तन और साइक्‍लोजेनेसिस

पर्यवेक्षणों से जाहिर होता है कि वर्ष 1998 से 2018 के बीच मानसून के बाद के मौसम के दौरान अरब सागर में अत्‍यन्‍त भीषण चक्रवाती तूफानों (ईएससीएस) की आवृत्ति में इजाफा हुआ है। तूफानों के बार-बार आने के सिलसिले में आयी इस तेजी को मानव द्वारा उत्पन्‍न एसएसटी वार्मिंग से जोड़ने की बात मीडियम कान्फिडेंस से कही जा सकती है।

भारत सरकार के पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के आकलन और जलवायु के मॉडल्‍स से 21वीं सदी के दौरान उत्‍तरी हिन्‍द महासागर (एनआईओ) बेसिन में चक्रवाती तूफानों की तीव्रता बढ़ने की बात जाहिर होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है जलवायु परिवर्तन यह संकेत देता है कि एसएसटी में बदलाव और उससे सम्‍बन्धित ट्रॉपिकल साइक्‍लोन (टीसी) गतिविधि अन्‍य महासागरीय बेसिन के मुकाबले हिन्‍द महासागर में जल्‍दी उभर सकती है। एनआईओ क्षेत्र में चिंता का एक और सम्‍भावित कारण यह है कि खासकर अरब सागर (एएस) क्षेत्र में हाल के वर्षों में टीसी की तीव्रता में अभूतपूर्व तेजी देखी गयी है। हाई-रिजॉल्‍यूशन वैश्विक जलवायु मॉडल के प्रयोगों से संकेत मिलते हैं कि मानव की गतिविधियों के कारण उत्‍पन्‍न ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण मानसून के बाद के सत्र के दौरान अरब सागर क्षेत्र में अत्‍यन्‍त भीषण चक्रवात बनने की सम्‍भावना बढ़ गयी है। हाल के कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि ब्‍लैक कार्बन और सल्‍फेट के मानव जनित उत्‍सर्जन की मात्रा में बढ़ोत्‍तरी की ऊर्ध्‍वाधर वायु अपरुपण (वर्टिकल विंड शियर) में कमी लाने में भूमिका हो सकती है जिससे अरब सागर में अधिक तीव्र ट्रॉपिकल साइक्‍लोन के अनुकूल हालात बनते हैं।

चक्रवात ताउते और यास का मानसून 2021 पर क्‍या असर पड़ा

ग्लोबल वार्मिंग का विनाशकारी रूप अब दक्षिण पश्चिमी मानसून पर भी असर डालता दिख रहा है जो चिंता का विषय हो सकता है।

मॉनसून 2021 भारत की दहलीज पर खड़ा है और अब वह किसी भी वक्त केरल में दाखिल हो सकता है। केरल में मानसून के दस्तक देने की आधिकारिक तारीख 1 जून है मगर यह 4 दिन आगे-पीछे हो सकती है। मौसम विभाग ने इस साल 3 जून को मानसून के केरल पहुंचने की संभावना जताई है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com