Wednesday - 10 January 2024 - 7:18 AM

क्या आप किराएदार हैं..तो ये खबर आपके लिए है

जुबिली न्यूज ब्यूरो

उत्तर प्रदेश सरकार ने किराएदारी को लेकर एक कानून की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यूपी नगरीय परिसरों की किराएदारी विनियमन अध्यादेश के जरिए इसे लागू किया जाएगा। कैबिनेट ने इसे मंजूर कर दिया है। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। जाहिर है छह महीने के भीतर इसे स्थायी रूप से कानूनी जामा पहनाने के लिए विधानसभा में पारित करना होगा।

उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भारी क्षेत्रों में बाहर से आकर लोग रहते हैं। मकानमालिकों और किराएदार के रूप में सभी के हितों की सुरक्षा के ख्याल से इस नियम को बनाया गया है। इससे किराएदारी को लेकर आने वाले विवादों में कमी आएगी। रेंट अथॉरिटी के जरिए इस नियम को लागू करने की व्यवस्था बनाई गई है।

रेंट अथॉरिटी का मुखिया डिप्टी कलेक्टर स्तर का अधिकारी होगा। जिसकी नियुक्ति डीएम की ओर से की जाएगी। यानी जिले का एक डिप्टी कलेक्टर को रेंट अथॉरिटी का चार्ज होगा। वहीं ऐसे मामले में प्रमुख भूमिका में होंगे। इसके अलावा एडीजे स्तर के अधिकारी को एक ट्रिब्यूनल का प्रमुख बनाया जाएगा, जो ऐसे मामले में होने वाले विवादों का निपटारा करेंगे। हाई कोर्ट की सहमति से ट्रिब्यूनल का मुखिया

नए कानून के मुताबिक सभी मकानमालिकों और किराएदारों को रेंट अथॉरिटी को अपने किराएनामे के बारे में सूचना देनी होगी। 11 महीने से ऊपर के सभाी किराएनामे पर यह व्यवस्था लागू होगी। 11 महीने से कम के किराएदारों के लिए रेंट अथॉरिटी को जानकारी देना जरूरी नहीं होगा। लेकिन 11 महीने से अधिक समय का किराया देते हुए मकानमालिकों को इसकी सूचना रेंट अथॉरिटी को देना ही होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके और किराएदार के ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

अध्यादेश लागू होने के तीन महीने के भीतर मकानमालिकों को अपने किराएदारों के बारे में अथॉरिटी को सूचना देना अनिवार्य है। यानी शहरों में मकान, फ्लैट या दुकानों को 11 महीने से अधिक समय के लिए किराया लगाने वालों को अथॉरिटी को जानकारी मुहैया करानी होगी। यह मकानमालिक और किरायदार दोनों की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए पोर्टल की व्यवस्था भी की जाएगी।

नए नियम में यह भी साफ किया गया है कि किराएदारों को तय समय पर मकान या दुकान खाली कर देना पड़ेगा। हालांकि इस बीच मकानमालिक जरूरी सेवाओं को जारी रखेंगा। यानी आम तौर पर पानी बिजली काट देने का जो तरीका अपनाया जाता है उसे मान्यता नहीं मिलेगी।

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नियमानुसार मकान खाली नहीं करने वाले किराएदारों के प्रति भी कानून में सख्ती बरती गई है। तय समय से बाद मकान या दुकान खाली नहीं करने की स्थिति में दो महीने तक किराएदारों को दूना और उससे भी अधिक समय लेने पर चार गुना किराया देना होगा।

मकानमालिकों के लिए जरूरी है कि वे अपने किराएदारों को किराए की स्लिप उपलब्ध कराए। ऑनलाइन या बैंक में किराया जमा करने वाले किराएदारों के लिए बैंक स्लिप ही किराये की पर्ची के तौर पर मान्य होगी।

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मकान मालिक अगर तय शर्तों के हिसाब से किराया स्वीकार नहीं करता है तो किराएदार दो महीने तक पोस्ट ऑफिस के जरिए मनीआर्डर भेजेगा। इसके बाद भी विवाद की स्थिति रहती है तो वह रेंट अथॉरिटी की शरण लेगा। नए नियम के लागू हो जाने से साफ है कि मकानमालिक और किराएदारों के हित सुरक्षित रहेंगे और वे नियमानुसार व्यवस्था बनाए रखेंगे तो उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

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